आजकल दुबई में हूं. दुबई में आना इसलिए भी पसंद है क्योंकि इधर हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी साथ साथ काम कर करते हैं. कभी-कभी लगता है कि इनके मन में एक दूसरे के ख़िलाफ़ कोई नफ़रत नहीं है. हिन्दुस्तानी बिजनेस में पाकिस्तानियों से बहुत आगे हैं. पाकिस्तानी नौकरियां कर रहे हैं. भारतीयों के पास भी जॉब कर रहे हैं. नेपाली, फिलिपींस, श्रीलंका के नागरिक भी भारतीयों के Restaurants, Hotels , बैंकिंग/ वित्तीय सेवाओं से जुड़े बिजनेस में काम कर रहे हैं. बिजनेस में हम किसी से कम नहीं हैं. य़ह भारत से बाहर जाकर समझ आ जाता है.
कल एक फ्लोटिंग restaurant में गया था. वहां से दुबई के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते थे. वह एक भारतीय का बताया जा रहा था. उसमें शेफ पाक से थे. पंजाबी बोल रहे थे. मेरे साथ पंजाबी बोल कर खुश हो गए. मेरेI बुजुर्गों के शहर रावलपिंडी से था हेड शेफ . मेरे साथ काफी देर तक रहा. नाम है अब्दुल रहमान. मैंने उसे बताया कि मेरे दादा जी ने UP से रावलपिंडी में रेलवे में जाकर जॉब की और उस शहर को अपना मान लिया था . य़ह सुनकर वह भावुक हो गया. उसकी पत्नी रामपुर से कराची शिफ्ट हो गए परिवार से है.
दुबई में अफ्रीकी भरे हुए हैं. पेंटर, ड्राइवर और गार्ड भी हैं. मेहनत कश हैं.
तीन दिनों से अखबार पढ़ रहा हूं. कोई क्राइम की खबर नहीं मिली. क्या क्राइम की डरावनी ख़बरों को पढ़ने- सुनने के लिए हम ही पैदा हुए हैं?