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और घुटना टेकना पड़ा पाकिस्तान को

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 #मैं_हूं_भारत 🇮🇳

सुखवीर सिंह ड़ड़वाल 


घास फूस खाने वाले हिंदू में क्या औकात है जो हमारा मुकाबला करेंगें, वह भी शास्त्री, वह बहुत कमजोर प्रधानमंत्री है – जुल्फिकार अली भुट्टो।


राष्ट्रपति अयूब खान ने पूछा क्या भारत अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके हमला कर सकता है?

सारे कमांडर ठहाके लगाने लगे। अमेरिका हमारे साथ है, वह अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार किये तो दिल्ली भी हाथ से चला जायेगा।


इस विचार से पाकिस्तान ने 1965 में लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करके ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया।

अखनूर सेक्टर में पैटन टैंकों ने भारी तबाही मचा रखी थी। हमारे पास हथियार भी नहीं थे।

पाकिस्तान को शुरुआती बढ़त मिल गई।

सेना अध्यक्ष जनरल चौधरी, वेस्टर्न कमांडर जनरल हरबख़्स सिंह को आदेश दिया कि अखनूर में अमृतसर से सेना भेजें।

हरबख़्स सिंह ने इनकार कर दिया! यह बहुत बड़ी घटना थी।

जनरल हरबख्श सिंह इस बात पर अड़ गये की आप प्रधानमंत्री से बात करिये।


जनरल चौधरी आधी रात को प्रधानमंत्री शास्त्री से मिलने गये।

उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी हम कश्मीर खो देंगें।

प्रधानमंत्री ने पूछा क्या करना चाहिये?

जनरल चौधरी ने कहा वेस्टर्न कमांडर हरबख़्स सिंह चाहते हैं हम अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करें।

लेकिन इससे व्यापक युद्ध छिड़ सकता है। अमेरिका पाकिस्तान का साथ देगा।

हमें अखनूर में और सेना भेजनी चाहिये।

शास्त्री जी ने कहा – भारत कश्मीर को बचाने के लिये सब कुछ करेगा। जनरल हरबख्श सिंह की राय ठीक है।

आप अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करके लाहौर पर आक्रमण करिये।

यह लिखित आदेश शास्त्री जी ने प्रोटोकॉल तोड़कर बिना मंत्रिमंडल की बैठक के दिया।

सुबह 6 बजे हरबख्श सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना ने लाहौर पर आक्रमण कर दिया।

सारी दुनिया आश्चर्यचकित हो गई।

पाकिस्तान ने घुटने टेक दिये।

'In the line of duty'हरबख्श सिंह ने अपनी किताब में विस्तार से लिखा है। पद्मविभूषण, पद्मश्री, वीरचक्र से हरबख्श सिंह को सम्मानित किया गया।


घास फूस खाने वाले, छोटेकद के शात्री जी ने अपने निर्णय से बता दिया कि वीरता किसे कहते हैं।।

सिंह डडवाल 


जयतु भारत 🚩


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