मोदी पर डोरे डालते ओबामा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले रिश्ते बेहतर बनाने के सिलसिले में अमेरिका के विदेश मंत्री भारत जा रहे हैं. कभी मोदी पर अघोषित पाबंदी लगाने वाला अमेरिका अब उन्हें साथ लाने की कोशिश कर रहा है.
विदेश मंत्री जॉन केरी इसी महीने की 31 तारीख को भारत जा रहे हैं, जबकि रक्षा मंत्री चक हेगल भी अगले महीने के शुरू में भारत का दौरा करेंगे. समझा जा रहा है कि यह सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात की तैयारी है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जाएंगे और उसी दौरान वह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से अलग से बातचीत करेंगे.
दक्षिण एशिया मामलों की अमेरिकी विदेश उप मंत्री निशा बिस्वाल का कहना है, "हमें इस बात का भरोसा है कि हम मोदी सरकार के साथ मिलकर मजूबत साझीदारी कर सकते हैं, जिससे भारत के साथ आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते बेहतर हों."विदेश मंत्री केरी दिल्ली में अमेरिका-भारत रणनैतिक वार्ता में हिस्सा लेंगे, जबकि रक्षा मंत्री हेगल मोदी सरकार के साथ बेहतर सैनिक कारोबार और साझेदारी पर चर्चा करेंगे.
मोदी पर बदला अमेरिका
गुजरात में 2002 के दंगों की वजह से मोदी को अमेरिका वीजा नहीं दे रहा था. लेकिन इस साल के शुरू में जब मोदी की जीत की संभावना बढ़ी, तब अमेरिका ने रुख बदला. उसने मोदी के पास अपना खास दूत भेजा और प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति ओबामा ने फोन करके मोदी को बधाई दी.
हालांकि मोदी ने कभी खुले तौर पर अमेरिका की आलोचना नहीं की है. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने विदेश नीति में पहले के अपने पक्ष से बदलते हुए दोस्ताना रवैया अपनाया है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित सभी पड़ोसी देशों के सरकार प्रमुखों को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया. हालांकि अमेरिका की तरफ मोदी सरकार ने बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है, बल्कि वह चीन से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
भारत अमेरिका रिश्ते
शीत युद्ध का दौर खत्म होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपतियों बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश ने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, जो पिछले 10 साल में बहुत मजबूत हुआ है. लेकिन हाल के दिनों में भारतीय राजनयिक के साथ न्यूयॉर्क में बुरे बर्ताव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास भी आया है.
क्लिंटन काल में दिल्ली में अमेरिका के राजदूत रह चुके फ्रैंक विस्नर का कहना है कि ओबामा के कार्यकाल में भारत के साथ रिश्तों ने नई करवट ली है, "लेकिन हमें बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते हुए सोचना चाहिए कि यह सरकार भारत में 10 साल रह सकती है और हमारे पास राजनीतिक और सुरक्षा रिश्तों को नया मोड़ देने का वक्त है."
एजेए/एएम (एएफपी)
दक्षिण एशिया मामलों की अमेरिकी विदेश उप मंत्री निशा बिस्वाल का कहना है, "हमें इस बात का भरोसा है कि हम मोदी सरकार के साथ मिलकर मजूबत साझीदारी कर सकते हैं, जिससे भारत के साथ आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते बेहतर हों."विदेश मंत्री केरी दिल्ली में अमेरिका-भारत रणनैतिक वार्ता में हिस्सा लेंगे, जबकि रक्षा मंत्री हेगल मोदी सरकार के साथ बेहतर सैनिक कारोबार और साझेदारी पर चर्चा करेंगे.
मोदी पर बदला अमेरिका
गुजरात में 2002 के दंगों की वजह से मोदी को अमेरिका वीजा नहीं दे रहा था. लेकिन इस साल के शुरू में जब मोदी की जीत की संभावना बढ़ी, तब अमेरिका ने रुख बदला. उसने मोदी के पास अपना खास दूत भेजा और प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति ओबामा ने फोन करके मोदी को बधाई दी.
हालांकि मोदी ने कभी खुले तौर पर अमेरिका की आलोचना नहीं की है. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने विदेश नीति में पहले के अपने पक्ष से बदलते हुए दोस्ताना रवैया अपनाया है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित सभी पड़ोसी देशों के सरकार प्रमुखों को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया. हालांकि अमेरिका की तरफ मोदी सरकार ने बहुत ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है, बल्कि वह चीन से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
भारत अमेरिका रिश्ते
शीत युद्ध का दौर खत्म होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपतियों बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश ने भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, जो पिछले 10 साल में बहुत मजबूत हुआ है. लेकिन हाल के दिनों में भारतीय राजनयिक के साथ न्यूयॉर्क में बुरे बर्ताव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास भी आया है.
क्लिंटन काल में दिल्ली में अमेरिका के राजदूत रह चुके फ्रैंक विस्नर का कहना है कि ओबामा के कार्यकाल में भारत के साथ रिश्तों ने नई करवट ली है, "लेकिन हमें बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते हुए सोचना चाहिए कि यह सरकार भारत में 10 साल रह सकती है और हमारे पास राजनीतिक और सुरक्षा रिश्तों को नया मोड़ देने का वक्त है."
एजेए/एएम (एएफपी)
- तारीख17.07.2014
- कीवर्डबराक ओबामा, अमेरिका, नरेंद्र मोदी, भारत, अर्थव्यवस्था, बीजेपी, कांग्रेस
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