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समाचार क्या है?

Previous: भारतीय-अमेरिकी ओबामा के शपथ ग्रहण पर जश्न मनाएंगे नाइजीरिया में भारतीयों को हिंसा से बचने की चेतावनी अमेरिकी सिखों ने किया सख्त बंदूक कानूनों का समर्थन भारतीय चिकित्सकों ने दी हैती में पीड़ितों को सेवाएं सुस्ती के बाद भारत का विकास निश्चित : विश्व बैंक पत्रकारिता में भी चोर दरवाजा ? – डॉ. वेदप्रताप वैदिक रॉबिन जेफरी नामक एक विदेशी प्रोफेसर ने दिल्ली के पत्रकारों के सामने एक अजीब-सा उपदेश झाड़ दिया। उस उपदेश को उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में भी छपवा दिया। अंग्रेजी अखबारों और उनके पत्रकारों को बुद्धू बनाकर बच निकलना आसान होता है, क्योंकि उनकी जानकारी विदेशी विद्वानों की तरह काफी सीमित होती है। जेफरी की इस बात का किसी ने विरोध नहीं किया कि ‘भारतीय मीडिया में अनुसूचित जातियों और जन-जातियों का एक भी आदमी क्यों नहीं है?’ क्या अंग्रेजी मीडिया ही भारतीय मीडिया है? अंग्रेजी मीडिया तो उसका दस प्रतिशत भी नहीं है। अंग्रेजी मीडिया में भी कई स्तरों पर वंचित श्रेणियों के लोग हैं और जहां तक भारतीय भाषाओं का सवाल है, इस मीडिया में तो उन श्रेणियों के कई लोग हैं और वे अपनी योग्यता के आधार पर हैं। किसी की दया या कृपा या आरक्षण के आधार पर नहीं है। क्या जेफरी यह कहना चाहते हैं कि ‘अनुसूचितों’ के लिए भारतीय मीडिया के द्वार जान-बूझकर बंद हैं? वे उनकी तुलना अपने देश के अश्वेत लोगों से करते हैं। यह तुलना गलत है। अखबारों और टीवी चैनलों में उम्मीदवारों की योग्यता देखी जाती है। उनकी जात, मज़हब, हैसियत आदि को नहीं देखा जाता। घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या? करोड़ों-अरबों रू. की लागत से चलनेवाले अखबार और चैनल डूब जाएंगे। यह सरकारी नौकरी नहीं है कि अपनी जात, प्रांत, पार्टी या जान-पहचान के लोगों को आंख मींचकर भर लें। यदि अनुसूचित उम्मीदवार सामने ही नहीं आएंगे तो क्या आप उन्हें पकड़-पकड़कर जबर्दस्ती पत्रकार बना देंगे? बिना योग्यता के आप सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तो बन सकते हैं लेकिन किसी अखबार में रिपोर्टर भी नहीं बन सकते। जेफरी क्या चाहते हैं कि पत्रकारिता जैसा निष्पक्ष और पवित्र व्यवसाय भी राजनीति की तरह पक्षधरता और अपवित्रता का अड्डा बन जाए? ब्राह्ममण पत्रकार ब्राह्मण पत्रकारिता करे और दलित पत्रकार दलित पत्रकारिता करे तो पत्रकारिता और वेश्यावृत्ति में क्या अंतर रह जाएगा? पत्रकारिता के धर्म का क्या होगा? दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को पत्रकारिता में जरूर लाया जाए और बड़ी संख्या में लाया जाए लेकिन चोर दरवाजे से नहीं। उन्हें शिक्षा में आरक्ष्ज्ञण देकर इस योग्य बनाया जाए कि भर्ती-परीक्षा में वे अन्य सबको मात कर दें। तभी पत्रकार बनकर वे संपूर्ण समाज के साथ न्याय कर सकेंगे। dr.vaidik@gmail.com (लेखक भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं) ए-19, प्रेस एनक्लेव, नई दिल्ली-17, फोन घरः 2651-7295, मो. 98-9171-1947

Monday, May 24, 2010

मजाक में किसी ने कहा, अगर कुत्ता आदमी को काटता है तो वो समाचार नहीं है, मगर अगर आदमी कुत्ता को काट ले तो ये समाचार कहलाएगा.
सरल शब्दों में कहें तो जो कुछ नया है, रोमांचक है, आकर्षक है, अलग है, अनुपम है, उत्सुकता बढ़ाने वाला है, चर्चा के योग्य है, वो समाचार है.
मगर, आजकल समाचार के मायने बदल गए हैं. आज के संपादक कहने लगे हैं कि पाठक या दर्शक जो कुछ पढ़ना या देखना चाहता है, वही समाचार है. पाठकों या दर्शकों की रुचि जानने के लिए अखबार या टेलीविजन सर्वेक्षण कराते है, प्रतिक्रिया मंगवाते हैं, फिर दर्शक या पाठक की मर्जी से समाचार परोसते हैं.
फिर, समाचार वही है जिसकी दर्शकों को जरूरत है, जो दर्शक जानना चाहता है, जिसमें उसकी रुचि है.
समाचार की कसौटी-समाचार में इनमें से एक या एक से ज्यादा तत्व होने चाहिए. समाचार को निम्नलिखित तथ्यों की कसौटी पर कसकर देखें कि वो समाचार के लायक है नहीं-
  • प्रभाव- किसी भी समाचार का प्रभाव इस बात से जाना जाता है कि वह कितने व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है यानी समाचार का प्रभाव कितने लोगों पर हो रहा है. जितने ज्यादा लोगों पर समाचार प्रभावी है वह उतना बड़ा समाचार है.
  • निकटता- कोई घटना जितनी निकट में घटती है वो उतना ही बड़ा समाचार होता है. बिहार के लोगों के लिए पटना में मुख्यमंत्री क्या बोलते हैं वो ज्यादा बड़ा समाचार है, अमेरिकी राष्ट्रपति के अमेरिका में दिए बयान के मुकाबले.
  • तत्क्षणता- नयापन समाचार की आत्मा होता है. कोई समाचार एक सप्ताह बाद समाचार के लायक नहीं रह जाता है. तुरंत या तत्क्षण घटने वाली घटना बड़ी खबर है. समाचार मछली की तरह होती है, जो ताजा की अच्छी होती है. बासी कोई नहीं पसंद करता है.
  • बड़प्पन- खबर जितने बड़े लोगों की होती है, खबर उतनी बड़ी होती है. अभिषेक बच्चन के बेटे की शादी की खबर बड़ी खबर है. प्रधानमंत्री अगर सबेरे उठकर टहल रहे हों तो भी बड़ी खबर है. लालू की हरेक बयान बड़ी खबर है.
  • नयापन- खबर में नयापन, अनुपमता और रोमांच होना चाहिए यही इसका गुण होता है.
  • संघर्ष- हिंसा, युद्ध, हमला और अपराध अपने आप में बड़ी खबर है.
  • प्रासंगिकता- अगर घटना प्रासंगिक है तो समाचार है वर्ना उसे कौन पूछता है. महात्मा गांधी को हर कोई जानता है. मगर जब जेम्स ओटिस उनके कुछ सामानों की नीलामी करता है तो अखबार समाचारपत्र-टीवी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन के बारे में बताने लगते हैं. यहां इस खबर की प्रासंगिकता है.
  • उपयोगिता- उपयोगिता भी समाचार का बड़ा गुण है. हम जो सूचना दे रहे हैं वो लोगों के लिए कितनी उपयोगी है, लोगों का जीवन उससे कितना संवरता है, उनका काम कितना आसान होता है.
  • रूचिपरकता- समाचार रुचिकर होना चाहिए. यह समाचार का सबसे बड़ा गुण है.


1 comments:

Pravin Yadavsaid...
आपने बहुत अच्छे तरीके से लिखा है। और आज के समय में बहुत से लोगों को इस ज्ञान की आवश्यकता है जो भी पत्रकारिता कर रहा है। उसके लिये आपका यह प्रयास सफल साबित होगा।


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