निलेन्दु जयपुरियार : एक निर्भीक पत्रकार
विजय केसरी
हजारीबाग के जाने-माने पत्रकार निलेन्दु जयपुरियार का आज जन्मदिन है । 4 जनवरी 1969 को निलेन्दु जयपुरियार का इस धरा पर आना हुआ था। तब शायद परिवार के किसी सदस्य ने यह कल्पना भी ना की थी कि निलेन्दु जयपुरियार बड़े होकर एक पत्रकार बनेंगे । इनमें बचपन से ही एक होनहार बालक के गुण विद्यमान थे। पिता स्वर्गीय उदय शंकर जयपुरियार के सरकारी सेवा में रहने के कारण निलेन्दु जयपुरियार ने आर.डी. टाटा हाई स्कूल से मैट्रिक एवं जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
निलेन्दु जयपुरियार में बचपन से ही एक पत्रकार बनने का गुण विद्यमान थे। बचपन से ही अखबार पढ़ना। रेडियो सुनना । पत्रकारों से मिलना। निलेन्दु जयपुरियार एक मेधावी विद्यार्थी रहे। वे चाहते तो कोई भी कॉम्पिटेटिव परीक्षा पास कर सकते थे। लेकिन उन्होंने अपने को इन परीक्षाओं से दूर रखा। जबकि इनके पिता स्वर्गीय उदय शंकर जयपुरियार चाहते थे कि बड़ा बेटा निलेन्दु जयपुरियार कोई सरकारी नौकरी में जाए। लेकिन निलेन्दु जी पत्रकार बनने की ठान ली थी। पिता के ना चाहते हुए भी निलेन्दु जी एक पत्रकार ही बने। इन्होंने प्रारंभ में रांची से प्रकाशित अखबार से जुड़कर पत्रकारिता आरंभ की थी। पत्रकारिता के कुछ वर्षों के अनुभव के बाद ये हिन्दी दैनिक 'हिंदुस्तान'के पत्रकार बने। कुछ वर्षों के अंतराल में 'हिंदुस्तान'हजारीबाग के चीफ ब्यूरो बने। बाद के कालखंड में उन्होंने रांची से प्रकाशित हिंदी दैनिक 'रांची एक्सप्रेस'के हजारीबाग संस्करण के संपादक के रूप में अपनी अलग पहचान निर्मित की। इसके उपरांत धनबाद से प्रकाशित हिंदी दैनिक 'आवाज'के हजारीबाग संस्करण के संपादक के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई । उन्होंने हिंदी दैनिक 'आवाज'को जन जन तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई थी।
तीन माह पूर्व ही निलेन्दु जयपुरियार ने हजारीबाग का पहला हिंदी दैनिक 'प्रातः आवाज'के संस्थापक संपादक के रूप में एक नई पारी की शुरुआत की। जहां तक मैं जानता हूं, निलेन्दु जयपुरियार महाविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद सीधे पत्रकारिता के क्षेत्र में कूद पड़े थे। इन्होंने किसी भी महाविद्यालय से पत्रकारिता की अलग से न कोई डिग्री ली और ना डिप्लोमा प्राप्त किया। इन्होंने 1988 से पत्रकारिता प्रारंभिक की थी। वे तब से लगातार लिखते चले आ रहे हैं।
निलेन्दु जयपुरियार बिना रूके, बिना झुके बीते 34 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। ये सहज, सरल, मृदुभाषी प्रकृति के व्यक्ति हैं। ये सबों से खुलकर मिलते हैं । इनकी प्रकृति मिलनसार है। यही कारण है कि निलेन्दु जी हजारीबाघ नगर में जिस क्षेत्र में भी चले जाएं, इनको जानने वाले लोग काफी संख्या में मिल जाएंगे।
एक निर्भीक व निष्पक्ष पत्रकार के रूप में इनकी पहचान पूरे प्रांत भर में है। इन्होंने पीत पत्रकारिता कभी नहीं की और ना ही समझौता ना किया । इन्होंने समाज के सच को उसी रूप में आमजन के सामने प्रस्तुत किया। इन्होंने समाज में व्याप्त, कुरीति,दहेज प्रथा, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता के खिलाफ भी जमकर लिखा। ये समाज में जागृति लाने के लिए एक से बढ़कर एक प्रेरणादाई खबरें प्रकाशित करते रह रहें हैं।
इन्होंने समाजोत्थान के क्षेत्र में क्रियाशील व्यक्तियों की कहानियों को बहुत ही प्रमुखता के साथ अपने दैनिक पत्र में स्थान दिया। संघर्षशील व्यक्तियों के संघर्ष की कहानियों को एक महत्वपूर्ण स्टोरी के रूप में प्रकाशित कर उन्हें सम्मान दिया। इन कहानियों का समाज पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ा। कई लोगो ने इन कहानियों को पढकर नई राह का चुनाव किया।
हजारीबाग की चीर लंबित मांग रेल से संबंधित आंदोलन की खबरों को इन्होंने बहुत ही तर्क पूर्ण ढंग से प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों और राज्य सरकार तक पहुंचाने में महती भूमिका अदा की। झारखंड अलग प्रांत आंदोलन की खबरों को भी बहुत ही अच्छे ढंग से प्रसारित किया। सन् 2000 में झारखंड अलग प्रांत बना। हजारीबाग को रेलवे लाइन से जोड़ दिया गया। निलेन्दु जी इन दोनों आंदोलनों को गतिशील व जन जन तक पहुंचाने में महती भूमिका अदा की।
आज इनकी पत्रकारिता की सराहना की जाती है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में निलेन्दु जयपुरियार एक निष्पक्ष पत्रकार के रूप में रिपोर्टिंग करते नजर आते हैं । सरकार चाहे जिनकी भी बने ! जो सच है ! वही खबर छपती हैं। इन्होंने पाठकों के बीच अपनी एक अलग विश्वसनीयता बनाई है। इस कारण कई नेतागण इनसे रुष्ट भी हो जाते हैं। निलेन्दु जी
इन बातों की कभी परवाह नहीं करते। वे निरंतर आगे बढ़ते चले जा रहे हैं ।