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कोरोनाः अब गांव की बारी / काली शंकर उपाध्याय

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*काली शंकर उपाध्याय

*Covid-19 कोरोनावायरस स्पेशल*

*अब गांव की बारी*
*एक तरफ पूरा विश्व को रोना जैसी वैश्विक महामारी से परेशान है तो दूसरी तरफ भारत भी इस लड़ाई में किसी से कम नहीं इस लड़ाई में भारत में तमाम व्यवस्थाएं कर भारत जैसे बड़े देश में सुविधाओं के कमर कसे वही दूसरी तरफ मेडिकल सुविधाओं में भी बहुत सारे सुधार किए. कोरोनावायरस एक भयानक रूप ना ले ले इसलिए पूरे देश को लाक डाउन कर दिया गया लेकिन इस लाक डाउन के बीच गरीब तबके के लोग मध्यमवर्गीय लोग  या यूं कहें कि पूरे देश में हमारे कामगार साथी जिन मिल फैक्ट्री में कार्य करते थे उन मिल फैक्ट्रियों में भी लाक डाउन का ताला लग गया और सभी को अपने रोजी रोटी की तंगी आने लगी इसी कारणवश शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग जैसे मुंबई दिल्ली कोलकाता हरियाणा पंजाब गुजरात तमाम मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों को अपनी रोजी-रोटी पर आन पड़ी इसी को देखते हुए लोगों में एक भयावह स्थिति आ गई कि अगर में ऐसे ही चलता रहेगा तो हम क्या खाएंगे और कहां रहेंगे किराए के मकान में रह रहे लोगों को यह भी चिंता सताने लगी कि हम कमरे का किराया कहां से देंगे इसी को देखते हुए मजदूर मेट्रो सिटी से जब गांव की तरफ पलायन किया तो कोई पैदल कोई ट्रक कोई बस कोई साइकल कोई रिक्शा जो जैसे आ रहा था वैसे गांव की तरफ कूच कर दी अब गांव में कोरेंटिन  की क्या व्यवस्था है क्या व्यवस्था नहीं है इस पर बहुत सारा सवाल खड़ा होता है कि गांव में क्या व्यवस्था है गांव में सरकारी स्कूल प्राइमरी मिडिल या पंचायत भवन में कितने लोग आ सकते हैं या कितने लोग रह सकते हैं इसके अलावा भी एक सवाल यह है कि जो लोग दिल्ली मुंबई मेट्रो सिटीज से गांव की तरफ आये है या गांव  तरफ आ चुके हैं वह कोरेंटिन व्यवस्था को कितना महत्व देते हैं स्थिति अब शहर से गांव की तरफ चली  आ रही है और भारत में अब गांव की कोरोनावायरस रहा  है जैसा कि नतीजा आप लोगों के सामने दिख रहा है कि हर तरफ कोरोना का तांडव हर गांव से लेकर शहर तक चल रहा है अभी तो शहरों में सुना जा रहा था लेकिन जब से पलायन चालू हुआ है तब से कोरोना अपना तांडव गांव में भी चालू कर दिया है सोचने वाली बात यह है कि गांव में जहां लोग दो वक्त की रोटी के लिए दिन-रात खेत में मेहनत करते हैं तो कोरोना जैसी महामारी से क्या भारत का गांव लड़ पाएगा अब शहर में तो जो कोरोना की पॉजिटिव केसेस थे वह थे ही लेकिन अब सबसे ज्यादा कोरोना गांव में होगा बरहाल अगर मेट्रो सिटी से आए लोग गांव में सही तरीके से कोरेंटिन रहे तो कोरोना पर काबू पाया जा सकता है मैं निजी तौर पर और पूरे देश के मेट्रो सिटीज में रह रहे लोग जो गांव की तरफ पलायन कर रहे हैं उन से निवेदन करता हूं कि वह शहर से गांव में आ रहे हैं तो आए लेकिन कोरेंटिन व्यवस्था को100% पालन करें*



*हिमांशु पाठक मानवाधिकार मीडिया मंडल प्रभारी वाराणसी*

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