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रवि अरोड़ा की नजर से

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 सूरत हराम /  रवि अरोड़ा 



नजदीकि मित्र की पुत्र वधू को हाल ही में सुंदर सी बेटी प्राप्त हुई है। डिलीवरी के लिए पुत्र वधू को अस्पताल वालों ने 19 अगस्त की सुबह बुलाया था । मगर वहां पहुंच कर मित्र के परिजन हैरान ही हो गए । अस्पताल के जच्चा बच्चा वार्ड में बहुत अधिक भीड़ और गहमागहमी थी। पूछने पर पता चला कि आज जन्माष्टमी है और अधिकांश लोग इस इच्छा से आए हैं कि उनकी गर्भवती महिलाओं का आज ही के दिन बच्चा हो जाए । मित्र के परिवार वाले चूंकि सिख धर्म के अनुयाई हैं, अतः डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि आपको तो आज और कल में कोई फर्क नहीं पड़ता सो आपके स्थान पर आज हम किसी अन्य इच्छुक की डिलिवरी करवा रहे हैं। आप लोग कल सुबह आ जाइए।  हैरान परेशान मित्र ने अन्य महिला डॉक्टरों, नर्सिंग होम और अस्पतालों में पता किया तो वहां भी यही रेलमपेल दिखी और अन्य नियत तारीख के बावजूद बहुत से लोग जन्माष्टमी पर ही डिलिवरी करवाना चाहते थे । यह सब देख सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा । जान कर खुशी भी हुई कि हमारे लोग अपने इष्ट से कितना प्रेम करते हैं मगर अगले ही दिन जब ख़बर सुनी कि जन्माष्टमी पर ही वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के समय दम घुटने से दो लोगों की मौत हो गई और पचास लोग बेहोश हो गए तो कसम से बड़ी कोफ्त हुई । 


मेरे इर्द गिर्द के लगभग सभी लोग धर्मभीरू हैं। हालांकि कुछ लोग ईश्वर से सच्चा प्रेम भी करते हैं मगर अधिकांश उससे डरते हैं। अपनी तमाम सफलताओं की मुख्य वजह उन्हें यही लगती है कि उनकी भक्ति से ईश्वर खुश है और इसी के चलते वे अपने जीवन में भक्ति के डोज लगातार बढ़ाते चले जाते हैं।

मैं ऐसे भी बहुत लोगों को जानता हूं जो ईश्वर से बाकायदा डील करते हैं। जैसे कि आप मेरा यह काम कराओ बदले में मैं आपके मन्दिर में इतनी बार आऊंगा अथवा यह भेंट चढ़ाऊंगा। ऐसे लोग भी बहुत हैं जो भगवान को अपना पार्टनर ही बना लेते हैं और अपने व्यापार में विधिवत ईश्वर की हिस्सेदारी रखते हैं और तय तारीख पर पूरी ईमानदारी से किश्त अथवा हिस्सा देने अपने इष्ट के मन्दिर भी जाते रहते हैं। नकली दूध, घी और मसाले बनाने वाले और चोरी का माल खरीदने वाले भी पुलिस और अन्य सरकारी विभागों के भय से ईश्वर की पत्ती अपने अवैध व्यापार में रख लेते हैं।

हेराफेरी में माहिर इन लोगों की धार्मिक स्थलों पर भी जबरदस्त सेटिंग होती है और पंडे पुजारी इन्हें वीआईपी दर्शन कराने को ही सच्चे भक्तों को धकियाते हुए अपने ग्राहक को आगे ले जाते हैं। नेताओं और अधिकारियों से भी सौ काम पड़ते हैं सो पंडे पुजारी इन्हें मुफ्त में ये सुविधा उपलब्ध कराते हैं।

मोटी आसामी, नेताओं और अफसरों की नजरों में अपने नम्बर बढ़ाने को इन पंडों पुजारियों में आए दिन जूतम पैजार भी होती रहती है। सामाजिक कारणों से आजकल धर्म कर्म का दिखावा चूंकि बढ़ा है तथा धार्मिक पर्यटन भी खूब परवान चढ़ रहा है सो तीज त्यौहारों पर अधिकांश धार्मिक स्थलों पर भगदड़ मच जाती है और अनेक श्रद्धालुओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ता है। धर्म के नाम पर अज्ञानता की इससे बड़ी प्रकाष्ठा क्या होगी कि अपने किसी संबंधी की इस तरह हुई मौत को भी लोगबाग धर्म का हिस्सा मान बैठते हैं और कहते नहीं थकते कि साक्षात ईश्वर की मौजूदगी में उनकी मृत्यु हुई है सो वे सीधा स्वर्ग में ही जाएंगे।

अब जब मरने वालों को ही कोई गम नहीं तो भला सरकार भी क्यों बीच में कूदे, अतः तमाम धार्मिक स्थलों पर अव्यवस्था का यही बोलबाला है। इस पूरे खेल में किसी ताकतवर का कुछ नहीं बिगड़ता मगर हलकान वह होता है जो सच्ची श्रद्धा से धार्मिक स्थलों को जाता है और अपने कपड़े लत्ते फड़वा कर ही घर लौटता है। बुरा ना मानें तो कहूं, कई बार तो अपने धार्मिक स्थलों पर फारसी का शब्द सूरत हराम सटीक ही लगता है जिसमें ऊपर से तो सब कुछ भला चंगा है मगर अंदर सब कुछ पोला ही पोला है।


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