Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

साहित्य की (सति) या सती सावित्री का शर्महीन विलाप



विभूति नारायण राय एक लफंगा है : मैत्रेयी पुष्‍पा

♦ मैत्रेयी पुष्‍पा
Image may be NSFW.
Clik here to view.
महात्मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीयहिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति वीएन राय लेखिकाओं को ‘छिनाल’ कहकर अपनी कुंठा मिटा रहे हैं और उन्हें लगता है कि लेखन से न मिली प्रसिद्धि की भरपाई वह इसी से कर लेंगे। मैं इस बारे में कुछ आगे कहूं, उससे पहले ज्ञानोदय के संपादक रवींद्र कालिया और कुलपति वीएन राय को याद दिलाना चाहूंगी कि दोनों की बीवियां ममता कालिया और पदमा राय लेखिकाएं हैं, आखिर उनके ‘छिनाल’ होने के बारे में महानुभावों का क्या ख्याल है।

लेखन के क्षेत्र मेंआने के बाद से ही लंपट छवि के धनी रहे वीएन राय ने ‘छिनाल’ शब्द का प्रयोग हिंदी लेखिकाओं के आत्मकथा लेखन के संदर्भ में की है। हिंदी में मन्‍नू भंडारी, प्रभा खेतान और मेरी आत्मकथा आयी है। जाहिरा तौर यह टिप्पणी हममें से ही किसी एक के बारे में की गयी, ऐसा कौन है – वह तो विभूति ही जानें। प्रेमचंद जयंती के अवसर पर कल ऐवाने गालिब सभागार (ऐवाने गालिब) में उनसे मुलाकात के दौरान मैंने पूछा कि नाम लिखने की हिम्मत क्यों न दिखा सके, तो वह करीब इस सवाल पर उसी तरह भागते नजर आये, जैसे श्रोताओं के सवाल पर ऐवाने गालिब में।
मेरी आत्मकथा‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ कोई पढ़े और बताये कि विभूति ने यह बदतमीजी किस आधार पर की है। हमने एक जिंदगी जी है, उसमें से एक जिंदा औरत निकलती है और लेखन में दखल देती है। यह एहसास विभूति नारायण जैसे लेखक को कभी नहीं हो सकता, क्योंकि वह बुनियादी तौर पर लफंगे हैं।
मैं विभूति नारायण केगांव में होने वाले किसी कार्यक्रम में कभी नहीं गयी। उनके समकालीनों और लड़कियों से सुनती आयी हूं कि वह लफंगई में सारी नैतिकताएं ताक पर रख देता है। यहां तक कि कई दफा वर्धा भी मुझे बुलाया, लेकिन सिर्फ एक बार गयी। वह भी दो शर्तों के साथ। एक तो मैं बहुत समय नहीं लगा सकती इसलिए हवाई जहाज से आऊंगी और दूसरा मैं विकास नारायण राय के साथ आऊंगी जो कि विभूति का भाई और चरित्र में उससे बिल्कुल उलट है। विकास के साथ ही दिल्ली लौट आने पर विभूति ने कहा कि ‘वह आपको कब तक बचाएगा।’ सच बताऊं मेरी इतनी उम्र हो गयी है फिर भी कभी विभूति पर भरोसा नहीं हुआ कि वह किसी चीज का लिहाज करता होगा।
रही बात ‘छिनाल’ होनेया न होने की तो जब हम लेखिकाएं सामाजिक पाबंदियों और हदों को तोड़ बाहर निकले, तभी से यह तोहमतें हमारे पीछे लगी हैं। अगर हमलोग इस तरह के लांछनों से डर गये होते, तो आज उन दरवाजों के भीतर ही पैबस्त रहते, जहां विभूति जैसे लोग देखना चाहते हैं। छिनाल, वेश्या जैसे शब्द मर्दों के बनाये हुए हैं और हम इनको ठेंगे पर रखते हैं।
हमें तरस आता हैवर्धा विश्वविद्यालय पर, जिसका वीसी एक लफंगा है और तरस आता है ‘नया ज्ञानोदय’ पर जो लफंगई को प्रचारित करता है। मैंने ज्ञानपीठ के मालिक अशोक जैन को फोन कर पूछा तो उसने शर्मिंदा होने की बात कही। मगर मेरा मानना है कि बात जब लिखित आ गयी हो, तो कार्रवाई भी उससे कम पर हमें नहीं मंजूर है। दरअसल ज्ञोनादय के संपादक रवींद्र कालिया ने विभूति की बकवास को इसलिए नहीं संपादित किया क्योंकि ममता कालिया को विभूति ने अपने विश्वविद्यालय में नौकरी दे रखी है।
मैं साहित्य समाज औरसंवेदनशील लोगों से मांग करती हूं कि इस पर व्यापक स्तर पर चर्चा हो और विभूति और रवींद्र बताएं कि कौन सी लेखिकाएं ‘छिनाल’ हैं। मेरा साफ मानना है कि ये लोग शिकारी हैं और शिकार हाथ न लग पाने की कुंठा मिटा रहे हैं। मेरा अनुभव है कि तमाम जोड़-जुगाड़ से भी विभूति की किताबें जब चर्चा में नहीं आ पातीं, तो वह काफी गुस्से में आ जाते हैं। औरतों के बारे में उनकी यह टिप्पणी उसी का नतीजा है।
((अजय प्रकाश से हुई बातचीत पर आधारित | जनज्वार से नकलचेंपी))
Image may be NSFW.
Clik here to view.
(मैत्रेयी पुष्‍पा। अलीगढ़ जिले के सिकुर्रा गांव में जन्‍म। झांसी जिले के खिल्ली गांव में शुरुआती शिक्षा। बुंदेलखंड कालेज, झांसी से हिंदी साहित्‍य में एमए। उपन्‍यास चाक से चर्चा में आयीं। अब तक पांच उपन्‍यास, दो कहानी संग्रह, एक कविता संग्रह के अलावा गुड़‍िया भीरत गुड़‍िया नाम से हाल में आत्‍मकथा छप कर आयी। कई सम्‍मान भी मिले।)

Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>