अमर उजाला
बिलावल भुट्टो जरदारी ने कुछ दिन पहले न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को "गुजरात का कसाई"कहा है।”बिलावल की बयानबाजी पर हैरत करने की आवश्यकता तो नहीं है, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके भारत विरोध में ही उनके भविष्य की संभावनाएं छिपी हुई हैं। वे जितना ज्यादा भारत और हिन्दू विरोध करेंगे उतने ही अपने मुल्क में लोकप्रिय होंगे। ये उन्होंने अपने नाना जुल्फिकार अली भुट्टों के भारत को लेकर दिए बीसियों बयानों को पढ़कर सीख लिया होगा ।
जुल्फिकार भुट्टो का कई अर्थों में भारत से करीबी संबंध था। उनके मुम्बई और जूनागढ़ से रिश्तों की जानकारी जगजाहिर है। भुट्टो जब मुम्बई के प्रतिष्ठित कैथडरल स्कूल में पढ़ रहे थे तब उनके परम मित्र थे पीलू मोदी,जो राज्य सभा में भी रहे। पीलू मोदी ने अपनी किताब ‘Zulfi My friend’ में एक जगह लिखा भी है कि हालांकि हम दोनों घनिष्ठ मित्र थे 1946 में, पर जुल्फिकार टू नेशन थ्योरी पर यकीन करते थे। वे जिन्ना के आंदोलन को सही मानते थे। इसके विपरीत उन्हें कभी ये बात समझ नहीं आ रही थी कि भारत धर्म के नाम पर बंटेगा। पीलू मोदी आर्किटेक्ट थे और उन्होंने ही राजधानी के ओबराय इंटरकांटिनेंटल होटल को डिजाइन किया था।
*Bhutto Family: भुट्टो कुनबे का भारत विरोध, कई सवाल अब भी अनसुलझे*
By Vivek Shukla
https://www.amarujala.com/world/why-bhutto-family-oppose-india-many-questions-still-unresolved