भारत के मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी
🕓20 जनवरी, 1988,
प्रस्तुति - शैलेन्द्र किशोर जारुहार
आज ही के दिन 20 जनवरी 1988 को महान स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल गफ़्फ़ार खान दुनिया से हमेशा हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए। इन्होंने अपनी आधी से ज़्यादा ज़िंदगी जेल में गुज़ार दी शायद ही कोई इतने लम्बे वक़्त जेल में रहा हो। बाचा खान एकलौते पाकिस्तानी नागरिक है जिनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बाचा खान की जब वफ़ात हुई तो पाकिस्तानी जनरल ज़ियाउल हक़ के रोकने के बावजूद राजीव गांधी उनको श्रद्धांजलि देने पहुँचे थे।
खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान, महात्मा गांधी की तरह हमेशा अहिंसा के रास्ते पर रहे उन्होंने अपने ख़ुदाई ख़िदमतगारो से कहा था।
"मैं आपको ऐसा हथियार देने जा रहा हूं जिसके खिलाफ़ ना तो पुलिस टिक पाएगी और न ही सेना। यह हमारे पैगंबर का हथियार है, लेकिन आपको इसके बारे में पता नहीं है। वह हथियार है धैर्य और अहिंसा है, ज़मीन पर कोई भी ताक़त इसके खिलाफ नहीं खड़ी हो सकती है।"
अब्दुल गफ़्फ़ार खान के साथ ये बच्ची कौन है पता नही लेकिन कांग्रेस ने इस छोटी बच्ची को इंदिरा गांधी होने का दावा किया था। इस तस्वीर की सच्चाई जो भी हो हालांकि इंदिरा गांधी के साथ अब्दुल गफ़्फ़ार खान के अच्छे सम्बंध थे, इंदिरा को अपनी बेटी की तरह मानते थे।
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