”हमलों से वो डरें जिन्हें जीने की चाह हो. भड़ास एक आत्मघाती मानसिकता के साथ शुरू किया गया था कि मीडिया के हिप्पोक्रेटों चोरों दलालों शोषकों को नंगा किया जाएगा, अंजाम चाहें जो हो. इसी कारण भड़ास पर दर्जनों मुकदमे हुए, हमला हुआ, क्या क्या न हुआ… पर भड़ास का मिशन रूका नहीं.. एक टीवी संपादक की हमला करने की धमकी टीवी जगत के सारे संपादकों के लिए खुली चुनौती है कि उनके बीच किस तरह एक अपराधी मानसिकता का आदमी संपादक बना बैठा है. ये धमकी योगी राज की कानून व्यवस्था को भी चुनौती है. कैसे एक टीवी संपादक अपनी खबर दूसरी जगह छपने से बौखला गया और मारने पीटने की धमकी देने लगा. ऐसी धमकियां पत्रकारों को पहले नेता ठेकेदार अफसर आदि देते थे जो खबरों के छपने से तिलमिला जाया करते थे. यह पहली बार है जब एक टीवी संपादक अपनी खबरों के छपने से जान से मारने की धमकी दे रहा है. उसकी धमकी से किसी यशवंत सिंह को नहीं बल्कि पूरे मीडिया जगत को डरना चाहिए कि आखिर कैसे मीडिया के शीर्ष पद पर एक अपराधी किस्म का आदमी पहुंच जाता है और सारे संपादक टुकुर टुकुर ताकते रह जाते हैं. जो खबरें दिखाने के धंधे में हैं, उन्हें अपनी खबरों के छपने पर जान से मारने की धमकी देने की मजबूरी आ जाती है तो ये बड़ी शर्मनाक स्थिति है.
अतुल अग्रवाल की इस धमकी से भड़ास की मजबूती में इजाफा होगा और इस अपराधी की करतूतों का बेखौफ तरीके से भंडाफोड़ करना के काम को अब पूरे अभियान का रूप दे देना चाहिए, यही वक्त की मांग है. देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है. बाहुबल से कलम को झुकाने का यह कोई पहला प्रयास नहीं है. जाने कितने पत्रकार शहीद हुए सच्चाई को बेखौफ लिखने के कारण. ऐसे अतुल अग्रवालों की धमकियों से सच कहने का सिलसिला न रुका था न रुकने वाला है.
आज यशवंत सच लिख रहा है. कल ये न रहा तो कोई दूसरा यशवंत पैदा होगा साहस के साथ सच लिखने के लिए.”