प्रस्तुति- अनामी शरण बबल
सोशल मीडिया क्या है?
विनीत उत्पल | एक ओर जहां अभिव्यक्ति के तमाम विकल्प सामने आ रहे हैं, वहीं इस पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया भी पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में मौजूद है। जहां कहीं भी सरकार को आंदोलन का धुआं उठता दिखाई देता है, तुरंत सरकार की नजर सोशल मीडिया ...
Read More »
Read More »
संचार के दायरे को तोड़ता सोशल मीडिया
विनीत उत्पल। सोशल मीडिया एक तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में बैठे उन लोगों से संवाद है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इसके जरिए ऐसा औजार पूरी दुनिया के लोगों के हाथ लगा है, जिसके जरिए वे न सिर्फ अपनी बातों को दुनिया के सामने रखते हैं, बल्कि ...
Read More »
Read More »
स्थानीय भाषा में इंटरनेट
मुकुल श्रीवास्तव | इंटरनेट शुरुवात में किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह एक ऐसा आविष्कार बनेगा जिससे मानव सभ्यता का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा | आग और पहिया के बाद इंटरनेट ही वह क्रांतिकारी कारक जिससे मानव सभ्यता के विकास को चमत्कारिक गति मिली|इंटरनेट के विस्तार के साथ ही ...
Read More »
Read More »
इंटरनेट : जीवन शैली में तेजी से बदलाव का दौर
मुकुल श्रीवास्तव। इंटरनेट नित नयी तरक्की कर रहा है, इंटरनेट ने जबसे अपने पाँव भारत में पसारे हैं तबसे हर जगत में तरक्की के सिक्के गाड़ रहा है। इंटरनेट न सिर्फ संचार जगत में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सफल हुआ है बल्कि हमारे जीवन जीने के सलीके और जीवन शैली ...
Read More »
Read More »
सोशल मीडिया: लिखिए अवश्य पर जोखिम समझते हुए, न्यायालय से तो मिली आजादी
अटल तिवारी। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने वाला एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। अपने इस फैसले के जरिए न्यायालय ने साइबर कानून की धारा 66 (ए) निरस्त कर दी है, जो सोशल मीडिया पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी भी शख्स ...
Read More »
Read More »
परंपराओं से टकराती वेब मीडिया
ओमप्रकाश दास। “यह कहा जा सकता है कि भारत में वेब पत्रकारिता ने एक नई मीडिया संस्कृति को जन्म दिया है। अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी एक नई गति मिली है। अधिक से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो जाने से यह स्पष्ट है कि वेब पत्रकारिता ...
Read More »
Read More »
वेब समाचारः पारंपरिक परिभाषाओं से आगे
शालिनी जोशी… वेब समाचार आखिर पारंपरिक मीडिया के समाचारों से कैसे अलग है. इसमें ऐसा क्या विशिष्ट है जो इसे टीवी, रेडियो या अख़बार की ख़बर से आगे का बनाता है, उसे और व्यापक बना देता है. कहने को तो वेब समाचार वैसा ही है जैसा पारंपरिक मीडिया का समाचार ...
Read More »
Read More »
वेब जर्नलिज्म : नए जमाने के मीडिया को ऐसे समझें
विजय के. झा। प्रिंट और ब्रॉडकास्ट के बाद अब जमाना न्यू मीडिया का है। जवानी की ओर बढ़ रहे इस मीडिया ने नौजवानों को अपनी ओर खूब खींचा है। न्यू मीडिया यानी क्या परिभाषा के लिहाज से देखें तो न्यू मीडिया में वेबसाइट, ऑडियो-वीडियो स्ट्रीमिंग, चैट रूम, ऑनलाइन कम्युनिटीज के ...
Read More »
Read More »
सोशल मीडिया एवं हिन्दी विमर्श
–डॉ॰रामप्रवेश राय जिस प्रकार हमारी फिल्मों/सिनेमा मे स्क्रिप्ट की मांग के अनुसार ‘एंटेरटेनमेंट’ का तड़का लगता है कुछ उसी प्रकार हिन्दी के बारे मे बात–चीत करते समय हिन्दी–अंग्रेज़ी की प्रतिस्पर्धा का भाव आ जाता है। ऐसा शायद इसलिए भी होता है कि अंग्रेज़ी और यूरोपीय भाषाएँ आधुनिकता के द्योतक के ...
Read More »
Read More »
वास्तविक खतरे के आभासी औजार
अभिषेक श्रीवास्तव। ”मेरे ख्याल से हमारे लिए ट्विटर की कामयाबी इसमें है, जब लोग इसके बारे में बात करना बन्द कर दें, जब हम ऐसी परिचर्चाएं करना बन्द करें और लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ एक उपयोगितावादी औजार के रूप में करने लगें, जैसे वे बिजली का उपयोग करते हैं। जब ...
Read More »
Read More »
इंटरनेट ने बदला पत्रकारिता का स्वरूप
हर्षदेव। समाचार लेखन के लिए पत्रकारों को जो पांच आधारभूत तत्व बताए जाते हैं, उनमें सबसे पहला घटनास्थल से संबंधित है। घटनास्थल को इतनी प्रमुखता देने का कारण समाचार के प्रति पाठक या दर्शक का उससे निकट संबंध दर्शाना है। समाचार का संबंध जितना ही समीपी होता है, पाठक या ...
Read More »
Read More »
नया मीडिया : नुकसान और निहितार्थ
शिवप्रसाद जोशी। न्यू यॉर्कर में 1993 में एक कार्टून प्रकाशित हुआ था जिसमें एक कुत्ता कम्प्यूटर के सामने बैठा है और साथ बैठे अपने सहयोगी को समझाते हुए कह रहा है, “इंटरनेट में, कोई नहीं जानता कि तुम कुत्ते हो।” (जेन बी सिंगर, ऑनलाइन जर्नलिज़्म ऐंड एथिक्स, अध्याय एथिक्स एंड ...
Read More »
Read More »