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रवि अरोड़ा की नजर से

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लाला रामदेव की नीम हकीमी

रवि अरोड़ा

ऋषिकेश में एक नीम हकीम है नीरज गुप्ता । कई दशकों से उसने मिर्गी के शर्तिया आयुर्वेदिक इलाज के नाम पर ऊधम मचा रहा है और अब तक करोड़ों रुपये भी कमा चुका है । अख़बारों में पूरे पूरे पेज के उसके क्लीनिक के विज्ञापन छपते हैं और देश भर में उसके क्लीनिक की धूम रहती है । वर्ष 2004 में इसके क्लीनिक पर ड्रग कंट्रोल विभाग ने छापा  मारा और भारी मात्रा में ख़तरनाक स्टेरॉयड्स दवाएँ बरामद कीं। नतीजा उसे जेल भेज दिया गया और अब जाकर तीन साल पहले उसकी ज़मानत हुई । मगर आजकल उसकी दुकान फिर धूमधड़ाके से चल रही है और वह फिर लोगों के बहुमूल्य जीवन से खिलवाड़ कर रहा है । अकेला नीरज गुप्ता ही नहीं हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे शहरों की आध्यात्मिक पहचान को भुनाने वालों में बड़े बड़े नाम शामिल हैं । एसे तमाम शहरों में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा की सैंकड़ों दुकानें खुली हुई हैं जो हमारी पुरानी चिकित्सा पद्धति के नाम को जम कर भुनाती हैं । कोरोना संकट के इस काल में तो आजकल इन नीम हकीमों की चाँदी ही कट रही है और लोगों की ज़िंदगी से जम कर खेला जा रहा है ।

अब बाबा रामदेव को ही लीजिए । बेशक नीरज गुप्ता से उनकी तुलना नहीं हो सकती मगर काम वे भी नीम हकीमों जैसा ही कर रहे हैं । कभी वे दावा करते हैं कि एक मिनट साँस रोक कर पता चल जाता है कि व्यक्ति को कोरोना है अथवा नहीं और कभी दावा करते हैं कि नाक में तेल डालने से कोरोना वायरस मर जाएगा । कभी आयुर्वेद से एक सप्ताह में कोरोना के मरीज़ को ठीक करने का दावा करते हैं और कभी कहते हैं कि उन्होंने गिलोय और अश्वगंधा से कोरोना का मरीज़ ठीक भी किया है । हालाँकि डब्ल्यूएचओ उनके तमाम दावों को ख़ारिज करता है और इन सब बातों से बचने की लोगों को सलाह देता है । रामदेव के मामले में राजनीतिक ड्रामा तो तब शुरू हुआ जब उनकी संस्था पतंजलि की कोरोना सम्बंधी आयुर्वेदिक दवा के मानवीय प्रयोग की अनुमति मध्य प्रदेश सरकार ने दे दी । जबकि नियमानुसार मनुष्य से पहले दवा चूहों और जानवरों पर आज़माने का प्रावधान है । हालाँकि हो हल्ला मचने पर बाद में यह अनुमति रद्द भी कर दी गई ।

रामदेव को लेकर ताज़ा विवाद इंडिया टीवी पर कोरोना और अन्य बीमारियों के इलाज सम्बंधी उनके दावों को लेकर है । सोशल मीडिया पर देश के अनेक आयुर्वेदिक चिकित्सक रामदेव के दावों की आजकल धज्जियाँ उड़ा रहे हैं । बक़ौल उनके रामदेव योगाचार्य हैं और योग की ही बात बतायें और आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा सम्बंधी ऊटपटाँग ज्ञान न बघारें । रामदेव को इस तरह की सलाह देने वालों में जाने माने चिकित्सक भी हैं जो यह भी पूछते हैं कि बिना किसी डिग्री के रामदेव कैसे आयुर्वेदिक इलाज कर रहे है ? हाल ही इंडिया टीवी पर जोंक से इलाज को भी पंचकर्म का हिस्सा बताने पर तो आयुर्वेदाचार्य बेहद कुपित हैं और कह रहे हैं की रामदेव को तो आयुर्वेद का सामान्य ज्ञान भी नहीं है । बक़ौल उनके बेशक योग ग्राम के नाम से रामदेव हरिद्वार में डेड सौ एकड़ में फैला बड़ा प्राकृतिक चिकित्सालय चलाते हों और चिकित्सकों की लम्बी चौड़ी टीम के द्वारा एक ही समय में सात सौ लोगों का अपने आवासीय परिसर में इलाज करने का दावा भी करते हों मगर इससे वे स्वयं तो चिकित्सक नहीं हो जाते ? उनकी यह दलील भी वाजिब है कि आयुर्वेदिक की दवाएँ तो डाबर और झंडू जैसी कम्पनियाँ भी बनाती हैं , तो क्या उसके मालिक डाक्टर हो गए ? वे याद दिलाते हैं कि टीवी पर रामदेव की सलाह से कड़वी लौकी का जूस पीने से दिल्ली में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी । ये आयुर्वेदाचार्य सोशल मीडिया पर अब लोगों से अपील कर रहे हैं कि संकट की घड़ी में इस तरह के नीम हकीमों से बचें । हालाँकि आयुर्वेदाचार्यो की इस मुहीम से कोई बड़ी उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि ये लोग जिस सरकार से हस्तक्षेप की माँग कर रहे हैं , बाबा उसे ही जेब में लेकर घूमते हैं ।


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