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दिल्ली | |
— महानगर — | |
समय मंडल:आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | Image may be NSFW. Clik here to view. ![]() |
केन्द्र शासित प्रदेश | दिल्ली |
जिला | |
मुख्यमंत्री | शीला दीक्षित |
उप राज्यपाल | तेजेंदर खन्ना |
महापौर | आरती मेहरा |
जनसंख्या • घनत्व • महानगर | ११,९५४,२१७ (२००७ अनु.) (दूसरा) • 11,463 /कि.मी.२ (29,689 /वर्ग मी.) •[1] |
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी, पंजाबी, उर्दू |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) | 1,484 कि.मी² (573 वर्ग मील) • 239 मीटर (784 फी॰)[2] |
आधिकारिक जालस्थल: delhigovt.nic.in |
यमुना नदीके किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अतिप्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ् सिन्धु घाटी सभ्यतासे जुड़ा हुआ है। हरियाणाके आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारतकाल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थथा। दिल्ली सल्तनतके उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी।[4]यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९में मुगल बादशाह शाहजहाँनें दिल्ली में ही एक चहारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो१६७९से १८५७तक मुगल साम्राज्यकी राजधानी रही।
१८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनीने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाताको अपनी राजधानी बनाया। १९११में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति नें भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत की एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है।
अनुक्रम |
नामकरण
इस नगर का नाम "दिल्ली" कैसे पड़ा इसका कोई निश्चित संदर्भ नहीं मिलता लेकिन व्यापक रूप से यह माना गया है कि यह एक प्राचीन राजा "ढिल्लु" से सम्बन्धित है। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि यह देहली का एक विकृत रूप है, जिसका हिन्दुस्तानीमें अर्थ होता है 'चौखट',जो कि इस नगर के सम्भवतः सिन्धु-गंगा समभूमि के प्रवेश-द्वार होने का सूचक है। एक और अनुमान के अनुसार इस नगर का प्रारम्भिक नाम "ढिलिका" था। हिन्दी/प्राकृत "ढीली" भी इस क्षेत्र के लिये प्रयोग किया जाता था जो अन्तत।इतिहास
मुख्य लेख : दिल्ली का इतिहास
दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारतमें मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थके के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी।[5]पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिले हैं उससे पता चलता है कि ईसा से दो हजार वर्ष पहले भी दिल्ली तथा उसके आस-पास मानव निवास करते थे।[6]मौर्य-काल (ईसा पूर्व ३००) से यहाँ एक नगर का विकास शुरु हुआ। चंदरबरदाईकी रचना पृथ्वीराज रासोमें तोमरराजा अनंगपालको दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया। दिल्ली में तोमरो का शासनकाल ९००-१२००इसवीं तक माना जाता है। 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया। इस शिलालेख का समय ११७०इसवीं निर्धारित किया गया।१२०६इसवीं के बाद दिल्ली दिल्ली सल्तनतकी राजधानी बनी। इसपर खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंशऔर लोधी वंशसमते कुछ अन्य वंशों ने शासन किया। ऐसा माना जाता है कि आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और विभिन्न स्थानों पर बसी, जिनके कुछ अवशेष अब भी देखे जा सकते हैं। दिल्ली के तत्कालीन शासकों ने इसके स्वरूप में कई बार परिवर्तन किया। मुगल बादशाह हुमायूँ ने सरहिंद के निकट युद्ध में अफ़गानों को पराजित किया तथा बिना किसी विरोध के दिल्ली पर अधिकार कर लिया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबरने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरास्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहानाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहानाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया हैं तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था।
१८५७के सिपाही विद्रोहके बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकुमत में शासन चलने लगा। १८५७के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्रामके आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़रको रंगूनभेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परंतु १९११में उपनिवेशराजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। १९४७में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। दिल्ली में कई राजाओं के साम्राज्य के उदय तथा पतन के साक्ष्य आज भी विद्यमान हैं। सच्चे मायने में दिल्ली हमारे देश के भविष्य, भूतकाल एवं वर्तमान परिस्थितियों का मेल-मिश्रण हैं। तोमर शासको मै दिल्ली कि स्थापना का शेय अनंगपाल को जाता है।
जलवायु, भूगोल और जनसांख्यिकी
भौगोलिक स्थिति
मुख्य लेख : दिल्ली का भूगोल
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रदिल्ली 1,484 कि.मी.२ (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि.मी.२ (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण, और 700 कि.मी.२ (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि.मी. (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि.मी. (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-- दिल्ली नगर निगम:निगम विश्व की सबसे बड़ी नगर पालिका संगठन है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि.मी.२ or 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्योसे ही पीछे है।"[7]. नगर निगम १३९७ वर्ग कि.मी. का क्षेत्र देखती है।
- नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि.मी.२ or 16 वर्ग मील) नई दिल्लीकी नगरपालिका परिषद का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है।
- दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि.मी.२ or 17 वर्ग मील)[8]जो दिल्ली के छावनीक्षेत्रों को देखता है।
दिल्ली पर उत्तरी भारतमें बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालयसे १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदीके किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणाराज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेशराज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्रमें स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुनासिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊंचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) [9]तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरंभ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुनाहिन्दू धर्ममें अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदीपूर्वी दिल्लीको गाजियाबादसे अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IVमें आने से इसे बड़े भूकम्पोंका संभावी बनाती है।[10]
जल संपदा
भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं।दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था।[11]
व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुनाका होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी संपत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना