अनामी शरण बबल
🙏🏽🌹🌹
दोस्तों 🙏🏽
साल नया हैं
मगर
हम सब पुराने
आधे अधूरे
कच्चे - पक्के
भले बुरे
ऊपर से गोरे
भीतर से काले
कहने को एक
मगर मन से अनेको अनेक
दिखने में शांत भला सुशील सरल
मगर मन से
जटिल कुरूप
फिर भी एक हैं
परिवार हैं
87-88 के लाल हैं
मीडिया के
काल अकाल हैं
खुद पे निसार निहाल हैं
कित्ते खुश हैं 😀
भाई नया साल हैं
मन के कंगाल हैं
फिर भी आ ही गया
2025🌹साल
अब बस करता हूँ
अन्यथा
खुल गयी जुबान
तो
नया साल जाय भाड़ में
दंगल करके दम दिखा ✌🏽
भाई सबको सलाम
लाख झगड़ ले
फिर भी
रहे एक ही
भले न मिले कभी
मग़र लगे एक ही
सालों भाग कर जाओगे कहाँ
अपना घर उजाड़ विरान ही सही
मगर घर का पता
87-87 ही हैं & रहेगा
यही पहचान ठिकाना हैं
यही 25-26 भूले बिसरे भगोड़े
भागते भटकते लटकते भी
सहोदार हैं
और
रहेंगे
सबकी सुनेंगे सहेंगे
भले ना मिले
ना मिलने की चाह हों मगर
आपस में मिल देख बतिया
लगता हैं कि
हम सब वही हैं
jnu की शांत झाड़ियों पहाड़ियों के
शेर & मोर हैं
भले ही न मिले
कभी या
यदा -कदा
फिर भी एक दूजे के चितचोर हैं
लाख शिकायतों
के बाद भी एक हैं परिवार हैं
सब
एक दूसरे के करीब हैं
यही नसीब हैं
ज़ो
बदलेगा न बदलना हैं
हम बर्तन एक टोकरी के
एक में ही एक दूजे को
बजते बजाते रहना हैं 🌹❤️❤️❤️🌹
नये साल को आने दो
साला
तू तो देखते ही देखते
36-37 बार बदल गया
पर कभी देखा
तूने
87-88 के 25-26
सितारों को बदलते?
शदी बदली
हम सब के चेहरे बदले
काया माया साया बदला
पर देखा कभी तूने हम सब को कभी
अलग होते बता बदलन
तू नया साल
बदचलन हैं
रोज बदलता हैं
अपना रंग मिजाज चेहरा
मगर
87-88 के हम सब
अंगद के पाँव हैं
ट्स से मस नहीं हों सकते हैं रंग रूप भाषा काया माँ बाप अलग हों
1987-88 का ऐसा
बंधन❤️गठबंधन 😀 हैं
जिंदगी के साथ भी
🌹और ❤️
जिंदगी के बाद भी
हम सहोदर
एक थे एक हैं
और सदा सदा
एक ही रहेंगे 🙏🏽
🙏🏽🌹❤️💐✌🏽