१९७० में हम उदयपुर में रहते थे. राजेंद्र कुमार और आशापारिख की नाइट होने वाली थी. फिल्म स्टारों का उन दिनों आज से भी ज्यादा क्रेज था. हम भी देखने गए. प्रवेश की शर्त क्या थी सुनकर आप को आश्चर्य होगा. प्रवेश टिकिट था कैवेंडर सिगरेट के दो पैकेट खरीदने होंगे. उन्हें गेट पर दिखाओ तब अंदर जा सकते हैं.
आप में से बहुत से मेरी उम्र ले लोगों को याद होगा कि कोल्डड्रिंक फेंटा पहले 'फेंटा ऑरेंज'के नाम से बिकता था जबकि उस पेय में शंतरे के रस का एक छींटा भी नहीं है. बाद में कानून की सख्ती के बाद मजबूरन कंपनी ने बंद किया.
कोलगेट टूथपेस्ट के विज्ञापन में एक प्लेट में पानी के ऊपर कोयले का पाउडर फैला दिया जाता था. फिर उसने एक बूँद कोलगेट की डाली जाती थी. पानी की सतह से कार्बन एक और फ़ैल जाता था. आजकल डेटोल का विज्ञापन भी उसी तरह का आता है. आप इस तरह का प्रयोग करें. किसी भी क्षार या साबुन की एक बूँद डालने पर वो सतह पर फ़ैल जाता है. एक विज्ञापन में प्लास्टर पेरिस की सीप बनाकर उसपर कोलगेट मला जाता है और फिर दो सीपों को टकराया जाता है. जिसपर कोलगेट नहीं लगा वो टूट जाती है. इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है.
फेयर एन लवली नाम की फेसक्रीम बरसों से महिलाओं को गोरा बनाने का दावा कर रही है जबकि विज्ञान ये सुनिश्चित कर चूका है कि इंसान की त्वचा का रंग स्थाई तौर पर बदलना असंभव है.
कई टैल्कम पाउडर ये कहकर बेचे जा रहे हैं कि इन्हे लगाने के बाद एयरकंडीशन लगाने की आवश्यकता नहीं है. पूरा शरीर ठंडा रहेगा जबकि विज्ञान के अनुसार किसी पाउडर से शरीर का तापमान नहीं गिराया जा सकता है.
डव जैसे कई साबुन ये दावा करते हैं कि उनमे क्रीम सम्माहित है जबकि क्रीम और साबुन अर्थात क्षार एक दुसरे के दुश्मन हैं. साबुन का काम ही चिकनाई और उसके साथ चिपकी गन्दगी को हटाना है. यदि उसमे क्रीम होगी तो फिर वो साबुन नहीं रहेगा.
अधिकतर फ्रूट जूस के नाम से बिकने वाले पेय में ५ से २० प्रतिशत फ्रूट पल्प रहता है. शेष अत्यंत हानिकारक फ़ूड कलर और प्रेजर्वेटिव भरे रहते हैं. रूहअफजा नामक शरबत में भारी मात्रा में लाल रंग, नकली खुशबू और हानिकारक प्रिजर्वेटिव भरा पड़ा है. बोतल पर पढ़कर देख लीजिये.
आजकल टेलीवीजन पर ब्रू कॉफी का विज्ञापन बहुत बढ़िया तरीके से मूर्ख बनाने का प्रयास करता है. पत्नी अपने पति को चाय की जगह कॉफी बनाकर देती है. पति प्रश्न करता है कि चाय मांगी थी कॉफी क्यों तो पत्नी कहती है इसलिए क्यों कि अभी आप को बैग उठाने की मेहनत करनी है". सबसे मजेदार बात अब सुनिए. विज्ञापन में नीचे छोटे अक्षरों में लोखा रहता है "क्यों कि चाय में ६५% दूध डाला जाता है और कॉफी १००% मिल्क के साथ प्रैफर की जाती है इसलिए कॉफी में दूध की कैलोरी अधिक हो जाती है. अर्थात आप कैफीन के हानिकारक नशे को दूध की ताकत के बहाने शक्ति शाली पेय के रूप में बेचकर आँखों में धूल झोंकना चाहते हैं.
सावधान रहिये. आँखे खुली रखिये. दुनिया आप को टोपी पहनाने को तैयार बैठी है.
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