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ललित मोदी क़ो क्या बदल पाएंगी सुष्मिता सेन / विवेक शुक्ला

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 ललित मोदी अपने घर वालों से लड़ता रहा है. उसकी अपने पिता कृष्ण कुमार मोदी से कभी नहीं बनी. माँ से उसका केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. उसकी जिंदगी की कहानी तफ़सील से. आप पढ़ और सुन सकते हैं

मोदी ने जब अपने से दसेक साल बढ़ी और पहले से विवाहित दो बच्चों की मां मीनल से शादी करने की इच्छा के बारे में अपने उद्योगपति पिता कृष्ण कुमार मोदी और मां बीना मोदी को बताया था, तो कहते हैं कि मोदी खानदान में सबके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी।


कृष्ण कुमार मोदी ने ललित मोदी को दो टूक शब्दों में कह दिया था कि अगर उन्होंने इस तरह का कोई कदम उठाया, तो वे उन्हें अपनी सारी संपति से बेदखल कर देंगे। एक परंपरावादी मारवाड़ी परिवार को यह कतई स्वीकार नहीं था ललित मोदी एक शादी-शुदा महिला को मोदी खानदान की बहू बनाकर ले आएं। पर जिद्दी ललित मोदी नहीं माने। ललित मोदी ने मीनल को अपनी पत्नी बनाया।


लेकिन मोदी खानदान में क्लेश से बचने के लिए ललित मोदी तब ही मुंबई शिफ्ट कर गए। वे अपने पिता के पैडर रोड वाले एक फ्लैट में रहने लगे। ललित मोदी के माता-पिता मीनल से इसलिए अलग से नाराज थे, क्योंकि वह किसी पार्टी में बीना मोदी से मिली थी। वहां दोनों में मित्रता हुई। उसके बाद मीनल मोदी खानदान के महल जैसे साउथ दिल्ली के महारानी बाग स्थित बंगले में आने लगी। वहां पर ही उसकी ललित मोदी से भी मुलाकात होने लगी। वह मुलाकातें प्यार में बदल गईं और फिर दोनों में तमाम कसमें-वादे हुए शादी से पहले। दोनों के बीच 17 अक्तूबर 1991 को विवाह हो गया। उसमें गिनती के ही लोग मौजूद थे।


 आगे बढ़ने से पहले मीनल के माजी  पर नजर डालेंगे। मीनल के सिंधी मूल के पिता पेस्सु आसवानी का नाइजीरिया में बिजनेस था। वे बिजनेस के सिलसिले में लंदन आते जाते थे। आसवानी की दो पुत्रियां थीं। छोटी पुत्री मीनल ने नाइजीरिया में रहने वाले जैक सगरानी नाम के मुस्लिम बिजनेसमैन से शादी कर ली। जैक भी लंदन, दुबई, न्यूयार्क में घूमता था। वह एक बार सऊदी अरब में गया तो उसे वहां पर किसी घोटाले के सिलसिले में पकड़ लिया गया।  उसे जेल हो गई। वह मीनल के पास तब भी नहीं था जब मीनल पहली बार लंदन में मां बन रही थी। मीनल ने बेटी को जन्म दिया। बेटी का नाम करीमा रखा गया। इसके बाद मीनल और जैक के बीच तलाक भी हो गया और मीनल दिल्ली शिफ्ट कर गई। वह यहां की हाई सोसायटी में  मूव करने लगी।


मीनल दिल्ली में मोदी परिवार के ए-1 महारानी बाग वाले बंगले में आने-जाने लगी। यहां पर ही ललित उसकी जिंदगी में आए।  मोदी खानदान के करीबी कहते हैं कि  ललित मोदी की मनमानी से कृष्ण कुमार मोदी सदमें में आ गए। मोदी खानदान ने तय किया कि ललित मोदी को कृष्ण कुमार मोदी ग्रुप की शानदार कंपनी गोडफ्रे फिलिप के निदेशक मंडल में रख दिया जाए ताकि उन्हें हर महीने एक तय राशि मिलती रहे। इसके अलावा, ललित मोदी से हर तरह के संबंध तोड़ दिए गए। गोडफ्रे फिलिप भारत की सिगरेट का उत्पादन करने वाली विल्स के बाद सबसे बड़ी कंपनी है।


 बहरहाल, ललित मोदी के साथ मुंबई में उनकी पत्नी मीनल और उसकी पुत्री करीमा भी रहने लगे। ललित मोदी को लगातार अपने पिता से हर माह पैसा मिल ही रहा था। इसलिए उसकी जिंदगी  शानदार तरीके से कट ही रही थी।


मुंबई में रहते हुए ललित मोदी क्रिकेट की दुनिया में दिलचस्पी लेने लगे। अब उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसाई) में कोई पद पाने की भी इच्छा होने लगी। कहते हैं, तब उनकी राजस्थान की उस समय की चीफ मिनिस्टर वसुंधरा राजे सिंधिया ने मदद की। सिंधिया की मार्फत ललित मोदी देखते ही देखते राजस्थान क्रिकेट संघ में खास हो गए। वे बीसीआईआई की अंदुरूनी सियासत में शरद पवार खेमें में शामिल हो गए। यही वह समय था जब उन्होंने भारत में आईपीएल का आगाज किया।  साल था 2008।  आईपीएल ने भारतीय क्रिकेट का चेहरा-मोहरा बदल दिया। उसका श्रेय ललित मोदी को मिलने लगा। पर उसी दौर में ललित मोदी पर तमाम घोटाले करने के आरोप भी लगने लगे। जब लगा कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएग तो वह 2010 में लंदन भाग गए। वे तब से वहां पर ही


देखिए वक्त कैसे घूमता है। इस बीच, ललित मोदी की पहली पत्नी से पुत्री करीमा का भारत के शिखर उद्योगपति विवेक बर्मन के पुत्र गौरव से अफेयर हो जाता है। जिस स्थिति से ललित मोदी गुजरे थे मीनल से विवाह के वक्त, उसी स्थिति से दो-चार होना पड़ा गौरव को। डॉबर ग्रुप के चेयरमेन विवेक बर्मन ने अपने पुत्र से दूरी बना ली जब वह करीमा से शादी करके ही माना। वह अपनी पुत्री की शादी में नहीं थे। वे तब तक लंदन पहुंच चुके थे। ललित मोदी के पिता कृष्ण कुमार मोदी का सन 2019 में नई दिल्ली निधन हो गया था। वह तब भी अपने पिता की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए दिल्ली नहीं आये थे। तब एक उम्मीद थी कि वे शायद पिता के अंतिम बार दर्शन करने आएंगे।


 कृष्ण कुमार मोदी ने अपने पिता गुजरमल मोदी की 1974 में मृत्यु के बाद मोदी उद्योग समूह को संभाला था। हालांकि आगे चलकर उसमें  बंटवारा हुआ। कृष्ण कुमार मोदी की  मृत्यु के बाद उनके समूह की कंपनियों को उनके छोटे पुत्र समीर और पुत्री चारू मोदी संभालते हैं। कृष्ण कुमार मोदी ने एक बार इस लेखक को फिक्की सभागार में एक इंटरव्यू के दौरान बताया था मोदी कुनबे का सरनेम गर्ग है, पर मोदी लिखते हैं।


ललित मोदी का तो अपनी मां बीना मोदी के साथ ही संपति विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सन 7 दिसंबर 2021 कोदोनों मां- बेटे को सलाह दी थी कि वे मिल-बैठकर अपने सारे मसले हल कर लें। बीना मोदी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और हरीश साल्वे पैरवी कर रहे थे।


 मतलब साफ है कि ललित मोदी की अपने घर वालों से कभी बनी ही नही। कहते हैं, वे मिनट-मिनट में आवेश में आकर किसी पर भी चीखने लगते हैं। हो सकता है कि सुष्मिता सेन के साथ रहकर वे नरम पड़ें।


 अगर बात सुष्मिता सेन की करें तो वह राजधानी के  वसंत कुंज के मिडिल क्लास परिवार से आती है। सुष्मिता सेन के पिता एयरफोर्स में  थे। सुष्मिता सेन ने एयर फोर्स स्कूल में पढ़ाई की थी। सुष्मिता सेन 1994 में जब मिस यूनिवर्स बनी थीं तब उसका परिवार वसंत कुंज में ही रहता था।

-ललित मोदी और सुष्मिता सेन की फोटो सोशल मीडिया में वायरल होते ही वसंत कुंज में सुष्मिता सेन के कुछ पड़ोसियों को उनके बचपन के दिन याद आने लाजिमी थे। सुष्मिता सेन जब मिस यूनिवर्स बनी थी तो उसके घर के आगे लोग खड़े हो जाते थे उसका दीदार करने के लिए। सुष्मिता सेन का परिवार अब भी वसंत कुंज में रहता है। वहां उसकी सहेलियों के परिवार अब भी रहते हैं। उसकी सहेलियों की  शादियां हो चुकी हैं। वह दुर्गा पूजा के मौके पर दिल्ली आती है, तो वसंत कुंज में अपने पेरेनेट्स के साथ ही रहती है। 


अपनी शर्तों पर जिंदगी गुजारने वाली सुष्मिता


सुष्मिता सेन 1994 की मिस यूनिवर्स बनने के बाद बॉलीवुड में चली गईं थीं।  वहां उन्होंने मैं हूं ना,दस्तक,  बीवी नंबर वन, फिजा जैसी फिल्मों में अहम किरदार निभाए। उन्होंने 1997 में महेश भट्ट की फिल्म दस्तक से फिल्मी दुनिया में दस्तक दी थी । दस्तक को सफलता नहीं मिली। पर उनके काम को सबने सराहा। दूसरी फिल्म जोर भी नहीं चली। डेविड धवन की फिल्म बीवी नंबर वन में सुष्मिता सेन ने बीवी नंबर टू का रोल किया और यह उनकी पहली हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस अवार्ड भी मिला। अब देखने वाली बात है कि वो गुस्सैल ललित मोदी को कितना नरम बनाती हैं.


नीचे क्लिक करके सुन भी सकते हैं.


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