छोटूराम की दो बेटियां थी कोई बेटा नहीं था उनको बोला लोगों ने कि आप दूसरी शादी कर लो आपके बेटा नहीं है तो सर चौधरी छोटूराम कहते थे कि कौन कहता है मेरे पास बेटा नहीं है पलवल से पेशावर तक जो हल की हथेली पर हाथ रखता है और जिसके कुर्ते से मेहनत के पसीने की गंध आती है वो सब मेरे बेटे हैं,,
यानी वो सबको अपना मानता था वो सिर्फ जाटों का नेता नहीं था वो सबका था उसने सबके लिए किया,,वो कहता था दुश्मन पहचान ले आज वही दुश्मन तुम्हें आपस में बांट रहा है और तुम उसके जयकारे लगा रहे हो,,
वो तुम्हारे मुद्दे भुलवाकर तुम्हें नए मुद्दे परोस रहा है,,
वो कहता है छोटूराम सिर्फ जाटों का था तो तुम उसे सिर्फ जाटों का ही मान रहे हो
वो तुम्हारा था तुम्हारा है और तुम्हारा ही रहेगा,,
तुम तो बनो कभी उसके,,
दलितों को भूमि दान( मुल्तान) - 13 अप्रैल 1938
दलितों व किसानों को 5-5% आरक्षण - 1939
कुएँ का पानी सबके लिए - 1 जुलाई 1940
कुमहारो की चाक लाग - 5 जुलाई 1941
नाईयो की करतन लाग - 26 जुलाई 1941
जागीरदारी प्रथा निषेध - 1942
जेनडर इक्विटी एक्ट - 1942