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बाल पत्रकारिता

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बाल पत्रकारिताकी सुदीर्घ परम्परा को एक आलेख में समेटना निश्चय ही अंजलि में समुद्र भर लेने के समान है। बाल साहित्य की अनेक पत्रिकाएँ विगत पचास वर्षों में प्रकाशित हुई हैं। इन प्रकात्रिओं का सही-सही विवरण दे पाना एक दुरूह कार्य है। बाल साहित्य की पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाएँ तो लम्बे समय से प्रकाशित हो रही हें, परन्तु अधिकतर पत्रिकाएँ काल-कविलत हो गईं। उनके पुराने अंक खोजना कठिन ही नहीं, असम्भव-सा कार्य है। फिर भी जिन पत्रिकाओं का विवरण उपलब्ध हो सका है, उन्हें इस आलेख में समाहित किया जा रहा है ।

बाल पत्रकारिता का इतिहास

बाल पत्रकारिता का औपचारिक प्रारम्भ भारतेन्दु कालसे माना जा सकता है। १८८२ में भारतेन्दु हरिश्चन्द्रकी विशेष प्रेरणा एवं अभिस्र्चि से 'बाल दपर्ण'पत्रिका का इलाहाबाद से प्रकाशन हुआ। इसके बाद भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने 'बाला बोधिनी'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इन पत्रिकाओं में नैतिक मूल्यों को केन्द्र में रखकार उपदेशात्मक बाल साहित्य प्रकाशित हुआ। इन आरम्भिक बाल पत्रिकाओं के बाद निरन्तर बाल साहित्य की पत्रिकाएँ प्रकाशित होती रहीं। १८९१ में लखनऊ से 'बाल हितकर'पत्रिका प्रकाशित हुई। १९०६ में अलीगढ़ से 'छात्र हितैषी'पत्रिका प्रकाशित हुई। इसी वर्ष १९०६ में ही बनारस से 'बाल प्रभाकर'पत्रिका का प्रकाशन हुआ। १९१० में इलाहाबाद से 'विद्यार्थी'पत्रिका प्रकाशित हुई। १९१२ में 'मानीटर'पत्रिका नरसिंहपुर से प्रकाशित हुई।

बाल पत्रिकारिता के क्षेत्र में नए युग का प्रारम्भ

बाल पत्रिकारिता के क्षेत्र में नए युग का प्रारम्भ 'शिशु'पत्रिका से हुआ। १९१४-१५ में 'शिशु'पत्रिका के प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसके संपादन पं.सुदर्शनाचार्यथे। 'शिशु'पत्रिका के प्रकाशन के कुछ समय उपरान्त एक ऑर उत्कृष्ट पत्रिका ने बाल साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण किया। इस पत्रिका ने बाल साहित्य के क्षेत्र में क्रांति ला दी। १९१७ में बंगालियों की प्राइवेट लिमिटेड संस्था 'इंडियन प्रेस'ने 'बालसखा'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इसके संपादक पं.बदरीनाथ भट्टथे। द्विवेदी युगकी यह पत्रिका सर्वाधिक लोकप्रिय रही। 'बालसखा'सबसे अधिक समय अर्थात् ५३ वर्ष तक प्रकाशित होती रही। इस पत्रिका ने बाल पाठकों को बहुत प्रभावित किया तथा बाल साहित्यकारों की अच्छी-खासी संख्या तैयार की। इसी प्रकाशन प्रारम्भ किया श्रृंखला में १९२० में जबलपुर से 'छात्र सहोदर'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९२४ में दिल्ली से माधव जी के संपादन में 'वीर बालक'का प्रकाशन हुआ। पटना से १९२६ में आचार्य रामलोचन शरणके संपादन में 'बालक'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९२७ में पं.रामजी लाल शर्मा के संपादन में इलाहाबाद से 'खिलौना'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।

इलाहबाद से ही 1913 में 'चमचम'का प्रकाशन हुआ। इसके संपादक थे 'विश्व प्रकाश'१९३१ में एक और पत्रिका इलाहाबाद से प्रकाशित हुई, जो आगे चलकर बाल साहित्य के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई। यह पत्रिका थी पं.रामनरेश त्रिपाठीके संपादकत्व में प्रकाशित 'वानर'पत्रिका। पं.रामनरेश त्रिपाठीके श्रेष्ठ बालगीतइस पत्रिका के माध्यम से ही बाल पाठकों तक पहुँचकर लोकप्रिय बने। १९३२ में कालाकांकरसे कुँवर सुरेश सिंहसे संपादन में 'कुमार'पत्रिका का प्रकाशन हुआ। इलाहबाद से १९३४ में 'अक्षय भैया'का प्रकाशन हुआ। रमाशंकर जैतली के संपादन में मुरादाबाद से १९३६ में 'बाल विनोद'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९३८ में पं.राम दहिन मिश्रसे संपादन में पटना से 'किशोर'पत्रिका का प्रकाशन हुआ। १९४४ में प्रेम नारायण टण्डनसे संपादन में लखनऊ से 'होनहार'पत्रिका का प्रकाशन हुआ। १९४६ में व्यथित हृदयसे संपादन में इलाहबाद से 'तितली'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९४६ में ही इलाहाबाद से ठाकुर श्रीनाथ सिंहके संपादन में 'बालबोध'पत्रिका का प्रकाशन हुआ।
स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले प्रकाशित इन पत्रिकाओं ने बाल पत्रकारिता में अपना स्थान बना लिया था। पत्रिकाओं ही संख्या निरन्तर बढ़ती गई। कुछ बन्द हुईं, तो कुछ नई पत्रिकाएँ भी प्रकाशित होती रहीं। इन पत्रिकाओं में कहानी, बालगीत, नैतिक कहानियाँ और हास्य की कहानियाँ प्रमुखता से प्रकाशित होती थीं। लोक जीवन में प्रचलित बाल गीत, बाल कथाएँ आदि भी इन पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहीं। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तक बाल साहित्य के प्रकाशन की स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है। इस समय तक बाल साहित्य की लगभग तीस मुद्रित पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही थी तथा सोलह हस्तलिखत पत्रिकाएँ प्रकाशित होती थीं।
१९४७ में देश स्वतंत्र हुआ। व्यवस्था परिवर्तित हुई। ऐसे में साहित्य के क्षेत्र में भी एक मोड़ आया। बाल साहित्य में देश प्रेम, खुशी ओर उल्लास से लबालब साहित्य पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगा भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने स्वतंत्रता प्राप्ति से 'बालभारत'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। यह पत्रिका अद्यतन निरन्तर अत्यन्त लोकप्रिय बनी हुई है। १९४८ में पंजाब से 'प्रकाश'नामक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९४९ में दिल्ली से 'अमर कहानी'एवं इलाहाबाद से 'मनमोहन'पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ, परन्तु दुर्भाग्य से कुछ अंक निकल कर ये दोनों पत्रिकाएँ काल के गाल में समा गईं।
हिन्दी बाल पत्रकारिता के क्षेत्र में इसी समय एक महत्त्वपूर्ण घटना हुई, वह यह कि मद्रास से 'चन्दामामा'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९४८ में अहिन्दी भाषी क्षेत्र से अपना प्रकाशन प्रारम्भ करने वाली 'चन्दामामा'आज तक निरन्तर प्रकाशित होती चली आई है। यह पत्रिका समूचे देश में अत्यन्त लोकप्रिय है। पटना से 'चुन्नू मुन्नू'पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ और यह भी अपने समय में लोकप्रिय पत्रिका बनी रही। १९५१ में प्रो.लेखराज उल्फत के संपादन में देहरादून से 'नन्हीं दुनिया'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। लखनऊ से एस.एम. शमीम अनहोनवी से संपादन में 'कलियाँ'पत्रिका निकलनी प्रारम्भ हुई। १९५५ में दिल्ली से लक्ष्मी चन्द्र टी. रूप चंदानी के संपादन में 'बाल मित्र'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसी कालावधि में 'वानर'पत्रिका का प्रकाशन जयपुर से प्रारम्भ हुआ।
१९५७ में तस्र्णभाई के संपादन में 'जीवन शिक्षा'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।इसी वर्ष दिल्ली से 'स्वतंत्र बालक'का प्रकाशन यत्न प्रकाशशील के संपादन में प्रारम्भ हुआ। ये पत्रिकाएँ बाल पाठकों के बीच अपनी खास पहचान नहीं बना सकीं। १९५८ में दिल्ली से 'पराग'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इस पत्रिका ने अति शीघ्र बाल पाठकों एवं बाल साहित्य के पाठकों के बीच अपनी पहचान बना ली। लम्बे समय तक अच्छी प्रसार संख्या होने के बावजूद भी पराग का प्रकाशन बन्द हो गया।
लुधियाना से सन्तराम के संपादन में १९५८ में 'शोभा'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९५८ में ही उमेश मल्होत्रा के संपादन में जालंधर सिटी से 'नन्हें-मुन्ने'पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। वाराणसी से राजकुमार वाही के संपादन में १९५८ में 'राजा बेटा'का प्रकाशन शुरू हुआ। इसी वर्ष मुरादाबाद से शांति प्रसाद दीक्षित के संपादन में 'बालबंधु'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९५९ में 'मीनू-टीनू'पत्रिका रमाकान्त पाण्डेय के संपादन में चक्रधर(बिहार) से निकली। दयाशंकर मिश्र 'दद्दा'ने दिल्ली से 'राजा भैया'पत्रिका निकाली। अमृतसर से गुस्र्चरण सिंह साखी से संपादन में 'बाल फुलवारी'का प्रकाशन हुआ।
१९६० में भगवानदास दत्ता से संपादन में करनालसे 'बाल जीवन'का प्रकाशन हुआ। श्रीमती सुमन एवं जे.एन. वर्मा से संपादन में 'हमारा शिशु'पत्रिका निकाली। इसी वर्ष भोलानाथ पुस्र्षोत्तम सरन के संपादन में आजमगढ़ से 'विश्व बाल कल्याण'पत्रिका का प्रकाशन हुआ। ये पत्रिकाएँ बाल साहित्य के पाठकों में अधिक लोकप्रिय नहीं हुइंर्। बाल पत्रिकाओं के प्रकाशन ही संख्या निरन्तर बढ़ती रही। साथ-ही-साथ अनेकानेक पत्रिकाएँ बन्द भी होती रहीं। कुछ पत्रिकाएँ तो अपने केवल प्रवेशांक ही प्रकाशित कर पायीं।

प्रमुख बाल पत्रिकाएँ

१९६० के उपरान्त प्रकाशित हुई बाल पत्रिकाओं में प्रमुख इस प्रकार र्हैं:

बाल विशेषांक

बाल-पत्रकारिता के क्षेत्र में अद्यतन प्रकाशित होते रहकर अपनी पहचान जिन पत्रिकाओं ने बनाई है, उनमें प्रमुख र्हैं बाल भारती, बालहंस, नदंन, चपंक, चन्द्रामामा, बाल वाणी, बाल वाटिका, देवपुत्र, स्नेह, बाल मीतान, बच्चों का देश, जन संप्लव, हँसती दुनिया, बालमित्रआदि। बाल पत्रकारिता के क्षेत्र में उन साहित्यिक पत्रिकाओं के अवदान को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता, जिन्होंने बाल साहित्य के विशेषांक प्रकाशित किए हैं। समय-समय पर प्रकाशित विभिन्न पत्रिकाओं के विशेषांकों ने बाल साहित्यकारों को दिशा निर्देश तो दिया ही, साथ ही उनके द्वारा गए विगत काल के बाल साहित्य का समीक्षात्मक मूल्यांकन भी किया।
इन पत्रिकाओं के बाल साहित्य विशेषांकों का यथा उपल्बध विवरण इस प्रकार र्है:

साहित्यिक पत्रिकाओं तथा देनिक समाचार पत्रों के बाल विशेषांक

इन विशेषंकों के अतिरिक्त समय-समय पर साहित्यिक पत्रिकाएँ बाल साहित्य पर केन्द्रित लेखों को प्रकाशित करती रहती हैं। 'कादंबिनी', 'नवनीत', 'हरिगंधा', 'पंजाब सौरभ', 'समकालीन भारतीय साहित्य', 'मधुमती', 'उत्तर प्रदेश'आजकलआदि पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों में बाल साहित्य पर विभिन्न कोणों से विचार किया गया है। 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान'पत्रिका अपने समय में बाल साहित्य पर अच्छी सामग्री प्रकाशित करती रही है। बाल पत्रकारिता के क्षेत्र में दैनिक समाचार पत्रों के साप्ताहिक परिशिष्टों में बाल-साहित्य प्रकाशित कर रहे हैं। बाल पाठक इन अंकों की प्रतीक्षा करते रहते हैं। ऐसे समाचार पत्रों र्में 'अमर उजाला', 'आज', 'दैनिक जागरण', 'राष्ट्रीय सहारा', 'जनसत्ता', 'डेली मिलाप', 'स्वंतत्र भारत', 'नवभारत टाइम्स', 'दैनिक नवज्योति', 'राजस्थान पत्रिका', 'हिन्दुस्तान', 'दक्षिण समाचार', 'नई दुनिया', आदि प्रमुख हैं।
बाल साहित्य की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन वर्ष एवं उनके नामोल्लेख करने के उपरान्त विगत वर्षों में प्रकाशित होते रहे बाल साहित्य के प्रमुख काव्यांशों को उद्धत करना प्र्रासंगिक प्रतीत हो रहा है, क्योंकि समय-समय पर प्रकाशित बाल साहित्य के इन अंशों से यह सहज अनुमान लगाना संभव हो सकेगा कि बाल साहित्यकारों ने बालमन की संवेदनाओं को कहाँ तक समझा है।

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