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मलाला युसुफ़ज़ई

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प्रस्तुति -राजेश सिन्हा
 
ملاله یوسفزۍ
जन्म12 जुलाई 1997 (आयु 17)[1][2]
राष्ट्रीयतापाकिस्तानी
अन्य नामगुल मकई
नस्लपश्तून[3]
जाने–जाते हैंमहिला अधिकारकार्यकर्ता, शिक्षाविद्
गृह नगरमिंगोरा,
ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान
धर्मइस्लाम
माता - पिताज़ियाउद्दीन युसुफ़ज़ई (पिता)
पुरस्कारअंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार
पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011)
मलाला युसुफ़ज़ई (पश्तो: ملاله یوسفزۍ जन्म: 12 जुलाई 1997)[1]को बच्चों के अधिकारों की कार्यकर्ता होने के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तानके ख़ैबर-पख़्तूनख़्वाप्रान्त के स्वात जिलेमें स्थित मिंगोरा शहर की एक छात्रा है।[4][5] 13 साल की उम्र में ही वह तहरीक-ए-तालिबान शासन के अत्याचारों के बारे में एक छद्म नाम के तहत बीबीसीके लिए ब्लॉगिंग द्वारा स्वात के लोगों में नायिका बन गयी। अक्टूबर 2012 में, मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने उदारवादी प्रयासों के कारण वे आतंकवादियों के हमले का शिकार बनी, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गई और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गई।[6]

बाल्यावस्था

मलाला युसुफ़ज़ई मिंगोरा, जो स्वात का मुख्य शहर है, में रहती है। मिंगोरा पर तालिबान ने मार्च २००९ से मई २००९ तक कब्जा कर रखा था, जब तक की पाकिस्तानी सेना ने क्षेत्र का नियंत्रण हासिल करने के लिए अभियान शुरू किया। संघर्ष के दौरान, ११ साल की उम्र में ही मलाला ने डायरी लिखनी शुरू कर दी थी। वर्ष २००९ में छद्म नाम "गुल मकई"के तहत बीबीसी ऊर्दू के लिए डायरी लिख मलाला पहली बार दुनिया की नजर में आई थी। जिसमें उसने स्वात में तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन किया था और अपने दर्द को डायरी में बयां किया।[4]डायरी लिखने की शौकीन मलाला ने अपनी डायरी में लिखा था, 'आज स्कूल का आखिरी दिन था इसलिए हमने मैदान पर कुछ ज्‍यादा देर खेलने का फ़ैसला किया। मेरा मानना है कि एक दिन स्कूल खुलेगा लेकिन जाते समय मैंने स्कूल की इमारत को इस तरह देखा जैसे मैं यहां फिर कभी नहीं आऊंगी।'
मलाला ने ब्लॉग और मीडिया में तालिबान की ज्यादतियों के बारे में जब से लिखना शुरू किया तब से उसे कई बार धमकियां मिलीं। मलाला ने तालिबान के कट्टर फरमानों से जुड़ी दर्दनाक दास्तानों को महज ११ साल की उम्र में अपनी कलम के जरिए लोगों के सामने लाने का काम किया था। मलाला उन पीड़ित लड़कियों में से है जो तालिबान के फरमान के कारण लंबे समय तक स्कूल जाने से वंचित रहीं। तीन साल पहले स्वात घाटी में तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। लड़कियों को टीवी कार्यक्रम देखने की भी मनाही थी।‍ स्वात घाटी में तालिबानियों का कब्‍जा था और स्‍कूल से लेकर कई चीजों पर पाबंदी थी। मलाला भी इसकी शिकार हुई। लेकिन अपनी डायरी के माध्‍यम से मलाला ने क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ जागरुक किया बल्कि तालिबान के खिलाफ खड़ा भी किया। तालिबान ने वर्ष २००७ में स्‍वात को अपने कब्‍जे में ले लिया था। और लगातार कब्‍जे में रखा। तालिबानियों ने लड़कियों के स्‍कूल बंद कर दिए थे। कार में म्‍यूजिक से लेकर सड़क पर खेलने तक पर पाबंदी लगा दी गई थी। उस दौर के अपने अनुभवों के आधार पर इस लड़की ने बीबीसी उर्दू सेवा के लिए जनवरी, २००९ में एक डायरी लिखी थी। इसमें उसने जिक्र किया था कि टीवी देखने पर रोक के चलते वह अपना पसंदीदा भारतीय सीरियल राजा की आएगी बारातनहीं देख पाती थी।[7]
वर्ष 2009 में न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने मलाला पर एक फिल्‍म भी बनाई थी। स्‍वात में तालिबान का आतंक और महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध विषय पर बनी इस फिल्‍म के दौरान मलाला खुद को रोक नहीं पाई और कैमरे के सामने ही रोने लगी। मलाला डॉक्‍टर बनने का सपना देख रही थी और तालिबानियों ने उसे अपना निशाना बना दिया। उस दौरान दो सौ लड़कियों के स्‍कूल को तालिबान से ढहा दिया था। वर्ष 2009 में तालिबान ने साफ कहा था कि 15 जनवरी के बाद एक भी लड़की स्‍कूल नहीं जाएगी। यदि कोई इस फतवे को मानने से इंकार करता है तो अपनी मौत के लिए वह खुद जिम्‍मेदार होगी।[7]
जब स्‍वात में तालिबान का आतंक कम हुआ तो मलाला की पहचान दुनिया के सामने आई और उसे बहादुरी के लिए अवार्ड से नवाजा गया। इसी के साथ वह इंटरनेशनल चिल्‍ड्रन पीस अवार्ड (2011) के लिए भी नामित हुई। (2011 में वे नहीं जीत पाईं, लेकिन बाद में 2013 में उन्हें यह अवार्ड भी मिला)।

हत्या का प्रयास

पाकिस्तान की ‘न्यू नेशनल पीस प्राइज’ हासिल करने वाली 14 वर्षीय मलाला यूसुफजई ने तालिबान के फरमान के बावजूद लड़कियों को शिक्षित करने का अभियान चला रखा है। तालिबान आतंकी इसी बात से नाराज होकर उसे अपनी हिट लिस्‍ट में ले चुके थे। संगठन के प्रवक्ता के अनुसार,‘यह महिला पश्चिमी देशों के हितों के लिए काम कर रही हैं। इन्‍होंने स्वात इलाके में धर्मनिरपेक्ष सरकार का समर्थन किया था। इसी वजह से यह हमारी हिट लिस्ट में हैं। अक्टूबर 2012 में, स्‍कूल से लौटते वक्‍त उस पर आतंकियों ने हमला किया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गई। इस हमले की जिम्‍मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली।[6][8][9]बाद में इलाज के लिए उन्हें ब्रिटेन ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद उन्हें बचा लिया गया।

पुरस्कार और सम्मान


मलाला युसुफ़ज़ई ओवल ऑफिस में

विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार – स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद द्वारा सम्मानित, 20 नवंबर 2013

अर्जेंटीना में अंतर्राष्ट्रीय काव्य महोत्सव 2013 के दौरान मलाला को सम्मान

पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार - 2011

अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति को बढ़ावा देने के लिए उसे साहसी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, उसे पहली बार 19 दिसम्बर 2011 को पाकिस्तानी सरकार द्वारा 'पाकिस्तान का पहला युवाओं के लिए राष्ट्रीय शांति पुरस्कार मलाला युसुफजई को मिला था।[10]मीडिया के सामने बाद में बोलते हुए, उसने शिक्षा पर केन्द्रित एक राजनितिक दल बनाने का इरादा रखा। सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल, मिशन रोड, को तुरंत उसके सम्मान में मलाला युसुफजई सरकारी गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल नाम दिया गया।[11]

अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामाँकन (2011)

अंतरराष्ट्रीय बच्चों की वकालत करने वाले समूह किड्स राइट्स फाउंडेशन ने युसुफजई को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए प्रत्याशियों में शामिल किया, वह पहली पाकिस्तानी लड़की थी जिसे इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। दक्षिण अफ्रीका के नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटूने एम्स्टर्डम, हॉलैंड में एक समारोह के दौरान २०११ के इस नामांकन की घोषणा की, लेकिन युसुफजई यह पुरस्कार नहीं जीत सकी और यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीक़ा की 17 वर्षीय लड़की ने जीत लिया यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था हर साल एक लड़की को देती है।[12]

अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार (2013)

नीदरलैंड के किड्स राइट्स संगठन ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आगामी छह सितंबर को हेग में आयोजित होने वाले एक समारोह में वर्ष 2011 का नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने वाली महिला अधिकार कार्यकर्ता तवाकुल रहमान मलाला को बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित करेंगी। किड्स राइट्स संगठन उन लोगों को सम्मानित करता है जो कि बाल अधिकारों के लिए कोई विशेष कार्य करते हैं। इससे पहले बहादुर मलाला सयुंक्त राष्ट्र में नोबल शांति पुरस्कार के प्रतियोगी के तौर पर जुलाई में भाषण दे चुकी हैं।[13]

साख़ारफ़ (सखारोव) पुरस्कार (2013)

मलाला युसुफ़जई को यूरोसंसद द्वारा वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए साख़ारफ़ पुरस्कार प्रदान किया गया है। बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष में महती भूमिका निभाने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है।[14]

मैक्सिको का समानता पुरस्कार (2013)

मलाला यूसुफजई को इक्वेलिटी एंड नान डिस्क्रिमीनेशन का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई है। मैकिसको में भेदभाव निरोधक राष्ट्रीय परिषद की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया है कि मलाला को यह पुरस्कार मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उसके प्रयासों विशेषतया जाति, उम्र, लिंग में भेदभाव किए बिना शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष को देखते हुए दिया जा रहा है।[15]

संयुक्त राष्ट्र का 2013 मानवाधिकार सम्मान (ह्यूमन राइट अवॉर्ड)

संयुक्त राष्ट्र ने मलाला यूसुफजई को 2013 का मानवाधिकार सम्मान (ह्यूमन राइट अवॉर्ड) देने की घोषणा की। यह सम्मान मानवाधिकार के क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियों के लिए हर पांच साल में दिया जाता है। इससे पहले यह सम्मान पाने वालों में नेल्सन मंडेला, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टरएमनेस्टी इंटरनैशनलआदि शामिल हैं। मलाला के अतिरिक्त पांच अन्य को भी इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।[16]

नोबेल पुरस्कार

बच्चों और युवाओं के दमन के ख़िलाफ़ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थीके साथ संयुक्त रूप से उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कारप्रदान किया गया। [17]

बाह्य सूत्र

सन्दर्भ

  1. The Associated Press (1997-07-12). "Pakistani girl shot by Taliban able to stand, doctors say". Canadian Broadcasting Corporation. अभिगमन तिथि: 2012-10-19.
  2. Memmot, Mark (9 अक्टूबर 2012). "Talibadiaryn Say They Shot Teenaged Pakistani Girl Who Exposed Their Cruelty". NPR. अभिगमन तिथि: 15 अक्टूबर 2012.
  3. "Orbala" (10 अक्टूबर 2012). "Praying for Malala Yusufzai, a Pashtun Symbol of Hope and Courage". Safeworld International Foundation. अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर 2012.
  4. "Diary of a Pakistani schoolgirl". BBC News. 19 जनवरी 2009.
  5. "Pakistani girl, 13, praised for blog under Taliban". BBC News. 24 Nov. 2011.
  6. http://www.guardian.co.uk/world/2012/oct/09/pakistan-girl-shot-activism-swat-taliban
  7. http://www.bhaskar.com/article/INT-taliban-gun-down-girl-who-spoke-up-for-rights-3904692-PHO.html?seq=6&RHS-pasandeeda_khabaren=
  8. Guerin, Orla (9 अक्टूबर 2012). "Malala Yousafzai: Pakistan activist, 14, shot in Swat". BBC. अभिगमन तिथि: 2012-10-09.
  9. Walsh, Declan (October 10, 2012). "Girl Shot by Taliban in Critical Condition After Surgery". New York Times. अभिगमन तिथि: 2012-10-10.
  10. Khan, Sumera (20 दिसम्बर 2011). "National peace prize named after Malala Yousafzai". The Express Tribune News Network with the International Herald Tribune. अभिगमन तिथि: 6 जनवरी 2012.
  11. "Malala in the House, plans to launch political party". The Dawn Media Group. 4 जनवरी 2012. अभिगमन तिथि: 6 जनवरी 2012.
  12. "Swat girl falls short of getting world peace prize". PakTribune. 24 Nov. 2011.
  13. "बाल शांति पुरस्कार से मलाला सम्मानित". जागरण. 28 अगस्त 2013. अभिगमन तिथि: 26 नवम्बर 2013.
  14. "मलाला युसुफ़जाई को मिला साखारफ़ पुरस्कार". रेडियो रूस. 20 नवम्बर 2013. अभिगमन तिथि: 26 नवम्बर 2013.
  15. "मलाला यूसुफजई को मैक्सिको का समानता पुरस्कार". हिंदुस्तान मीडिया समूह. 25 नवम्बर 2013. अभिगमन तिथि: 26 नवम्बर 2013.
  16. "मलाला को संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन राइट अवॉर्ड". नवभारत टाईम्स. 6 दिसम्बर 2013. अभिगमन तिथि: 7 दिसम्बर 2013.
  17. नोबल मीडिया एबी (10 अक्तूबर 2014) (अंग्रेज़ी में). The Nobel Peace Prize for 2014. प्रेस रिलीज़. अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर 2014.

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