जापान में एक बच्चे को 60 साल पहले अस्पताल में बदल दिया गया. इस घटना ने उसे महल के बजाए झोपड़ी में पहुंचा दिया. अब अदालत ने अस्पताल से इस शख्स को 3.8 करोड़ येन का मुआवजा देने को कहा है.
सुनने में किसी पुरानी हिन्दी फिल्म की कहानी जैसा लगता है. 60 साल का हो चुका यह व्यक्ति चाहता है कि किसी तरह घड़ी की सूइयों को पीछे कर दे और उस सच को बदल दे जो झूठ होने के बाद भी उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया. उसने बताया कि जब उसे सच्चाई का पता चला तो उसके लिए यह बहुत बड़ा धक्का था. अगर यह घटना ना हुई होती तो उसका जीवन आज बहुत अलग हो सकता था.
टोक्यो की जिला अदालत ने अस्पताल से 1953 में हुई इस गलती के बदले इस व्यक्ति को 3.8 करोड़ येन का मुआवजा देने को कहा है. जिस बच्चे के साथ वह बदल गया था वह उससे 13 मिनट बाद पैदा हुआ था.
60 साल के व्यक्ति की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. उस व्यक्ति ने कहा, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा हो भी कैसे सकता है. सच कहूं तो मैं इसे स्वीकार ही नहीं करना चाहता था."अदालत ने कहा कि 3.2 करोड़ येन इस आदमी को और बाकी 60 लाख उसके असल में सगे तीन भाइयों को दिए जाएं. अस्पताल की इस बारे में अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगा कि नहीं.
क्या होता जीवन
अगर अस्पताल ने यह गलती ना की होती तो इस आदमी का जीवन बिल्कुल अलगहोता. आज एक गैर शादीशुदा ट्रक ड्राइवर का जीवन गुजार रहे इस शख्स का पालन पोषण एक अमीर परिवार में हुआ होता. परिवार में सबसे बड़े पुत्र यही हैं. इनके बाद पैदा हुए तीनों भाइयों को सारी सुख सुविधाएं मिलीं. यहां तक कि उन्हें पढ़ाने के लिए निजी ट्यूटर भी आया करते थे.
इस सबके बदले उसे वह जीवन मिला जहां कई जरूरतें सरकारी पैसे से पूरी हुईं. पिता के मरने के बाद मां ने अकेले काम करके उसे और उससे बड़े भाई बहनों की जरूरतों को पूरा किया. वह दिन में फैक्टरी में काम करता था और रात में स्कूल की पढ़ाई. एक कमरे के मकान में सुविधाओं के नाम पर बस रेडियो ही था.
पालने वाली महिला के लिए उसने कहा, "वह तो जैसे परेशानियां उठाने के लिए ही पैदा हुई थी."वह महिला अब जीवित नहीं है. यह व्यक्ति अपने उन भाइयों की भी मदद करता आया है जिन्हें वह अब तक अपना सगा समझता था.
कैसे पता चला
सच्चाई तब खुली जब इस शख्स के असली भाइयों ने माता पिता के मरने के बाद अपने सबसे बड़े भाई का डीएनए परीक्षण करवाया. वह देखने में उनसे बिल्कुल अलग था. इसके बाद उन्होंने अस्पताल के रिकॉर्ड चेक किए, तब पिछले साल उन्हें अपने सबसे बड़े सगे भाई के बारे में पता चला.
बीते सालों को दोबारा तो नहीं लाया जा सकता लेकिन चारों भाई एक साथ मिलकर अब एक दूसरे के साथ समय बिताकर अपने रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
अपनी मां को याद करते हुए इस शख्स ने कहा, "मुझे पता चला है कि मेरी मां को हारना पसंद नहीं था. मुझमें भी यह गुण है कि मुझे हारना पसंद नहीं. मैं अक्सर सोचा करता था कि यह मुझमें कहां से आया. जब मुझे उनके बारे में पता चला तब मुझे समझ आया कि यह वजह थी."
भारी नुकसान
इस व्यक्ति ने बताया कि पैदाइश के समय बदले जाने की बात जानने के बाद वह कई महीनों तक हर रात रोता रहा, "जब मैंने अपने असली माता पिता की तस्वीर देखी तो मैं उन्हें जिंदा देखना चाहता था. महीनों तक जब कभी भी मैं उनकी तस्वीर देखता था अपने आंसू रोक नहीं पाता था."
उन्होंने बताया, "मेरा एक भाई कहता है हमारे पास, जीने के लिए 20 साल और बचे हैं, हम एक साथ मिल कर बीते सालों का हिसाब पूरा कर लेंगे. मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई और मैं यह करना भी चाहता हूं."
चारों भाइयों ने मिलकर अपने नुकसान के लिए 25 करोड़ येन के मुआवजे की मांग की थी. दोनो ही परिवारों की मांओं को अक्सर ऐसा महसूस होता था कि वे किसी और के बच्चे को बड़ा कर रही हैं.
इस व्यक्ति के सगे भाइयों का कहना है कि उन्हें याद है उनकी मां ने एक बार कहा था, उनका पहला बच्चा अस्पताल में उनके हाथों में गलत कपड़े पहन कर आया था. वे कपड़े नहीं जो उन्होंने दिए थे.
रिपोर्ट: समरा फातिमा (एएफपी)
संपादन: एन रंजन
टोक्यो की जिला अदालत ने अस्पताल से 1953 में हुई इस गलती के बदले इस व्यक्ति को 3.8 करोड़ येन का मुआवजा देने को कहा है. जिस बच्चे के साथ वह बदल गया था वह उससे 13 मिनट बाद पैदा हुआ था.
60 साल के व्यक्ति की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. उस व्यक्ति ने कहा, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा हो भी कैसे सकता है. सच कहूं तो मैं इसे स्वीकार ही नहीं करना चाहता था."अदालत ने कहा कि 3.2 करोड़ येन इस आदमी को और बाकी 60 लाख उसके असल में सगे तीन भाइयों को दिए जाएं. अस्पताल की इस बारे में अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगा कि नहीं.
क्या होता जीवन
अगर अस्पताल ने यह गलती ना की होती तो इस आदमी का जीवन बिल्कुल अलगहोता. आज एक गैर शादीशुदा ट्रक ड्राइवर का जीवन गुजार रहे इस शख्स का पालन पोषण एक अमीर परिवार में हुआ होता. परिवार में सबसे बड़े पुत्र यही हैं. इनके बाद पैदा हुए तीनों भाइयों को सारी सुख सुविधाएं मिलीं. यहां तक कि उन्हें पढ़ाने के लिए निजी ट्यूटर भी आया करते थे.
इस सबके बदले उसे वह जीवन मिला जहां कई जरूरतें सरकारी पैसे से पूरी हुईं. पिता के मरने के बाद मां ने अकेले काम करके उसे और उससे बड़े भाई बहनों की जरूरतों को पूरा किया. वह दिन में फैक्टरी में काम करता था और रात में स्कूल की पढ़ाई. एक कमरे के मकान में सुविधाओं के नाम पर बस रेडियो ही था.
पालने वाली महिला के लिए उसने कहा, "वह तो जैसे परेशानियां उठाने के लिए ही पैदा हुई थी."वह महिला अब जीवित नहीं है. यह व्यक्ति अपने उन भाइयों की भी मदद करता आया है जिन्हें वह अब तक अपना सगा समझता था.
कैसे पता चला
सच्चाई तब खुली जब इस शख्स के असली भाइयों ने माता पिता के मरने के बाद अपने सबसे बड़े भाई का डीएनए परीक्षण करवाया. वह देखने में उनसे बिल्कुल अलग था. इसके बाद उन्होंने अस्पताल के रिकॉर्ड चेक किए, तब पिछले साल उन्हें अपने सबसे बड़े सगे भाई के बारे में पता चला.
बीते सालों को दोबारा तो नहीं लाया जा सकता लेकिन चारों भाई एक साथ मिलकर अब एक दूसरे के साथ समय बिताकर अपने रिश्ते को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
अपनी मां को याद करते हुए इस शख्स ने कहा, "मुझे पता चला है कि मेरी मां को हारना पसंद नहीं था. मुझमें भी यह गुण है कि मुझे हारना पसंद नहीं. मैं अक्सर सोचा करता था कि यह मुझमें कहां से आया. जब मुझे उनके बारे में पता चला तब मुझे समझ आया कि यह वजह थी."
भारी नुकसान
इस व्यक्ति ने बताया कि पैदाइश के समय बदले जाने की बात जानने के बाद वह कई महीनों तक हर रात रोता रहा, "जब मैंने अपने असली माता पिता की तस्वीर देखी तो मैं उन्हें जिंदा देखना चाहता था. महीनों तक जब कभी भी मैं उनकी तस्वीर देखता था अपने आंसू रोक नहीं पाता था."
उन्होंने बताया, "मेरा एक भाई कहता है हमारे पास, जीने के लिए 20 साल और बचे हैं, हम एक साथ मिल कर बीते सालों का हिसाब पूरा कर लेंगे. मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई और मैं यह करना भी चाहता हूं."
चारों भाइयों ने मिलकर अपने नुकसान के लिए 25 करोड़ येन के मुआवजे की मांग की थी. दोनो ही परिवारों की मांओं को अक्सर ऐसा महसूस होता था कि वे किसी और के बच्चे को बड़ा कर रही हैं.
इस व्यक्ति के सगे भाइयों का कहना है कि उन्हें याद है उनकी मां ने एक बार कहा था, उनका पहला बच्चा अस्पताल में उनके हाथों में गलत कपड़े पहन कर आया था. वे कपड़े नहीं जो उन्होंने दिए थे.
रिपोर्ट: समरा फातिमा (एएफपी)
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80 की उम्र में चले एवरेस्ट
वो लोग और होंगे जिनकी जिंदगी रिटायरमेंट के साथ खत्म होती होगी. जापान के युचिरो मिउरा ने तो जीना सीखा ही 70 की उम्र में. दस साल में पांच बार हिमालय पर चढ़ चुके हैं और अब 80 की उम्र और दिल का रोग, पर मंजिल वही पुराना शिखर. (02.04.2013)अमेरिका में पैदा हुआ गबरू बच्चा
पैदाइश के वक्त एक स्वस्थ बच्चे का वजन पौने तीन से साढ़े चार किलोग्राम तक होता है. लेकिन अमेरिका में सात किलो 300 ग्राम के बच्चे ने जन्म लिया है. बच्चे का सीना 17 इंच चौड़ा है. लेकिन उसके मां बाप मायूस हो रहे है. (21.07.2011)- तारीख29.11.2013
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