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सेवा समर्पण और त्याग में मदर टेरेसा की भी माँ हैं अम्माँ

 

मदर टैरेसा से कई गुना बढ़कर हैं अम्मा कि सेवा*




एक मित्र ने मुझसे पूछा था क्या भारत में मदर टैरेसा जैसी सेवा भावी, वर्तमान में कोई हिंदू नारी हैं ?


तब मेरी आँखों के सामने करुणा की सागर ,प्रेमरूपी अध्यात्म के रसातल से भिगोने वाली निश्वार्थी माता अमृतानंदमयी देवी"अम्मा "का हंसमुख चेहरा सामने आ गया ...! 


मदर टैरेसा जैसी ईसाई मिशनिरी जो धर्मान्तरण के बल पर सेवा कार्य करते हैं आज भारतीय उनका गुणगान करते थकते नही लेकिन भारत भूमी पर योगी, सन्यासी,संत,साधू के सेवा शिक्षा परोपकार के कार्यो को भूल गए हैं आज भी वर्तमान में कई संतकुल के लोग निश्वार्थ सेवा करते आए हैं आज का मॉडर्न टाइप का जीव जो आज भी अंग्रेजीयत की गुलामी से उबर नही पाया इनको अपने ही राष्ट्र-धर्म से जुड़े महापुरुषो की सुध लेने की फुरसत नही लेकिन जो विदेशी संस्कृति जो हमारे राष्ट्र कि जड़ो को अंदर से खोखला कर रहे उनके लिए तारीफ पुल बांधते थकते नही हैं !


"अम्मा "यह एक ऐसा शब्द है जिसे लेते ही आँखों में प्यार दिल में सेवा की भावना जाग उठती है ! 

अम्मा ने विगत कई वर्षो से संपूर्ण विश्व में हिंदुत्व के शिक्षाओ का परचम फहराकर ,सनातन कथन वासुदेवः कुटुम्बकम् को सार्थक कर रही हैं !


अम्मा के विश्वव्यापी धर्मार्थ मिशन में बेघर लोगों के लिए 100,000 घर, 3 अनाथ आश्रम बनाने का कार्यक्रम और 2004 में भारतीय सागर में सुनामी जैसी आपदाओं से सामना होने की अवस्था में राहत-और-पुनर्वास, मुफ्त चिकित्सकीय देखभाल, विधवाओं और असमर्थ व्यक्तियों के लिए पेंशन, पर्यावरणीय सुरक्षा समूह, मलिन बस्तियों का नवीनीकरण, वृद्धों के लिए देखभाल केंद्र और गरीबों के लिए मुफ्त वस्त्र और भोजन आदि कार्यक्रम सम्मिलित हैं। 

यह परियोजनाएं अनेकों संगठनों द्वारा संचालित की जाती हैं जिसमे माता अमृतानंदमयी मठ (भारत), माता अमृतानंदमयी सेंटर (संयुक्त राज्य अमेरिका), अम्मा-यूरोप, अम्मा-जापान, अम्मा-केन्या, अम्मा-ऑस्ट्रेलिया आदि शामिल हैं। यह सभी संगठन संयुक्त रूप से एम्ब्रेसिंग द वर्ल्ड (विश्व को गले लगाने वाले) के रूप में जाने जाते हैं।


जब 2004 में उनसे यह पूछा गया कि उनके धर्मार्थ मिशन का विकास कैसा चल रहा है तो अम्मा ने कहा, ॐ लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु, यह सनातन धर्मं के प्रमुख मन्त्रों में से एक है, जिसका अर्थ होता है, 'इस संसार के सभी प्राणी प्रसन्न और शांतिपूर्ण रहें.'इस मंत्र की भावना को ही कर्म का माध्यम बनाया गया है।"


माता अमृतानंदमयी मठ द्वारा संचालित सेवा कार्य~ 

*16 ब्राह्मस्थानम् मन्दिरों की स्थापना, जहां केवल महिला पुरोहित ही हैं।

*50 के लगभग अमृत विद्यालय।


*70 करोड़ रुपए की लागत से 800 रोगियों के लिए आधुनिकतम अमृत चिकित्सा विज्ञान संस्थान।


*अमृत कुटीरम्'के नाम से देश के 12 राज्यों में निर्धनों के लिए 25,000 घरों का निर्माण। अगले एक दशक में एक लाख "अमृत कुटीरम्'और बनाने का लक्ष्य।


*निर्धन परिवार की कन्याओं हेतु सामूहिक विवाह का आयोजन।


*नि:शुल्क कानूनी सहायता हेतु "अमृत कृपा नीति प्रतिष्ठान'की स्थापना। माता अमृतानंदमयी मठ द्वारा कोच्चि में संचालित अमृत चिकित्सा विज्ञान संस्थान (अमृत इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज) 70 करोड़ रुपए की लागत से बना आधुनिक स्वास्थ्य केन्द्र है। यहां एक साथ 800 रोगियों की चिकित्सा की जा सकती है। गत पांच वर्ष में इस संस्थान द्वारा 20,000 से अधिक रोगियों की नि:शुल्क चिकित्सा की गई है। मठ द्वारा तकनीकी संस्थान, कम्प्यूटर शिक्षा केन्द्र, प्रबंधन संस्थान, वृद्धाश्रम, अनाथालय आदि भी चलाए जा रहे हैं। अम्मा ने 16 ब्राह्मस्थानम् मन्दिर भी स्थापित किए हैं, जिनमें महिला पुजारी हैं। मठ द्वारा संचालित ये संस्थान मुख्यत: "मानव सेवा, माधव सेवा'के भाव से प्रेरित हैं।


*इस मठ ने भारत के 12 राज्यों में निर्धनों के लिए 25,000 घर बनाए हैं और इस दशक में एक लाख और घर बनाने की योजना है। प्रारंभिक दिनों में जब यह मठ ही कुछ झोपड़ियों में था, अम्मा ने अपने शिष्यों को निर्धनों के लिए घर बनाने का निर्देश दिया। आज तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, प. बंगाल और दिल्ली में "अमृत कुटीर'के नाम से ये घर बनाए गए हैं। मठ ने भूकम्प पीड़ित गुजरात के तीन गांवों का पुनर्निर्माण किया। यह मठ 50,000 बेसहारा महिलाओं को मासिक आर्थिक सहायता भी देता है।


*आश्रम प्रारंभ से ही निर्धन परिवारों को उनकी पुत्रियों के विवाह हेतु सहायता देता रहा है। समाज के निर्धन वर्ग को नि:शुल्क न्याय-सहायता प्रदान करने के लिए आश्रम द्वारा "अमृत कृपा नीति प्रतिष्ठान'चलाया जा रहा है। यह प्रतिष्ठान देश के अधिवक्ताओं को "न्याय के प्रति आग्रह'के द्वारा पीड़ित मानवता की सेवा का एक अवसर उपलब्ध कराता है। इस प्रतिष्ठान से 600 से अधिक अधिवक्ता जुड़े हुए हैं। मठ ने एड्स रोगियों हेतु एक अस्पताल भी प्रारंभ किया है। इस प्रकार सेवा के अनेकानेक प्रकल्प इस मठ द्वारा चलाए जा रहे हैं।


एकमात्र अम्मा हैं जो पुरे विश्व में 29 मिलियन से ज्यादा लोगो गले लगाया हैं ...!


धन्य है भारत भूमि  जहां अम्मा जैसे सच्चे संत सेवकों का जन्म हुआ !


अब आप सभी कि जिम्मेदारी बनती है धर्मान्तरण के लिए सेवा करनेवाले मिशिनिरियो का पर्दाफास करे एवं अम्मा जैसे सच्चे निश्वार्थ हिंदू संतो का प्रचार प्रसार करे !



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