(लेखक-प्रशांत वर्मा)
स्वर्गकी सीढीयाँ.....क्रिकेट के भगवान की दहाङ .....धोनी का पहला प्यार ......, शाम का समय और टीवी चैनल का प्राइम टाइम के समय लगभग सभीसमाचार चैनल के शो का नजारा कुछ इस कदर हो जाता है। लोगो की जीवन की सच्चाईयों से कोसो दूर,प्राइम टाइम इन खबरो से लबलेज रहता है।
अगर बात की जाए आजादहोते भारत की पृष्टभूमि की तब जब शायद पत्रकारिता काअर्थ आजकी इन खोजनफ़ीस खबरो से एकदम विपरीत था। भारत के लोकतंत्र एंव संविधान का निर्माण हो रहा था। देश एवं विश्वके समक्ष एक व्यापक जनादेश व्यवस्था का उत्थान । इस व्यापक लोकतांत्रिक व्यवस्था थामे रखने का कार्यभार कार्यपालिका,न्यायपालिका,विधायिका और पत्रकारिता को दिया गया जिसमे सबसे अहम् भूमिका पत्रकारिता की थी, जिसका कार्य अन्य सभी व्यवस्थाकी कार्यकुशलताकी देखरेख करना था। आज बदलते स्वरूप और व्यवसयिकरण के प्रभाव-वश पत्रकारिता जो की कभी धर्म था पूरी तरह से व्यवसाय मे परिर्वतित हो चुका है। जहा एक समय पत्रकारिताऔर इससे जुङा क्षेत्र इतना व्यापकनही हुआ करता था।इससे जुङे लोग बहुत सीमित, ऊँचीअभिलाषा बङे सपने लेकर इसमे सम्मलित नही हुआ करते थे। अच्छी कद-काठी परखादी का कुर्ता और एक कंधे केबराबरी पर टाँगा झोला जो की कुछ कागज़, कलम पुराने अखबार की प्रतियों से भरा हुआ करता था।पैरो पर अगर नजर डाले धूल से लबलेज अँगूठे पर से टूटी चप्पल जो कि शायद तत्कालिन पत्रकार की यथा स्थति बताने के लिए काफी था।
. पत्रकारिताके वर्तमान स्वरूप ने पत्रकारिताशब्द की परिभाषा ही बदल दी है। आज का पत्रकार खादी कपड़े से सैकङोकिलोमीटर दूर पीटर इंग्लैंड की शर्ट और पैजामे की बंदिशो से मुक्त जींस के साथ पत्रकारिता क्षेत्र में प्रवेश करता नज़र आता है। उसका ऊपरसे लेकर नीचे तक का पहनावाउसकी वासत्विकस्थति प्रदर्शित करती है की आज की पत्रकारिता कितनी संपन्न हो चुकी हैएवं बिना किसीधन के अभावके सुचारू रूप से चल रही है। एक ओर पत्रकारिताका जन्म कागज़ पर खिलती हुई स्याही के रूप मे हुआ था वही आजउसने नवीनतम् ग्राफिक्स, एनीमेशन,2डी और 3डी एफ्कट्स ने ले ली है।
आज की पत्रकारिता आस-पास की हलचल और खोजनफीस खबरो से बङकरकर मनोरंजन और रोमांचसे भर गई है। पत्रकारिताका व्यापक व्यवसायिकरणने उसे सफलताएवं समृद्धि की ऊचाईयों तक पहुचाया है। बङे-बङे समाचार चैनल लाखों करोङो रुपए निवेश कर उन्हें शुरू किया जाता है उसके बाद वैध-अवैध प्रचार-प्रसार सामग्री जुटा कर लोगो का मनोरंजन कर लाखोकी कमाई की जाती है।
इन बङे-बङे समाचर चैनल के निवेशक और ऊँचे पद पर स्थापितकर्मचारी इस गोरखधंधेसे लाखो-करोड़ो का धन पत्रकारिताके सारेनियम कानून को दरकिनार करके अपने निजि खातो मे उङेल रहे है। कलाम-स्याहीके पाक क्षेत्र भ्रष्टताकी काली स्याही फैलती नज़र आ रही है।लेकिन अभाग्यवश इस काली स्याही छीटेउन पर भी आ रह है जो इस पीली पत्रकारिता के काले खेल से दूर थे। समान्यता ज्यादातर राजनितज्ञ पार्टियाँ खुद बङे पैसा निवेश कर या खुद के चैनले द्वारा अपना प्रचार करते है। जो की पूर्णतापत्रकारिता नियमो के खिलाफ है । हाल में ही एक निजि चैनल के पत्रकार भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे। इस तरह के प्रकरण पत्रकारिता का स्तर नीचे और लोगो का इस पर से विश्वास ऊपर उठा रहे है। आज के न्यूज चैनलो की बेतुकी और बिना सर पैर न्यूज दिखा लोगो का विश्वास खो रहे है और लोगो की नजर में न्यूज चैनल टॉइम पास और मनोरंजन को साधन बनकर रह गया है।इन सब से बङे चैनले की स्थिति तो यथावत् लेकिन कुप्रभाव छोटे चैनलो पर पङता है।
स्वंय पत्रकार का काम काफी संकीर्ण,संघर्षपूर्ण और जटिल होता है। सैकङो सामाजिक और नैतिक परेशानी झेलने के बाद एक न्यूज कवर कर पाता है। इन सबको को झेलने के बाद भी पत्रकार को उसके पूर्ण अधिकार नही मिलते है। पुलिस,सैनिको एंव अन्य सरकारी कर्मचारी की क्षति होने पर मुआवजे और पेशंन की पूर्ण व्यवस्था लेकिन देश की लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को थामो रखने वाले इन पत्रकारो मूलभूत सुविधाओ से अब तक वंचित रखा गया है।आज भी सीमावर्ति इलाके जहाँ आतंकी और नक्सलिय सबसे बङी समस्या है।वहां पत्रकार अपनी जान हथेली पर रख कर खबर लाता है और आम लोगो तक पहुँचाता है।
पत्रकारिता ,लोकतंत्र का चौथा स्तंभ लेकिन आज इसकी नींव कमजोंर पङती नज़र आ रही है।पत्रकार जो आज देश की सुचारू व्यवस्था पर आँखे टिकाए , उन्हे सही मार्ग दे रहे है लेकिन उनके बदहाल जीवन को सुधारने वाला कोई नही।वैश्विकरण और व्यवसायिकरण की शीतल छाया सिर्फ उच्च पद पर अश्रित प्रमुख पर पङती है असल पत्रकार आज भी धूप मे झुलस रहे है एंव अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहे है।