1999 की बात है। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ .मुरली मनोहर जोशी ने एक दिन कहा कि नवंबर में गुरु नानक देव के 530वें जन्मदिन एक भव्य आयोजन की योजना है जिस का उदघाटन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करेंगे। मैं चाहता हूं कि ऐसे सिख विद्वानों की एक सूची बनाकर मुझे दें जो अधिकारपूर्वक गुरु जी के जीवन पर अपने विचार व्यक्त कर सकें। मैं ने उन्हें करीब सौ लोगों की लिस्ट बना कर दे दी जिस में बुद्धिजीवियों से लेकर इतिहासकारों, संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों, राजनीतिकों, पत्रकारों, सामाजिक एक्टिविस्ट के नाम दर्ज थे। इस सूची में देश भर के लोगों के नाम शामिल किये गए थे। मेरा नाम न देखकर जोशी जी बोले, तुमने अपना नाम क्यों नहीं लिखा। जब मैं ने कहा कि मैं कौनसा विशेषज्ञ हूं, उनका उत्तर था, यह तय करना न तुम्हारा काम है और न ही अधिकार ।सचमुच डॉ. जोशी का मुझे बहुत स्नेह प्राप्त है, और आज भी है। 5 नवंबर, 1999 में एक भव्य आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उपस्थिति देखकर आश्वस्त दीखे शायद इसलिए कि उनमें से बहुत से लोगों को वह व्यक्तिगत तौर पर जानते थे। उदघाटन समारोह बहुत ही गरिमापूर्ण रहा। जब मैं बाहर आया तो मेरी धर्मपत्नी ने फोन कर के बताया कि मेरी माता जी का निधन हो गया है। डॉ जोशी को मैं सूचित कर जब चलने लगा तो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि धीरज रखो। मेरे साथ ही उस समय मेरे दो साथी सुदीप और शम्मी सरीन भी चल पड़े।
1999 की बात है। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ .मुरली मनोहर जोशी ने एक दिन कहा कि नवंबर में गुरु नानक देव के 530वें जन्मदिन एक भव्य आयोजन की योजना है जिस का उदघाटन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी करेंगे। मैं चाहता हूं कि ऐसे सिख विद्वानों की एक सूची बनाकर मुझे दें जो अधिकारपूर्वक गुरु जी के जीवन पर अपने विचार व्यक्त कर सकें। मैं ने उन्हें करीब सौ लोगों की लिस्ट बना कर दे दी जिस में बुद्धिजीवियों से लेकर इतिहासकारों, संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों, राजनीतिकों, पत्रकारों, सामाजिक एक्टिविस्ट के नाम दर्ज थे। इस सूची में देश भर के लोगों के नाम शामिल किये गए थे। मेरा नाम न देखकर जोशी जी बोले, तुमने अपना नाम क्यों नहीं लिखा। जब मैं ने कहा कि मैं कौनसा विशेषज्ञ हूं, उनका उत्तर था, यह तय करना न तुम्हारा काम है और न ही अधिकार ।सचमुच डॉ. जोशी का मुझे बहुत स्नेह प्राप्त है, और आज भी है। 5 नवंबर, 1999 में एक भव्य आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उपस्थिति देखकर आश्वस्त दीखे शायद इसलिए कि उनमें से बहुत से लोगों को वह व्यक्तिगत तौर पर जानते थे। उदघाटन समारोह बहुत ही गरिमापूर्ण रहा। जब मैं बाहर आया तो मेरी धर्मपत्नी ने फोन कर के बताया कि मेरी माता जी का निधन हो गया है। डॉ जोशी को मैं सूचित कर जब चलने लगा तो मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि धीरज रखो। मेरे साथ ही उस समय मेरे दो साथी सुदीप और शम्मी सरीन भी चल पड़े।