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पाकिस्तानियों की दिल्ली में रमजान / विवेक शुक्ला

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दिल्ली में  पाकिस्तानियों के रमजान


लॉकडाउन लागू होने से पहले से ही चाणक्यपुरी के शांतिपथ पर स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में खामोशी का आलम है। भारत- पाकिस्तान  के संबंधों में आई खटास के बाद यहां स्टाफ अब 20-25 से ज्यादा नहीं है। हालांकि यहां अधिकतम 98 तक का स्टाफ रहा है। इधर के अधिकतर मुलाजिम उच्चायोग की इमारत के भीतर बने दो मंजिला फ्लैटों में ही रहते हैं। ये सब आजकल घरों के अंदर ही नमाज पढ़ लेते हैं। इधर एक छोटी सी मस्जिद भी है। ये उच्चायोग के पिछले हिस्से में है, जिसके सामने नेहरु पार्क है। पिछले भाग की तरफ ही पाकिस्तान का वीजा लेने के लिए कुछ लोग खड़े होते हैं। ये अधिकतर दिल्ली और उत्तर प्रदेश से होते हैं । इनका कोई रिश्तेदार पाकिस्तान में होता है ।

इफ्तार पाकिस्तान उच्चायोग में
पाकिस्तान उच्चायोग में रमजान के महीने में इफ्तार का आयोजन होता रहा है। पर बीते कुछ वर्षों के दौरान उन आयोजनों में रंग में भंग इसलिए पड़ती रही क्योंकि उनमें कश्मीरी अलगाववादियों को भी बुलाया जाता था। जाहिर है, इस कारण कुछ लोग एतराज भी करते थे। इस बार तो हालात बिल्कुल ही अलग है। कोरोना वायरस के कारण सोशल डिस्टेनसिंग का पालन हो रहा है। इफ्तार वगैरह के आयोजन नहीं हो रहे। जिन दिनों रियाज खोखर और अब्दुल बासित पाकिस्तान के नई दिल्ली में उच्चायुक्त थे, तब ये दोनों कोशिश करते थे कि दिल्ली का एलिट ईद या इफ्तार के आयोजनों में आए। खोखर 1992 से 1997 तक यहां रहे। खोखर तो दिल्ली के पेज थ्री सर्किल का हिस्सा ही बन गए थे। वे अपने तिलक मार्ग स्थित आवास में लगातार दावतों का आयोजन करते थे।उनके पूर्व प्रधानमंत्री आई.के.गुजराल से बहुत मधुर संबंध थे।
  पाकिस्तान उच्चायोग की पहचान क्या
अपनी नीली मीनारों के कारण पाकिस्तान उच्चायोग को दूर से ही पहचाना जा सकता है। ये 1960 के शुरू में बनकर तैयार हो गई थी। इसके डिजाइन में इस्लामिक आर्किटेक्चर की छाप साफतौर पर नजर आती है। कुछ लोगों को हैरानी हो सकती है कि इसके गुबंद और मीनारों के रंग हरे क्यों नहीं है,जिस रंग से इस्लाम को जोड़कर देखा जाता है। इसके बनने से पहले पाकिस्तान हाई कमीशन तिलक मार्ग से ही चलता था। इसे ‘पाकिस्तान हाउस’ कहते हैं। ये पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान का अपना निजी बंगला था। लियाकत अली खान अजमेरी गेट स्थित एंग्लो एराबिक स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी के 1946 तक अध्यक्ष थे।


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