शनिवार, 29 दिसंबर, 2012 को 22:50 IST तक के समाचार

बलात्कारियों के लिए कड़ी सज़ा की मांग करते प्रदर्शनकारी
दो हफ़्ते पहले दिल्ली में एक चलती बस में एक 23 वर्षीय लड़की का बलात्कार करने वाले लोग भले ही उसकी जान-पहचान के न हों लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 10 में से नौ बलात्कारी पीड़िता के दोस्त या घर के लोग ही होते हैं.
ताज़ा खबरों के मुताबिक अपनों की बुरी नज़र का शिकार होने की दो घटनाएं राजस्थान में प्रकाश में आई हैं. एक ओर जहां जयपुर में पुलिस ने एक पिता को अपनी 13 साल की बेटी के बलात्कार के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. वहीं कोटा में एक जीजा को अपनी नाबालिग साली के साथ बलात्कार करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है.राजस्थान की इन दोनों घटनाओं को छोड़ दें तो नज़दीकी रिश्तेदारों के हाथों यौण शोषण के मामले सामने नहीं आ पाते हैं.
विशेषज्ञ कहते हैं कि बलात्कार के अधिकतर मामले पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज़ किए ही नहीं जाते. फिर भी दर्ज़ किए गए अपराधों में बलात्कार का अपराध दूसरे ज़ुर्मों के मुकाबले सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है.
चिंता की बात यह है कि इसमें सज़ा दूसरे अपराधों की तुलना में सब से कम हो रही है.
सरकार कहती है
"प्रदर्शकारियों की भावनाएं सही हैं. सज़ा कड़ी से कड़ी होनी चाहिए लेकिन मेरे विचार में नए कानून बनाने की ज़रुरत नहीं. ज़रुरत है कानून को अधिक मज़बूत करने की और पुलिस को सही ट्रेनिंग दिए जाने की."
रविकांत, शक्तिवाहिनी संस्था
आंकड़ों पर नज़र डालें तो बलात्कार के मामलों में मध्य प्रदेश सब से आगे है. पिछले साल राज्य में बलात्कार के 3,406 मुक़दमे दर्ज किये गए थे. अगर शहरों की बात करें तो वर्ष 2011 में बलात्कार के 507 मामलों के साथ दिल्ली सबसे आगे रही. उसी साल मुंबई में 117 मुक़दमे दर्ज किये गए.
पीड़ितों के बीच काम करने वाली संस्था शक्ति वाहिनी के अध्यक्ष रवि कांत कहते हैं कि बलात्कार के मामले तेज़ी से इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि पुलिस वालों और पुलिसिंग दोनों में कई खामियां हैं.
वह कहते हैं, "पुलिस महकमे को महिलाओं पर अत्याचार के प्रति संवेदनशील बनाने की ज़रुरत है. जांच की खामियों को दूर करना होगा व कानून को और मज़बूत करना होगा"
कड़ी सज़ा की मांग

बलात्कार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है
वह कहते हैं, "प्रदर्शकारियों की भावनाएं सही हैं. सज़ा कड़ी से कड़ी होनी चाहिए लेकिन मेरे विचार में नए कानून बनाने की ज़रुरत नहीं. ज़रुरत है कानून को अधिक मज़बूत करने की और पुलिस को सही ट्रेनिंग दिए जाने की."
दिल्ली में 23 वर्षीय लड़की के साथ हुए बलाता्कार और उसकी मौत के बाद रेप जैसे अपराध पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है. बलात्कारियों को मौत की सज़ा दिलाने की बात की जा रही है.
लेकिन कुछ समाज सेवकों का यह तर्क है कि कानून से बलात्कार जैसे अपराध को रोकने की कोशिश से ज़्यादा जरूरत इस बात की है कि लोगों की मानसिकता बदली जाए.
रवि कांत कहते हैं दोनों पहलुओं पर ज़ोर देना ज्यादा उचित होगा. "कानून को सशक्त बनाने के साथ-साथ समाज की औरतों के प्रति मानसिकता बदलने की भी कोशिश करनी होगी".
शायद इसी लिए दिल्ली की युवती के खिलाफ बलात्कार पर प्रदर्शनों के बावजूद पिछले दस दिनों में बलात्कार की घटनाएं अब भी घट रही हैं।