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कोई अपना होता किताब पर किशोर कुमार कौशल की राय

 


'इस पुस्तक में अनामीशरण बबल ने कई दिग्गज पत्रकारों और कद्दावर नेताओं के साथ ही समाज के उपेक्षित और तिरस्कृत ठिकानों पर जाकर अनेक वेश्याओं से भी बेबाक बातचीत की है।

 इन आलेखों में एक ओर बड़े नेताओं के साथ संवाद कायम करते समय उन्होंने अपने निर्भीक और ईमानदार होने का परिचय दिया है तो दूसरी ओर मजबूरन देह-व्यापार में धकेल दी गई बेबस लड़कियों की कारुणिक दास्तान बयान की है जिसे पढ़कर मेरा मन चीत्कार कर उठा। इन बदनाम गलियों में कोई विरला ही कदम रखता है।

 अनामीशरण ने वहाँ जमाकर पाँव रखे हैं और बिना डगमगाए मंजिल पर पहुँचे हैं। उनकी निष्कंप लेखनी समाज के ऐसे बदरंग कोनों को बेनकाब करती रहेगी, इसी विश्वास के साथ मैं इस अनूठी कृति के सृजन के लिए उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। 

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---- किशोर कुमार कौशल

     बल्लभगढ़(फरीदाबाद). 




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