""""मैं कौन हूँ """
तुमने पूछा ,"मैं कौन हूँ"
तो सुनों , मैं हूँ तथाकथित
नारी शक्ति
जिसे तुम पूजते हो
कभी दुर्गा बनाकर तो कभी काली ,
अपने मतलब के लिए ,
मांगते हो ढेरों आशीर्वाद ,
और अगले ही पल देते हो
इसी शक्ति को गाली ,
कभी छोटे कपड़े पहने देख ,
कभी ऑटो बस में खचाखच
भीड़ का फायदा देख ,
कर देते हो निगाहों से बलात्कार
उसके स्वाभिमान का ,
कराते हो अहसास उसे हरपल ,
की आज भी वह घर के चारदीवारों के
अंदर बंद होने की चीज है ,
हाँ , मैं वही हूँ
जिसने जन्म लेते ही
महसूस किया अनादर ,
कभी पिता से जो जन्मदाता था ,
कभी दादा दादी से
जिन्हें घर के चिराग की
आशा थी , जो मेरे आते ही बुझ गयी ,
कभी माँ से भी जिसे अफ़सोस हो जाता है
एक बेटा न पाने का ,,
हाँ मैं वही हूँ , जिसके कोख में आते ही
शुरू हो जाता है जांचों का सिलसिला ,
कहीं मैं आ तो नहीं गयी
बिन इक्षा ,
हाँ मैं वही हूँ , जिसके पालन पोषण में
हरपल दिखता है घरवालों की आँखों में डर ,
कभी स्कूल भेजते , कभी कॉलेज भेजते ,
हाँ मैं वही हूँ , जिसे छुपाना ही पड़ जाता है ,
आधी से ज्यादा इक्षाएं
, रहना पड़ जाता है ,
मौन ,
करना पड़ता है स्वीकार
घर वालों का अधिकार ,
हाँ मैं वही हूँ , जिसे भेज दिया जाता है एक
अनजान घर बताकर ससुराल
और अपेक्षा की
जाती है निभाये हर रिश्ता शिद्दत से ,,
हाँ , मैं हूँ नारी शक्ति जिसके बिना
रहते हो तुम अधूरे ----
फिर भी न स्वीकारते अस्तित्व ,
मुझसे ही होते हो तुम पूरे ,
और हमें ही बना देते हो
असहाय ,
हाँ मैं वही एक नारी शक्ति हूँ ,
जिसका तुम कर जाते हो सौदा ,
और कराते हो अहसास की मुझसे बड़ी
ताकत तो पैसे की है , फिर मैं कैसे हुई शक्ति ????
क्या बताओ मैं शक्ति हूँ ???
अब मैं तुमसे प्रश्न पूछती हूँ की
बताओ मैं कौन हूँ।????
सीमा "मधुरिमा"