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. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड की नजर में दयानंद वत्स

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 दयानंद वत्स की 42 वर्षीय पत्रकारीय यात्रा अनवरत जारी है:  - प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड़ 

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दयानंद वत्स ने पत्रकारिता की शिक्षा भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के भारतीय भाषा पत्रकारिता विभाग द्वारा 2 से 13 मई 1981 तक आयोजित ग्रामोन्मुख पत्रकारिता पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में ली थी। 26जून से 9 जुलाई 1984 तक उसने हिंदी पत्रकारिता पुनश्चर्या  पाठ्यक्रम में अपनी जानकारी पुष्ट की। वर्ष 1985 में उसने पत्राचार से राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर का स्नातकोत्तर पत्रकारिता डिप्लोमा पाठ्यक्रम द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण किया। 6 से 17 जनवरी 1986 तक उसने विज्ञापन एवं जन-संपर्क पाठ्यक्रम पूरा किया। वर्ष 1986 में उसे तीस वर्ष की आयु में ही ग्रामोन्मुख पत्रकारिता के लिए उसके जीवन का सबसे पहला मैत्री मंच पुरस्कार मिल गया। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री के.सी पंत के हाथों उसे यह पुरस्कार मिला। वर्ष 1992 में उसने हिंदी मासिक  समाचार पत्र नेशनल मीडिया नेटवर्क स्थापित किया और उसके संस्थापक प्रधान संपादक का दायित्व संभाला। दिसंबर1992 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने राष्ट्रपति भवन में उसका लोकार्पण किया था। उसने वर्ष 1981 से 1986 तक पत्रकारिता और जन-संचार के तीनों पाठ्यक्रम मेरी देखरेख में पूरे किए थे। बाद में उसने समाचार पत्रों में संपादक के नाम पत्र लिखने वाले पत्र लेखकों का एक रजिस्टर्ड संगठन राजधानी स्वतंत्र पत्र लेखक मंच नाम से स्थापित किया। तदुपरांत  उसनें भारत के स्वतंत्र पत्रकारों और लेखकों के लिए अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ(रजि) स्थापित किया। वह धुन का धनी परिश्रमी और संस्कारी है। 42 वर्षों की उसकी पत्रकारीय यात्रा ने उसे व्यापक दृष्टि दी है। दयानंद वत्स दिल्ली के बरवाला गाँव का रहने वाला है। उसकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही नगर निगम विद्यालय में हुई। उसने 1976 में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज से बी.ए हिंदी ऑनर्स और 1979 में डी.यू से ही  हिंदी में एम.ए किया। दयानंद वत्स ने राष्ट्रीय स्तर पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मेमोरियल नेशनल टीचर अवार्ड और नेशनल मीडिया नेटवर्क अवार्ड की स्थापना की। वह पिछले 38 वर्षों से हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम को आयोजित करता है। अब तक वह हजारों शिक्षकों और पत्रकारों को सम्मानित कर चुका है। 

पिछले 42 वर्षों में उसके लिखे हजारों संपादक के नाम पत्र और सम-सामयिक लेख और प्रेस विज्ञप्तियां नियमित रुप से देश के सभी राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं और यह सिलसिला अब तक जारी है।


- प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड, 

सेवानिवृत पाठ्यक्रम निदेशक,

भारतीय भाषा पत्रकारिता विभाग, 

भारतीय जन-संचार संस्थान, भारत सरकार, नई दिल्ली 42


  


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