आज बंसी लाल की 95वीं जयंती है...
बंसी लाल अपने बेटे सुरिंदर सिंह की शादी में खुद नहीं गए थे क्योंकि वो कट्टर आर्य समाजी थे और सादगी भरी जिंदगी जीने में यकीन रखते थे. शादी के बाद उन्होंने एक प्रीति भोज ज़रूर दिया था जिसमें उन्होंने उस समय भिवानी में डिप्टी कमिश्नर के पद पर काम कर रहे और बाद में हरियाणा के मुख्य सचिव बने राम वर्मा को भी बुलाया था. राम वर्मा बताते हैं, 'मैं और मेरी पत्नी सावित्री उस भोज में उनके यहां गए. मेरी पत्नी ने कांजीवरम की साड़ी पहन रखी थी और उनके कानों में सोने के छोटे से बुंदे थे. बंसी लाल की पत्नी विद्यावती मेहमानों का स्वागत कर रही थीं. जब उन्होंने मेरी पत्नी को बिना जेवरों के देखा तो वो आश्चर्यचकित रह गईं. उनके मुंह से निकला, 'अरे छोरी तू तो नागी बूची आ गई'. वो मेरी पत्नी को घर के अंदर ले गईं और अपने हाथों से एक पेंडेंट के साथ सोने की एक चेन पहना दी. मेरी पत्नी जब बाहर आई तो थोड़ा नाराज़ थी. मैंने उसे समझाया कि इनके बोलने का यही तरीका है. अगर इनकी बेटी भी इसी तरह आती तो उन्होंने उसके साथ भी यही किया होता. दावत के बाद मैं और मेरी पत्नी सोने की वो चेन लौटाने विद्यावती के पास गए तो उन्होंने उसे वापस लेने से साफ़ इंकार कर दिया. इस तरह शादी में तोहफ़ा देने के बजाय हम तोहफ़ा ले कर वापस लौटे....'
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