आज आचार्य बालकृष्ण जी का जन्म दिवस है। यह आलेख मेरी किताब , मेरे आसपास के लोग , से प्रकाशित है ।
मेरे अंतरंग
आचार्य बालकृष्ण !
यह अजब-गजब संयोग है कि आचार्य बालकृष्ण कब और कैसे मेरे अंतस में उदित हुए और कैसे मेरे चित्त में विराजमान हो गए… रेखांकित करना मुश्किल है । उनकी सादगी, सरलता और निश्छलता मोहित करती है ।
ऋषिकेश आते-जाते उनसे बेसबब मिलना आनंद देता है । पहली भेंट तब हुई जब ऋषिकेश में गंगा समारोह के समापन के बाद उन्होंने पूरी टीम को पतंजलि में सम्मानित किया । स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण जी का आत्मीय सत्कार.... यह सिर्फ सत्कार नहीं रहा, यह पतंजलि परिवार से जुड़ने का अवसर रहा । यह स्नेह, प्रेम समय के साथ और प्रगाढ़ होता जा रहा है ।
ऋषिकेश से लौटते हुए पतंजलि रुकते हैं, आचार्य बालकृष्ण जी से मुलाकात होती है ।... हां, टिल्लन जी बाबा रामदेव जो भाषण देते हैं उस पर किताब बननी है, कोई बढ़िया जिम्मेदार आदमी बताइए ।
... मैं खामोश रहा, दो मिनट बाद फिर बोले, हां बताइए कोई बढ़िया आदमी ।
... मुझसे बेहतर कोई क्या मिलेगा । मैंने कहा
... करोगे, कर दोगे जिम्मेदारी से । कब से शुरू करोगे ।
मैं बोला, दो दिन बाद आ जाता हूँ ।
... ठीक है, आइये । स्वागत है । मैं तब तक आपके बैठने आदि की सब व्यवस्था करवा देता हूँ । आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा।
मैं निर्धारित तिथि पर पतंजलि प्रवास के लिए पहुँच जाता हूँ । एक सहयोगी साथ हैं जो मेरे ठहराने आदि की व्यवस्था करते हैं, कहां बैठ कर काम करना है, सब बताते हैं । फ्रेश होता हूँ । भोजन आदि के बाद आचार्य बालकृष्ण जी से मिलता हूँ ।... जरूरी निर्देश के साथ वे कुछ सीडी और काफी लिटरेचर देते हैं, साथ ही एक सहयोगी जो मेरा पूरा ख्याल रखेगा । मेरी हर जरूरत पूरी करेगा ।
दो दिन तो मैंने वह सब पढ़ने में लगाया जो मुझे सी डी व अन्य सामग्री के रूप में दिया गया था । बहुत जानकारीपूर्ण सामग्री थी ज्यादातर काले धन संबंधी थी ।... 10-10 दिन के तीन प्रवास में किताब सिरे चढ़ गई । किताब की मैंने स्क्रिप्ट ही नहीं बल्कि पेज डिजायन भी तैयार किया। फाइनल चेकअप के बाद पेन ड्राइव आचार्य बालकृष्ण जी को सौंप दी ।... यह काम निबटने के बाद मेरे सहयोगी ने कहा, चलिए अब काम हो गया । अब आपको 'योगग्राम'ले चलते हैं ।... बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि क्या है... इनके काम से प्रत्यक्ष हुए बिना आप नहीं समझ सकते ।
इन दिनों बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के कामों की ख्याति चौतरफा फैल रही है । आचार्य बालकृष्ण जी की सक्रियता बढ़ी हुई है । आचार्य बालकृष्ण ने शोध के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है अपने सह लेखकों के साथ अब तक बहुत सारे शोध पत्र लिख चुके हैं। सभी शोधपत्र योग, आयुर्वेद से संबन्धित हैं। आचार्य बालकृष्ण ने विभिन्न विद्यालयों के परिसर में मिलने वाले खाद्य पदार्थों के संबंध में अध्ययन किया और इनकी विश्वसनीयता जानने के लिए प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण भी किया है ।
4 अगस्त 1972 को हरिद्वार उत्तराखंड में जन्मे आचार्य बालकृष्ण ने संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान में निपुणता प्राप्त की और इसका प्रचार-प्रसार का कार्य करते रहे हैं। उनका जन्म दिवस पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से जुड़े लोग 'जड़ी-बूटी दिवस'के रूप में मनाते हैं।
आचार्य बालकृष्ण का अपना बचपन पश्चिमी नेपाल के सियांग्जा ज़िले में बीता, जहां उन्होंने कक्षा पांच तक पढ़ाई की। वो बताते हैं कि जन्म तो मेरा भारत का है । मेरे माता-पिता अभी भी नेपाल के पुश्तैनी घर में रहते हैं।
हरियाणा में खानपुर के एक गुरुकुल में पढ़ाई करने के दौरान वे 1988 में बाबा रामदेव के मित्र बन गए। उसके बाद से दोनों साथ काम कर रहे हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेद केंद्र के माध्यम से पारंपरिक आयुर्वेद पद्धति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। बालकृष्ण जी ने आयुर्वेदिक औषधियों से सम्बंधित कई पुस्तकें भी लिखी है। आचार्य बालकृष्ण ने बाबा रामदेव के साथ मिलकर हरिद्वार में आचार्यकुलम की स्थापना की। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़े हैं
आचार्य बालकृष्ण को पिछले दिनों भारत के 50 शीर्ष अरबपतियों की फ़ोर्ब्स सूची में शामिल किया ग.या है।
आचार्य बालकृष्ण भारत में योग और आयुर्वेद की आध्यात्मिक परंपरा और भारत की प्राचीन चिकित्सा एवं जीवन शैली की परंपराओं के ध्वजवाहक हैं। वह पारंपरिक औषधीय चिकित्सकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी चिकित्सा पहचान, प्रमाणीकरण और स्थापना के स्पेक्ट्रम के लिए काम कर रहे हैं।
पतंजलि ट्रस्ट के संस्थापक सचिव, पतंजलि रिसर्च जो मानव के पूर्ण कल्याण के लिए स्वदेशी ज्ञान के पुनरुद्धार के लिए भारत में अग्रणी संगठन है, अध्यक्ष और एमडी हैं। पतंजलि आयुर्वेद के रूप में उनकी उद्यमशीलता ने बड़े पैमाने पर आयुर्वेद के साथ वैश्विक व्यापार बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। वह एक महान दूरदर्शी, आध्यात्मिक, तपस्वी, ऊर्जावान, मेहनती, सरल, सुगम और बहुआयामी कौशल वाला बहुमुखी व्यक्तित्व हैं जो लगातार मानव जाति की सेवा में लगे हुए हैं ।
आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद, संस्कृत भाषा और वेदों के महान विद्वान हैं। उन्होंने सांख्य योग, आयुर्वेद, संस्कृत भाषा, पाणिनि की उपाधि, वेद, उपनिषद और भारतीय दर्शन का अध्ययन किया। पौधों के लिए कम उम्र के जुनून के साथ, वह सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित हर्बल विशेषज्ञ हैं। उन्होंने ‘संजीवनी’, ‘सोमा’, ‘स्वर्णकेशरी’, ‘स्वर्णरेखा’, अंतरिक्ष चार दुर्लभ और विलुप्त ‘अरावगा पौधे’ की खोज की और जैव विविधता संरक्षण के लिए कई पहल की हैं। वर्तमान में हर्बल गार्डन और हर्बेरियम की स्थापना के लिए ‘वर्ल्ड बोटैनिकल’ पर काम कर रहे हैं।
प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए नए तरीकों को प्रकट करने के लिए, ज्ञान और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए अंतराल को भरने वह स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली यानी योग और आयुर्वेद और डिजिटल स्वास्थ्य के माध्यम से निवारक, नैदानिक और रोगों के चिकित्सीय हस्तक्षेप को बनाने और सुधारने के लिए अनुसंधान कार्यों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
दुनिया की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को मजबूत करने के लिए वह वर्तमान में 'मल्टीवोल्यूम वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया’ पर काम कर रहे हैं जिसमें 60, 000 औषधीय पौधों की प्रजातियों का वर्णन है जिसमें दुनिया के सबसे बड़े मेडिकल प्लांट चित्रों का संग्रह है। उनके विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध लेख प्रकाशित हुए हैं और 41 पेटेंट अधिकार प्राप्त किए हैं। योग और आयुर्वेद पर 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं और 18 से अधिक अप्रकाशित प्राचीन आयुर्वेद पांडुलिपियों का संपादन किया। शास्त्र ‘आयुष दर्शन’ की 10 मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और इसके अलावा, ‘आयुर्वेद का विज्ञान’ दुनिया भर में 71 भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है।
पिछले दो दशकों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य के दर्शन के साथ, उन्होंने प्रभावी रूप से पुरानी और गैर-संचारी रोगों की संख्या वाले 1. 5 मिलियन से अधिक रोगियों को ठीक किया। वर्तमान में 1500 से अधिक पारंपरिक डॉक्टर प्रति वर्ष 7 मिलियन से अधिक रोगियों को मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं और 1 मिलियन स्वयंसेवक प्रतिदिन 50 मिलियन लोगों को मुफ्त योग प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
वह भारत के सोशल मीडिया में मोस्ट फॉलोवर एंटरप्रेन्योर हैं, जिनके विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 7 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए एक विचारधारा के साथ उन्होंने मुफ्त गुणवत्ता शिक्षा संस्थानों, आयुर्वेदिक कॉलेज और विश्वविद्यालय की स्थापना की ताकि सभी बच्चे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिए और अपने समुदायों और दुनिया में योगदान कर सकें। इन संस्थानों का कार्यक्रम 1 मिलियन से अधिक सामुदायिक सदस्यों तक पहुंच गया है। वह जैविक प्रथाओं के माध्यम से कृषि परिवर्तन को चलाने में मदद कर रहा है और यह सुनिश्चित करता है कि यह जैविक कृषि परिवर्तन समावेशी है यानी कृषि उत्पादकता में वृद्धि; किसान आय में वृद्धि; और एक सुरक्षित, सस्ती, पौष्टिक आहार वर्ष भर की समान खपत में वृद्धि। उन्होंने पोस्ट-डिजास्टर नीड्स एसेसमेंट में एक महत्वपूर्ण मानवीय भूमिका निभाई, साथ ही लोगों और सरकार को तत्काल जरूरतों पर मदद करने के लिए; और सुनामी 2004, बिहार बाढ़ 2008, उत्तराखंड आपदा 2013 और नेपाल भूकंप 2015 में शुरुआती रिकवरी आवश्यकताओं के लिए सह-नेतृत्व किया। उन्हें अपने असाधारण स्तर के ज्ञान, काम करने के जुनून के लिए प्रतिष्ठित ‘आयुर्वेद एक्सपर्ट’, ‘मानव रतन’, ‘भारत गौरव’, ‘इंडियन ऑफ द ईयर’, ‘भीष्म पुष्कर’, लोकमान्य तिलक ‘और’ ट्रांसफॉर्मल बिजनेस लीडर ‘पुरस्कारों से अलंकृत किया गया।
50 साल के हो रहे आचार्य बालकृष्ण भारत की सबसे तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ती उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनी पतंजलि आर्युवेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। फ़ोर्ब्स के मुताबिक आचार्य बालकृष्ण भारत के 48वें अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी कुल संपत्ति ढाई अरब अमरीकी डॉलर है। इन सब के बाबजूद आचार्य बालकृष्ण का रहन सहन, खानपान बहुत साधारण है । वे बहुत सामान्य ज़िंदगी जीते हैं । पतंजलि आयुर्वेद के रोज़मर्रा का कामकाज उन्हीं के ज़िम्मे है। वे कहते हैं कि कंपनी की संपत्ति उनकी निजी नहीं है, बल्कि उस ब्रांड की है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा प्रदान करता है।
आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में 97 फीसदी के स्वामित्व के साथ फ़ोर्ब्स सूची में अपनी जगह बनाई है । इस कंपनी की स्थापना उन्होंने साल 2006 में भारत के सबसे लोकप्रिय योग गुरु बाबा रामदेव के साथ मिलकर की थी। आचार्य बालकृष्ण कहते है कि अरबपतियों की सूची में उनका नाम आना, पतंजलि में भारतीय उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे का सबूत है, जो बाज़ार में क़रीब साढ़े तीन सौ उत्पाद बेचती है। उन्होंने कहा, "कंपनी की संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है ये समाज और समाज सेवा के लिए है।"
आचार्य बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के महासचिव भी हैं, जो क़रीब 5, 000 पतंजलि क्लीनिक की देखभाल करती है और एक लाख से ज्यादा योग कक्षाओं का संचालन करती है।
आचार्य बालकृष्ण बताते हैं कि वो और बाबा रामदेव 11, 000 कर्मचारियों वाली कंपनी से कोई तनख़्वाह नहीं लेते। आचार्य बालकृष्ण को योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है ।
23 अक्टूबर 2004 को एक योग शिविर के दौरान राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम के द्वारा सम्मान दिया गया।
अक्टूबर 2007 में नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति में योग, आयुर्वेद, संस्कृति और हिमालयी जड़ी बूटी के छिपे ज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए उनके योगदान के लिए सम्मान प्रदान किया गया।
वर्ष 2012 में योग और औषधीय पौधों के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए श्री वीरंजनया फाउंडेशन द्वारा "सुजाना श्री"पुरस्कार प्रदान किया गया।
आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद, संस्कृत भाषा और वेद के ज्ञाता हैं, जिन्होंने जड़ी-बूटियों पर कई किताबें और शोध-पत्र लिखे हैं। बालकृष्ण कहते हैं कि पतंजलि ने क़रीब 100 वैज्ञानिकों को जड़ी-बूटियों के शोध के काम में लगा रखा है और 'जड़ी-बूटियों का एक विश्वकोश'तैयार किया है ।
आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद से संबंधित किताबें भी लिखीं हैं । आयुर्वेद सिद्धान्त रहस्य, आयुर्वेद जड़ी-बूटी रहस्य, भोजन कौतुहलम्, आयुर्वेद महोदधि, अजीर्णामृत मंजरी, विचार क्रांति । वो बताते हैं कि उन्होंने क़रीब 65, 000 किस्म की जड़ी-बूटियों पर काम किया है । जड़ी-बूटियों के औषधीय गुण पर लिखी उनकी एक किताब की एक करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। उन्होंने ये भी बताया कि जड़ी-बूटियों के जिस विश्वकोश पर वो काम कर रहे हैं वो क़रीब डेढ़ लाख पन्नों की है । आचार्य बालकृष्ण कहते हैं, मुझ पर मेरी मां का गहरा प्रभाव है और वो मेरी प्रेरणास्रोत भी हैं। जड़ी-बूटियों के मेरे ज्ञान का आधार मां के घरेलू नुस्खे है ।
ऐसे ज्ञानी, ध्यानी और विज्ञानी आचार्य बालकृष्ण का सहज सान्निध्य अपना सौभाग्य है ।
अभी हाल फिलहाल की उपलब्धि है । स्वामी रामदेव के दिशानिर्देशन और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के करीब 150 वैज्ञानिकों ने भारतीय किसान तथा कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है। इस योजना को ‘नव हरित क्रांति-एन एग्रो विजन’ पुस्तक में संकलित किया गया है। हरिद्वार में 19 दिसंबर को इस संकलन के माध्यम से कृषि से जुड़ी बुनियादी समस्याओं के निस्तारण, कृषि को सरल बनाने और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए भावी योजनाओं पर विचार किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि के लिए पतंजलि के पास भावी योजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि जैविक कृषि प्रशिक्षण से लेकर जैविक खाद, उच्च गुणवत्तायुक्त बीज और उर्वरक कम कीमत पर किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब तकनीक के क्षेत्र में भी पतंजलि ने किसानों की सहायता के लिए आधुनिक ऐप डेवलप किए हैं, जिनकी मदद से भूमि की जीयो-मैपिंग, जीयो फैंसिंग तथा मौसम का पूर्वानुमान जैसी बुनियादी जानकारियां आसानी से सुलभ हो सकेंगी।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का लक्ष्य किसानों की आय में वृद्धि करना, कृषि संबंधी डिजिटल सॉल्यूशन्स तथा सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देश के अंतिम किसान तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से विगत एक दशक में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से वैज्ञानिकों की ओर से विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने किसान और सरकार के बीच की दूरी को खत्म करने का काम किया है। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद्र ने कहा कि पतंजलि ने कृषि संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए एक बुनियादी ढांचा तैयार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह संभावनाएं तलाशने वाला नहीं, बल्कि संभावनाएं क्रिएट करने वाला डॉक्यूमेंट है। वहीं, कृषि नीति विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पतंजलि का डॉक्यूमेंट बहुत व्यापक और महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि किसानों की दशा सुधारने के लिए किसी को नेतृत्व करना होगा और पतंजलि ऐसा करने में सक्षम है।
इस नव हरित क्रांति के बारे में आचार्य बालकृष्ण जी ने ऋषिकेश में हुई आकस्मिक मुलाकात में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी की मौजूदगी में संकेत दिए थे । बाद में उन्होंने 22 दिसंबर 2021 को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित हमारे 'जल संवाद'कार्यक्रम में 'नव हरित क्रांति'पुस्तिका का लोकार्पण भी किया और संक्षेप में इस विषय की चर्चा की । अपने सम्बोधन में उन्होंने परंपरागत खेती किसानी और मेड़बन्दी आदि पर बात की और बताया कि इस सिलसिले में पतंजलि बहुत ही प्रभावी भूमिका में आने वाला है ।
शिष्ट विशिष्ट श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण से अंतरंगता हमारा ऊर्जा स्रोत हैं ।