चलते चलते...
मधुबाला को चाहने वाले.....
हम हिंदी फिल्मों की दुनिया की बात मधुबाला के बगैर कर सकते हैं क्या? हम जब भी यह सवाल करेंगे, हर बार इस सवाल का जवाब यही मिलेगा, कभी नहीं। जी हां, यही सच है। उनकी फिल्मों की संख्या भले ही बहुत कम कही जायेगी, लेकिन उनके जीवन के वर्ष को देखें तो उनकी फिल्मों की यह संख्या बहुत कही जा सकती है। पर्दे पर अपनी मोहक मुस्कान बिखेरने वाली मधुबाला की जिंदगी कुल 36 साल की रही जिसमें उन्होंने 73 फिल्में कीं और तब के फ़िल्म बनने के तरीकों के आधार पर यह कहना ग़लत न होगा कि उनकी फिल्मों की संख्या बहुत बड़ी है। फिर बहुत सी बड़ी फिल्में उन्होंने किन्हीं कारणों से छोड़ दी थीं।
मधुबाला ने जब तक फिल्मों में काम किया, उनके चाहने वाले उनके करीबी लोग हुए, लेकिन जो उन्हें आज भी चाहते हैं, वे उनकी फिल्मों के दर्शक हैं। वे आज भी उनके पर्दे पर गाये गीतों पर मचलते, धुनों पर थिरकते और उनके बारे में बातें करते नहीं थकते हैं। हिंदी सिनेमा की इस अदाकारा के प्रेम किस्से भी खूब हैं। दरअसल उनकी खूबसूरती ही ऐसी थी कि जो भी उनके करीब होता, उन्हें दिल दे बैठता। कई नामी लोग हैं। क्या आपको पता है उनके ऐसे प्रेमियों के बारे में, जिन्होंने उनसे एकतरफा प्यार किया?
मधुबाला की बतौर बाल कलाकर पहली फ़िल्म थी बसंत। कुछ और फिल्मों में काम करने के बाद उनकी हीरोइन के रूप में पहली फ़िल्म आई राज कपूर के साथ नील कमल। यह फ़िल्म राज कपूर के गुरु केदार शर्मा ने बनाई थी और इन दोनों को हीरो हीरोइन के रूप में पहला अवसर दिया था। फ़िल्म में काम करने के दौरान न जाने कब मधुबाला की सुंदरता ने उन्हें घायल कर दिया। केदार शर्मा ने मधुबाला की सुंदरता का जिक्र तब अपने कुछ अज़ीज़ लोगों से किया था, तब यह बात चर्चा में आई। लेकिन कुछ ही समय बाद केदार शर्मा को इसका अंदाज़ा हो गया कि वे जो कर रहे हैं, वह उन जैसे नामवर लोगों के लिए ठीक नहीं। इससे लोगों के बीच बनी उनकी इमेज खराब हो सकती है, उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए।
फ़िल्म नील कमल को कुछ खास चर्चा नहीं मिली, लेकिन पर्दे पर मधुबाला की खूबसूरती ने फिल्मी दुनिया के लोगों को आकर्षित किया। यही वजह रही कि उनकी कई फिल्में आईं और एक क्रम से लगातार आती रहीं। कोई औसत तो कोई बेकार साबित होती रहीं, लेकिन उनका फिल्मों में काम मिलना लगातार जारी रहा। इसी बीच एक फ़िल्म आयी कमाल अमरोही निर्देशित महल। इसमें उनके हीरो थे अशोक कुमार। इस फ़िल्म की सफलता ने दर्शकों के साथ ही हिंदी सिनेमा के सभी फिल्मकारों का मन बदल दिया। तब के हर निर्देशक की पहली पसंद मधुबाला थीं।
इसी समय एक फ़िल्म आयी बरसात की रात। निर्माता और अभिनेता के रूप में भारत भूषण को भी बड़ी ऊंचाई मिली इस फ़िल्म से। मधुबाला का कहना ही क्या, वे तो लगातार सफलता की सीढियां चढ़ रही थीं। इस फ़िल्म के समय उनका भी दिल मधुबाला पर आया, पर फिर एक बार वही कहानी। मामला आगे न बढ़ सका।
इसी क्रम में मधुबाला की एक फ़िल्म आयी प्रेमनाथ के साथ बादल। फ़िल्म में काम करते हुए प्रेमनाथ भी उनके दीवाने हुए। काफी चर्चा हुई, लेकिन इस एकतरफा प्यार का कोई अंत न हुआ। ऐसा ही हुआ शम्मी कपूर के साथ। उन्होंने मधुबाला का साथ रेल का डिब्बा में काम किया और उनकी ओर आकर्षित हुए। शम्मी कपूर ने अपनी ऑटोबोयोग्राफी शम्मी कपूर द गेम चेंजर में एक पूरा चैप्टर मधुबाला को समर्पित किया है। इसका शीर्षक है- फेल मेडली इन लव विद मधुबाला। शम्मी कपूर कहते हैं, मैं यह जानता था कि मधु किसी और के प्यार में हैं, लेकिन इसके बाद भी यह स्वीकार करता हूं कि मैं उनसे पागलों की तरह प्यार करने लगा था। इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि मैं ने उनसे ख़ूबसूरत औरत कभी नहीं देखी।
फिर दिलीप कुमार की जोड़ी बनी मधुबाला के साथ फ़िल्म तराना, संगदिल आदि में। यह पहली बार हुआ जब किसी हीरो में मधुबाला ने रुचि ली थी। अभी तक तो हीरो उनके दीवाने हुए, पर दिलीप कुमार को लेकर मधुबाला दीवानी हुईं। एक फ़िल्म में इन दोनों के अलावा निम्मी भी थीं। वह फ़िल्म थी अमर। यह त्रिकोणीय प्रेम कहानी कहने को थी, लेकिन होती कुछ और है। इस फ़िल्म को करते हुए निम्मी और मधुबाला करीब हो गईं। दोनों अपनी बात तक एक दूसरे से शेयर करती थीं। ऐसे में जब दोनों ने दिलीप कुमार को लेकर बात की, तो मधुबाला का मन बोझिल हो गया। उसके बाद उनकी दिलीप कुमार में ज्यादा रुचि नहीं रही, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। यह बात जब निर्माताओं को मालूम हुई तो सब मुश्किल में आ गए। मुग़ल ए आज़म सहित कई फिल्मों के निर्माता परेशान हो गए।
इसी समय दिलीप कुमार को लेकर बी आर चोपड़ा ने अपनी बड़ी फिल्म नया दौर भी शुरू की थी। इसमें हीरोइन मधुबाला को लिया गया था, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते ठीक न होने के कारण मधुबाला ने इस फ़िल्म में काम करने से मना कर दिया। बहाना यह बनाया गया कि मुंबई से बाहर शूटिंग में नहीं जाएंगी। अब चोपड़ा साहब इस फ़िल्म को लेकर काफी पैसे खर्च कर चुके थे। ऐड भी आ गया था, तो उन्होंने कोर्ट से नोटिस भिजवाया। कोर्ट में दिलीप कुमार ने इस मामले में चोपड़ा साहब का साथ दिया, तो मधुबाला से दिलीप कुमार के रिश्ते पूरी तरह बिगड़ गये। मुग़ल ए आज़म की शूटिंग चूंकि कई सालों तक हुई, तो किसी तरह काम हुआ, लेकिन संवाद के अलावा दोनों में कोई बात नहीं होती थी।
फ़िल्म मुग़ल ए आज़म के अलावा दूसरे हीरोज के साथ मधुबाला की बहुत सी फिल्में बन रही थीं। इस बीच मधुबाला ने झुमरू, हाफ टिकट, चलती का नाम गाड़ी आदि में किशोर कुमार के साथ काम किया था। तभी किशोर कुमार का पत्नी रूमा से तलाक हुआ था। एक दिन शूटिंग के दौरान मधुबाला बेहोश हो गईं। जब जांच में पता चला कि उनके दिल में छेद है, जिसका इलाज तब भारत में संभव नहीं था। वे यह जानकर परेशान हो गईं, लेकिन उन्होंने कुछ सोचकर इस बारे में किसी से कुछ नहीं बताया और जल्दी जल्दी काम कर अपनी सारी फिल्में दो महीने में पूरी कर दी।
तभी उन्हें पता चला कि किशोर कुमार उनसे प्यार करते हैं पर कहते नहीं। यह जान मधुबाला ने उनसे इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मैं एक सुहागन की मौत मरना चाहती हूं, जिसे किशोर कुमार ने स्वीकार लिया। दोनों ने 1960 में शादी कर ली। उसके बाद किशोर कुमार उन्हें लेकर दिखाने के लिए विदेश गए, लेकिन बात तब तक बहुत बिगड़ चुकी थी। बावजूद इसके मधुबाला ने करीब 9 साल सुहागिन की जिंदगी जिया, पर दुख के साथ। अपनी मोहक मुस्कान से जग को लुभाने वाली अभिनेत्री मधुबाला न जाने कितनी कहानियां, तमन्नाएं और आरजूएं छोड़ कर 23 फरवरी 1969 को इस दुनिया से चली गईं।
जब मुग़ल ए आज़म रंगीन होकर नवम्बर 2004 में दोबारा रिलीज हुई, तो उसके प्रीमियर पर इंडस्ट्री के तमाम लोग थे। फ़िल्म देखने के बाद दिलीप कुमार से सवाल हुआ मधुबाला को लेकर, तो भावुक हो गए। कुछ पल रुकने के बाद उन्होंने कहा, मधुबाला जितनी खूबसूरत फ़िल्म में दिखी हैं, वे उससे भी ज्यादा खूबसूरत थीं..., फ़िल्म तो है ही कमाल...।
हम आज भी उनकी फिल्में देखते हैं, उन्हें याद करते हैं, तो यह भी याद आता है कि एक थीं मधुबाला, जिन्होंने अपने जीवन में सिर्फ एक व्यक्ति को दिल से चाहा, लेकिन उन्हें चाहने वाले न जाने कितने थे! कुछ चर्चित लोग, कुछ अनाम और बाकी हम दर्शक...!
-रतन