मुझे हंगरी जाने के तीन अवसर मिले। दो बार 1977 में और तीसरी बार 1980 में पश्चिम जर्मनी का चुनाव कवर करने के बाद बरास्ता ब्रुसेल्स। पहली बार बेलग्राद से हंगरी की राजधानी बुदापेश्त पहुंचा और दूसरी बार विएना से ट्रेन द्वारा। पहली बार मेरी गाइड यूली रास्ते में अपनी कार खराब हो जाने कुछ विलंब से पहुंचीं तो न केवल उन्होंने माफी मांगी बल्कि उनका प्रेस ऑफिसर जब रात को मेरे होटल हिल्टन में डिनर करने के लिए आया उन्होंने भी यूली के देर से पहुंचने के लिए खेद व्यक्त किया। हंगरीवासियों के ये संस्कार मन को खूब भाये। ऐसा लगता था कि बुदापेश्त हिल्टन नया नया ही खुला है। यूली ने सुझाव दिया कि आप फ़्रेश हो जाइये फिर डेन्यूब के किनारे टहलने के लिए चलते हैं, शाम को प्रेस ऑफिसर हेगेदुश गाबोर आपको अगला कार्यक्रम बता देंगे।
डेन्यूब को हंगरी में भी 'दूना'कहते हैं और वह शहर के बीचोंबीच बहती है। यूली बताती है कि नदी के एक ओर बुदा बसा है और दूसरी ओर पेश्त। बुदा यानी पुराना शहर औऱ पेश्त अर्थात नया।दोनों की अपनी अपनी विशेषता है जिसे वहां एक ही माला की दो लड़ियां माना जाता है।यूरोप के बीचोंबीच बसे हंगरी को बहुत ही सुंदर, सुकून देने वाला हरियाली से युक्त देश माना जाता है । और बुदापेश्त को 'डेन्यूब का हीरा'। बुदा औऱ पेश्त को जोड़ने के लिए आठ पुल हैं।इन के नाम हैं एलिज़ाबेथ, मारग्रेट, लिबर्टी, उत्तरी और दक्षिणी रेलवे पुल , चेन, आपर्द और पेटोफी। ये सभी पुल 19वी सदी की देन हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की फौजों ने पीछे हटते हुए इन पुलों को नष्ट कर दिया था जिनका बाद में पुनर्निर्माण हुआ। हालॉकि सभी पुलों का बहुत महत्व है लेकिन मारग्रेट, एलिज़ाबेथ औऱ चेन को बुदापेश्त की धड़कन माना जाता है। इन आठों पुलों को न केवल डेन्यूब का श्रृंगार माना जाता है बल्कि ये बुदापेश्त की व्यस्तता के भी प्रतीक हैं। कभी कभी इन पुलों को ऐसा सजाया जाता है कि रात को चमकने वाले छोटे छोटे बिजली के बल्बों की रोशनी के प्रतिबिंब आकाश के सितारों का एहसास करा जाते हैं।
यहां की नदियों के पानी की तासीर की कई कहानियां सुनने को मिलीं। डेन्यूब नदी के पानी की महक दूर से महसूस की जा सकती है। लोग अक्सर कहते पाए जाते हैं कि यूरोप में पानी की खपत कम बियर और वाइन की खपत ज़्यादा है लेकिन हंगरी में डेन्यूब ने इस सोच को गलत साबित कर दिया है। यहां के लोग डेन्यूब नदी का पानी छक कर पीते हैं। इतना ही नहीं नदी से पानी को पंप करके बुदा पहाड़ियों के निकट स्थित भंडारों में जमा किया जाता है ताकि कभी किसी मौसम में पानी की किल्लत न होने पाये। यहां के लोग डेन्यूब का उपयोग मनोरंजन, नौकाविहार, खेलकूद आदि क्षेत्रों में भी करते हैं। बहुत से सैलानी तो मोटर बोट और नौका विहार के ज़रिए नगर की सुंदरता का आनंद लेते हैं। रात को इन पुलों पर लगे रोशनी के बल्बों की टिमटिमाहट डेन्यूब में स्नान करती प्रतीत होती है। शायद इसीलिए लोग बुदापेश्त को डेन्यूब का हीरा कहते हैं। यहां दूसरी महत्वपूर्ण नदी है तीसा। बताया गया कि हंगरी में केवल एक हज़ार मीटर की गहराई में ही गर्म जल आना शुरू हो जाता है और दो हज़ार मीटर के नीचे 80 से 90 डिग्री सेंटीग्रेड का गर्म पानी आपको मिल जाएगा। यह कुदरती पानी है जो तीसा नदी के पूर्व में औऱ हंगरी के दक्षिणी भाग में पाया जाता है। इस जल का इस्तेमाल चिकित्सा, औधौगिक तथा कृषि कार्यों में होता है। यहां के घरों में भी गर्म पानी1इन्हीं स्रोतों से मुहैया कराया जाता है। हंगरी यूरोप के मध्य में स्थित है इसीलिए इसे यूरोप की रूह माना जाता है। यहां का क्षत्रेफल 93031 वर्ग किलोमीटर है जबकि आबादी एक करोड़ और सात लाख के आसपास।यह देश बहुत बड़ा नही है लेकिन खुबसूरती में लाजवाब है। हरियाली खूब है तथा पर्वतों के नाम पर यहां पहाड़ियां हैं जो बहुत आकर्षक लगती हैं।यहां की जलवायु पर अटलांटिक और भूमध्यसागर दोनों का प्रभाव है लिहाज़ा सर्दी और गर्मी दोनों ही सुहावनी लगती हैं।
देर शाम प्रेस ऑफिसर हेगेदुश गाबोर मिलने के लिए होटल बुदापेश्त हिल्टन पहुंच गए। 28 वर्षीय सुंदर और हँसमुख गबरू जवान मुझे ऐसे तपाक से मिला मानो मुझे बरसों से जानता हो। उनकी पत्नी पांच साल तक भारत में रहकर पढ़ाई कर2चुकी है इसलिए वह भारत को बेगाना नहीं मानते। डिनर हिल्टन में ही किया। हंगरी की प्रसिद्ध वाइन बुल्स ब्लड पेश की गयी। आम तौर पर यूरोप में खाने के साथ वाइन लेने की परंपरा है। हंगरी के लोकल खाने का ही आनंद लिया जिसका जायका हमारे यहां के खाने से खासा मेल खाता है। भारत औऱ हंगरी के सौहार्दपूर्ण संबंधों पर चर्चा करने के बाद मेरे कार्यक्रम के बारे में बातचीत हुई।मेरे लिए नई गाइड बनाम दुभाषिया का प्रबंध किया गया। उसका नाम था अग्नेश। वह काफी तेजतर्रार लेकिन लोकप्रिय थी।उसने बुदापेश्त घुमाया औऱ बाहर भी मेरे साथ ही रही। अग्नेश कई भाषाओं में पारंगत थी और देश की बारीकियों से भी परिचित। उसने बताया कि हंगरी वह लोग माग्यार कहते हैं। वह बताती है कि जितने सुंदर हमारे शहर हैं, गांव इन से कम खूबसूरत नहीं।अग्नेश बताती है कि आप मारग्रेट पुल तो देख1आये होंगे लेकिन मारग्रेट द्वीप नहीं देखा होगा। मारग्रेट द्वीप में गजब का आकर्षण है जो डेन्यूब नदी के बीचोंबीच स्थित है। उस समय एक होटल था ग्रैंड।वहां रिहाइशी मकान नहीं हैं। दो पुल इस द्वीप को शहर से जोड़ते हैं पेटोफी और मारग्रेट पुल।यहां एक स्विमिंग पूल है, एक कैसीनो, एक फव्वारा तथा एक छोटी सी झील भी है जहां पर एक लड़की की प्रतिमा है। उसके साथ कुछ झाड़ियां हैं, झुकी हुई। शायद विरह में। अग्नेश इस द्वीप की कहानी बताती है।एक सम्राट की बेटी का किसी राजकुमार से प्रेम हो गया।वह राजकुमार, राजकुमारी के पिता की रियासत के दुश्मन का बेटा था। सम्राट को बेटी के प्यार का यह रिश्ता पसंद नहीं था। कहीं उनकी बेटी छुप कर राजकुमार से न मिले सम्राट ने अपनी बेटी को इस द्वीप की एक निर्जन कोठरी में बंद कर दिया।कुछ समय बाद एक युद्ध में सम्राट मारा गया, उसके स्थान पर दूसरा राजकुमार गद्दी पर बैठा। लेकिन मारग्रेट द्वीप के एक कोने में पड़ी राजकुमारी मारग्रेट की किसी ने सुध नहीं ली। बाद में वह nun बन गयी औऱ यहीं उसका प्राणांत हो गया।तभी से इस द्वीप को मारग्रेट द्वीप के नाम से जाना जाता है। यह द्वीप लगभग दो किलोमीटर लंबा होगा और 600-700 मीटर चौड़ा। माना जाता है कि जब कभी हंगरी में ओलिंपिक खेलों का आयोजन हुआ तो तैराकी की प्रतियोगिताएं इसी मारग्रेट द्वीप में ही होंगी।