'विश्व जल दिवस'की याद दिलाते हुए आज का दिन मंगलमय होने की शुभकामनाएँ। जल संरक्षण के मक़सद से आज के दिन हर साल विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
अँगरेज़ी में एक कहावत है- Water water everywhere, but not a single drop to drink. ये डरावने अल्फाज़ शायद उस इंसान के मुँह से निकले होंगे जो समुद्र में अपनी नौका से सफर कर रहा है और प्यास से तड़प रहा है। हम दुआ करते हैं इस धरती पर ऐसे हालात पैदा ना हों।
कोई भी इंसान ऐसे समाज में नहीं रहना चाहेगा जहां साफ पानी को विलासिता माना जाता हो। हर इंसान को स्वच्छ जल मिलना ही चाहिए, यह उसका मौलिक अधिकार है। लेकिन, साथ ही हर इंसान का मौलिक कर्तव्य भी है कि वह स्वच्छ जल का संरक्षण करे; उसे बर्बाद ना करे; उसे किफायत से इस्तेमाल करे। मेरा यही निवेदन है कि हर इंसान जल का महत्त्व समझे और अपने बच्चों को समझाए। अपनी कामवाली बाई को भी समझाए कि कम से कम पानी में बर्तन कैसे साफ करें।
कुछ घरों में पानी साफ करने के लिए अभी भी RO इस्तेमाल किया जाता है। उसमें पानी की बेतहाशा बर्बादी होती है। कृपया उसका पानी किसी खाली बाल्टी में इकट्ठा कर फर्श साफ़ करने और पौधे सींचने के लिए इस्तेमाल करें। सम्भव हो तो RO को रिटायर कर अक्वा लगा लें। मक़सद पानी साफ करने के साथ साथ उसे बचाना भी है।
वैसे भी डब्ल्यूएचओ RO के पानी को अनसेफ बताता है और ये सही भी है। आप खुद ही रिपोर्ट देखिए....
Recent studies suggest that RO water may be a risk factor for hypertension and coronary heart disease, gastric and duodenal ulcers, chronic gastritis, goitre, pregnancy complications and several complications in new-borns and infants, including jaundice, anaemia, fractures and growth disorders.
(यह रिपोर्ट डॉक्टर Anurag Sharma ने भेजी है)
एक और विनती करूँगा। नहाने में भी पानी बचाया जा सकता हैं। फव्वारा चला कर नहाने से पानी अधिक खर्च होता है। बाल्टी में पानी डाल कर नहाएँ और बच्चों को भी प्रेरित करें।
मशीन में एक साथ अधिकतम क्षमता तक कपड़े धोने का प्रयास करें। इससे भी जल की बचत होती है।
जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। कल्पना करें- ''ताजगी के साथ दिन की शुरुआत करने से लेकर शांति के साथ दिन खत्म करने तक, पानी लगातार हमारे साथ तरह रहता है। क्या होगा, जब आप एक दिन सुबह जागते हैं और पता लगता है कि घर में पीने के लिए ताजा पानी बिल्कुल नहीं बचा है?''आप पर वज्र टूट जाएगा। पानी नहीं बचाएँगे तो एक दिन यह डरावनी कल्पना सच बन कर सामने खड़ी हो जाएगी। पानी बचा कर हम इस भयावह कल्पना को सच होने से रोक सकते हैं। जल ही जीवन है, जल है तो कल है। जल हर पल याद रहे। कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन ज्यादा नहीं लिखूँगा।
यहाँ बचपन याद आ गया। गाँव के लोग देश की रक्षा के लिए ड्यूटी पर तैनात अपने फौजी परिजनों को कभी कभार स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से ही चिट्ठी लिखवाते थे। मैंने भी कई बार लिखी है। सभी के पत्रों में एक समानता होती थी। सभी पत्र के अंत में दो वाक्य जरूर लिखवाते थे। उनमें पहला वाक्य था- ''थोड़े लिखे को घणा समझना।''और दूसरा- चिट्ठी को तार समझना। अब बहुत गहराई से महसूस करता हूँ कि भावनाएँ किसी किताबी ज्ञान की मोहताज नहीं होतीं। किताबी ज्ञान से महरूम उन सम्मानीय लोगों के पास भले ही शब्द ज्ञान नहीं था लेकिन भावना अभिव्यक्ति का कौशल किसी से कमतर नहीं था। मेरी माँ भी मेरे पिता जी को पत्र लिखवाते समय ये दोनों वाक्य लिखवाना नहीं भूलती थीं। आज उन्हीं की अभिव्यक्ति का सहारा लेकर आपसे यही निवेदन करता हूँ कि मेरे थोड़े लिखे को घणा समझना और पानी संरक्षण के मुद्दे पर गंभीरता से अमल करना।
आदरणीय डॉक्टर Harsh Vardhan जी के 'ग्रीन गुड डीड्स'की लंबी फहरिस्त से मैंने जल संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण को चुना था। तब से इन दोनों कामों पर यथासंभव काम कर रहा हूँ। पर्यावरण के प्रति सजगता का भाव उन्हीं से सीखा है इसलिए उन्हें सादर प्रणाम और आभार।