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टाटा समूह भारतीय जनमानस और बाजार





रत्न  भूषण के साथ अरुण मिश्रा


टाटा ग्रुप को भारत मे कई चीजें पहली बार सुरु करने का गौरव प्राप्त है । देश मे सबसे पहला इस्पात कारखाना, ट्रक और लोकोमोटिव कारखाना,भारत का पहला 5 स्टार स्वदेशी होटल चेन ताज होटल (indian hotels}), भारत की पहली एयरलाइन टाटा एयरलाइन जो बाद में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन के रूप में सरकारी एयरलाइन बनी,भारत की पहली सॉफ्टवेयर कंपनी टी सी एस टाटा ने ही शुरू किया था । यदि आज भी  टाटा एयरलाइन्स होती तो लाखों करोड़ भारतीय करदाताओं के इन सरकारी विमानन कंपनियों में खाक न हुए होते ।

अस्तु, 1954 में उत्पादन सुरु करनेवाली टेल्को ने बाद अपना नाम बदलकर टाटा इंजीनियरिंग और फिर टाटा मोटर्स किया और 1994 में अपना पहला एम यू वी सूमो लांच किया ।हमलोग समझते हैं कि टाटा ने शायद जापान के सूमो पहलवान के नाम पर इस गाड़ी का नाम रखा था ,पर ऐसा नहीं था । टाटा मोटर्स में एक शीर्ष अधिकारी थे, सुमन्त मुलगांवकर , जो कंपनी के बेहद समर्पित और खोजी प्रवृति के थे । वो रोज दोपहर के समय लांच लेने पुणे फैक्ट्री से निकलकर मुम्बई पुणे हाईवे पर किसी ढाबे पर जाते और वहां बैठे ड्राइवरों से कंपनी की गाड़ियों पर फीडबैक लेते ,फिर उस फीडबैक के आधार पर कंपनी के गाड़ियों में सुधार करते । कंपनी की गुप्तचर शाखा ने उनका पीछा किया और असलियत पता कर अपनी रिपोर्ट टाटा तक पंहुचा दी ।
शीर्ष प्रबंधन सुमन्त मुलगांवकर से इतना प्रभावित हुआ कि अपनी पहली एमयूवी का नाम सुमन्त मुलगांवकर के नाम के पहले अक्षर सु(SU), मुलगांवकर(Moolganvkar)से MO लेकर sumo नाम रखा ।बाद में 1998 में रतन टाटा ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट कार डिवीज़न की सुरुआत की जिसमे भारत की पहली स्वदेशी छोटी कार इंडिका और भारत की एस यू वी सफारी का निर्माण शुरू हुआ । शुरूआती तकनिकी गड़बड़ियों के बाद इंडिका का v2 मॉडल बेहद सफल हुआ और फिर कंपनी ने इसका हैचबैक भी इंडिगो नाम से लांच कर दिया । दोनो ही खूब बिके । सफारी भी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी ।
टाटा ने इस बीच कई रणनीतिक साझेदारों से जुड़ने का प्रयास किया,किंतु कोई भी प्रतिष्ठित कार कंपनी इससे न जुड़ सकी । कहा जाता है कि एक बड़ी कंपनी के अधिकारी ने एक बार रतन टाटा की खिल्ली भी उड़ाई । मगर धुन के पक्के रतन टाटा अपने मिशन में लगे रहे ।
2007 में फोर्ड मोटर कंपनी भारी आर्थिक संकट में फंसी और इसने अपने कर्जों को उतारने के लिए ब्रिटेन स्थित लैंड रोवर जगुआर कार कंपनी को बेचने का फैसला किया और वार्ताओं के दौर के बाद 2008 में टाटा ने ये प्रसिद्ध कार कंपनी खरीद ली । ये वही टाटा थे जिनकी खिल्ली इसी फोर्ड के अधिकारी ने उड़ाई थी । इस डील के होने पर फोर्ड के चेयरमैन ने माना कि टाटा ने लैंडरोवर-जगुआर खरीदकर फोर्ड पर बहुत बड़ा उपकार  किया है।
2009 में टाटा ने एक लाख की शुरूआती कीमत में टाटा नैनो लांच की ।सुरुआत में बंगाल में भारी विरोध के कारण पूरे नैनो प्लांट को बंगाल के सिंगुर से गुजरात के सानंद में ले जाना पड़ा । कार को यद्यपि पूरी दुनिया मे इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना माना गया,और ऑटो समीक्षकों ने इसे कम दाम में बेहतरीन कार माना, एक लीटर पेट्रोल में ये 25 किलोमीटर आसानी से चलती थी ,पर आम जनता में ये बहुत लोकप्रिय नहीं हो पाई और इसका उत्पादन अब करीब कारीब बन्द ही करना पड़ा है ।
2014 में कंपनी ने इंडिका और इंडिगो की जगह क्रमशः बोल्ट और जेस्ट कारें लांच की जिसमे इंडिका और इंडिगो की कमियों को दूर किया गया था । जिन लोगों ने इन  गाड़ियों को खरीदा ,उन्होंने इसे बेहद ही किफायती मेंटेनेंस की गाड़ी पाया और बड़े शहरों के टूर ऑपरेटर्स में ये गाड़ियां खूब लोकप्रिय हुई ,पर आम जनता में ये लोकप्रिय नहीं हो  सकी ।
उसके बाद कंपनी ने अपने ब्रिटेन के लैंड रोवर प्लांट की रिसर्च सुविधाओं का उपयोग करते हुए 2016 में अपनी छोटी कार टियागो लांच की ,जिसने कंपनी का हुलिया ही बदलकर रख दिया । ये कंपनी का गेम चेंजर कार साबित हुई और फिर इसके बाद टिगोर, हेक्सा, नेक्सन, और फिर हेरियर ने कंपनी को भारत के तीसरे बड़े कार नीर्माता के रूप में  हौंडा जैसी कंपनी को पीछे कर स्थापित कर दिया ।
इस बीच भारत सरकार की एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज ने एक ग्लोबल टेंडर निकाला जिसमे दस हजार बैटरी चलित कारें केंद्रीय सरकारी अधिकारियों के लिए खरीदा जाना था । टाटा ने कई अंतरराष्ट्रीय कार कंपनियों से स्पर्धा कर यह टेंडर जीता और इलेक्ट्रिक टिगोर की आपूर्ति की ।
अभी हाल ही मे कंपनी ने इलेक्ट्रिक टियागो और टिगोर के बाद नेक्सन ev लांच किया है जो 15 लाख के आसपास में बेहतरीन इलेक्ट्रिक कार है और एक चार्जिंग में करीब 300 किलोमीटर चलती है ।हालांकि हुंडई ने Kona और एमजी ने भी EZS 300 किलोमीटर रेंज की इलेक्ट्रिक गाड़ियां लांच की हैं पर वो टाटा नेक्सन EV से 25 प्रतिशत मंहगी हैं ।चीनी मूल कंपनी SAIC मोटर्स की MG ब्रांड की EZS 262 किलोमीटर ही एक चार्जिंग में चलती है ,जबकि हुंडई Kona 300 किलोमीटर से कम चलती है ।

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