रत्न भूषण
चलते चलते...
शोले में ऐसा क्यों हुआ?
15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी रमेश सिप्पी निर्देशित और उनके ही पिता जी पी सिप्पी निर्मित फिल्म 'शोले'। यह फ़िल्म हिंदी फिल्मों में अपना अलग और अहम स्थान रखती है। इसे आज भी देखते हुए ऐसा लगता है जैसे हम कोई नई फिल्म देख रहे हैं, जबकि इसकी रिलीज को लगभग पैंतालीस साल हो चुके हैं। फ़िल्म ने कई रिकार्ड तोड़े और कई बनाये। फ़िल्म के हर मुख्य कलाकारों ने साथ साथ सीन भी किया, बेशक वह बहुत छोटा ही क्यों न हो? पर आपने यह गौर किया कि फ़िल्म के मुख्य कलाकारों में से संजीव कुमार और हेमा मालिनी ने साथ साथ कोई अहम सीन क्यों नहीं किया?
जब भी बात हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों की होती है तो ‘शोले’ का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है और आए भी क्यों न? बॉक्स ऑफिस पर पैसों की बरसात करने वाली इस फिल्म की कहानी से लेकर इसके सभी किरदार थे ही इतने दिलचस्प कि भुलाए नहीं जाते। फ़िल्म में छोटी भूमिका निभाने वाले कलाकारों की भी कमी नहीं थी, लेकिन सभी यादगार हो गये। जय, वीरू, राधा, मौसी, राम लाल, इमाम साहब, अहमद, साम्भा, कालिया, जेलर, हरेराम नाई, दीनानाथ जी, धौलिया, शंकर, काशी राम, सूरमा भोपाली, गब्बर सिंह, धन्नो, पुलिस अफसर, पुलिस इंस्पेक्टर, नर्मदा जी, जंगा, बड़ी बहू, ठाकुर का बेटा और पोता आदि। इन सभी चरित्रों का सीन सबके साथ था, लेकिन ऐसी क्या बात थी कि फिल्म में ठाकुर बने संजीव कुमार और बसंती बनीं हेमा मालिनी पर एक भी खास सीन नहीं रखे गए? जबकि फिल्म में ठाकुर और बसंती एक ही गांव रामगढ़ के होते हैं। यहां तक कि जय और वीरू को बसंती ही ठाकुर के घर तक पहुंचती है, बावजूद इसके संजीव कुमार पूरी फिल्म में कहीं बसंती का नाम तक नहीं लेते। दो तीन सीन में भीड़ में भले ही दिख जाएं, लेकिन अहमियत के साथ एक बार भी नहीं दिखे। ऐसा क्यों?
दरअसल, शोले की कहानी की तरह ही इन दोनों कलाकारों की भी एक कहानी है, जो रीयल है और इसके लिए हमें जाना होगा सन 1972 में रिलीज हुई फ़िल्म सीता और गीता की शूटिंग के वक़्त में यानी 1970 में। यह फ़िल्म भी रमेश सिप्पी के ही होम प्रोडक्शन की थी और इसमें हेमा मालिनी ने सीता और गीता का डबल रोल किया था। इस हिट फिल्म में भी दो हीरो थे, धर्मेंद्र और संजीव कुमार। फ़िल्म में काम करते हुए और गीत हवा के साथ साथ घटा के संग संग ओ साथी चल.... गाते हुए पता नहीं कब संजीव कुमार का दिल तब की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी पर आ गया। साथ काम करते और बात करते हुए पता नहीं कब संजीव कुमार को यह लगा कि हेमा मालिनी भी उन्हें प्यार करती हैं। वे जाने के लिए मद्रास (अब चेन्नई )का प्लान बना बैठे, हेमा की मां जया चक्रवर्ती से अपने लिए हेमा का हाथ मांगने के लिए।
जब यह बात पता चली हेमा मालिनी को, उन्होंने तुरंत तब अपनी कई फिल्मों में साथ काम करने वाले कलाकार जितेंद्र को एक चिट्ठी के साथ अपनी मां के पास मद्रास भेजा। कुछ दिन बाद जब संजीव कुमार जया चक्रवर्ती से मिले और उनसे बात की, तो हेमा की मां ने कहा, मैं तो हेमा की शादी यहीं के यानी किसी मद्रासी लड़के से करूंगी। लड़का देखा हुआ है। उनकी बात सुनकर संजीव कुमार का दिल टूट गया। वह दिन रात शराब पीने लगे और तन्हा रहने लगे। ऐसे वक्त में संजीव कुमार को सुलक्षणा पंडित ने संभाला, जो उन्हें एकतरफा प्यार करती थीं।
खैर, हेमा मालिनी की संजीव कुमार से शादी का मामला किसी तरह खत्म हुआ, लेकिन जया चक्रवर्ती से बातचीत के दौरान जितेंद्र ने खुद को इस तरह पेश किया कि जया के मन में उनके लिए जगह बन गयी। हेमा के लिए वे जितेंद्र को सही लड़का मान बैठीं। बात कुछ आगे तक बढ़ी, तो यह खबर जितेंद्र की होने वाली पत्नी शोभा को मिली, जो तब एयर होस्टेस थीं और जितेन्द्र के साथ उनकी शादी तय हो चुकी थी। शोभा ने धर्मेंद्र को भाई कहा और यह शादी न होने देने का उनसे वचन लिया। अब धर्मेन्द्र ने जितेंद्र शोभा के बारे में जया चक्रवर्ती को बताया, तो यह मामला भी खत्म हो गया।
यह वही वक़्त था, जब धर्मेंद्र भी जितेंद्र की तरह ही हेमा के साथ कई फिल्में कर रहे थे। पहले भी कर चुके थे, लेकिन पता नहीं क्यों कई हीरोइनों का दिल तोड़ चुके शादीशुदा धर्मेंद्र को न जाने अब हेमा में ऐसा क्या दिखा कि वे उन पर फिदा हो गए। हेमा को लेकर वे इस तरह का बर्ताव करने लगे कि कुछ निर्देशकों को हेमा के साथ काम करने में दिक्कत आने लगी। जब यह बात पता चली जया चक्रवर्ती को, तो वे आग बबूला हो गईं। वे शादीशुदा धर्मेंद्र से बेटी हेमा की शादी करने को कतई तैयार नहीं थीं। दूसरी ओर हेमा भी धर्मेंद्र के इस रवैये से नाखुश थीं, लेकिन तब दर्शक इनकी जोड़ी को पर्दे पर खूब पसंद कर रहे थे। इन दोनों को निर्माता भी जोड़ी के रूप में साइन कर रहे थे, तो हेमा भी करियर को देखते हुए कुछ ऐसा कर नहीं पा रही थीं।
फिर शुरू हुई बंगलोर में फ़िल्म शोले की शूटिंग। संजीव कुमार खुश हो गए कि फ़िल्म में हेमा मालिनी भी काम कर रहीं हैं। उन्हें इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि अब धर्मेंद्र हेमा से प्यार की पींगे बढ़ा चुके हैं। फिल्म की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र ने कैमरामैन द्वारिका दिवेचा से सेटिंग कर ली थी। इसलिए कैमरामैन इनके साथ वाले किसी सीन को बार-बार शूट करने के लिए कहता था। सीन को कई एंगल से शूट करता था। इस दौरान धर्मेंद्र की चाहत यही होती थी कि उन्हें हेमा के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने को मिले।
वहीं एक दिन काम करते हुए पता नहीं संजीव कुमार को क्या सूझी, उन्होंने मौका देखकर हेमा को प्रपोज़ कर दिया। अब शूटिंग के मध्य ही बवाल मचा। चूंकि धर्मेंद्र तब शोले के मुख्य हीरो थे और उनका रुआब भी कुछ अलग था, तो रमेश सिप्पी भी घबरा गए। फ़िल्म के कुछ सीन शूट हो गए थे। किसी तरह बात बनी और यह तय हुआ कि फ़िल्म में जितने भी सीन इन दोनों के साथ वाले हैं, हटा दिए जाएं और अब कोई सीन इनके साथ वाला शूट नहीं होगा। हुआ भी यही। जितने सीन इनके साथ वाले थे, सब कहानी से खत्म किये गए। जो शूट हो चुका था, उसे एडिटिंग के दौरान हटा दिया गया। यही वजह थी कि शोले में ठाकुर और बसंती एक भी सीन में अहमियत के साथ नहीं दिखे।
रमेश सिप्पी की फिल्म शोले रिलीज हुई। शुरू में लोगों ने इस बारे में तरह तरह की बातें कीं, फ्लॉप तक कह दिया गया, लेकिन तत्काल पौने चार घंटे की फ़िल्म से एक बड़ी कव्वाली और बहुत से सीन काट दिए गए। एक सप्ताह बाद पौने तीन घंटे की इस फ़िल्म को सिनेमाघरों में दिखाया गया, जो दर्शकों को पसंद आया। इसके संवाद के एलपी रिकार्ड बने, जो खूब सुने गए। जब यह सुपरहिट हो गयी और काफी समय बीत गया, तब फिल्म के कुछ और सीन जोड़ कर सवा तीन घंटे का किया गया। फ़िल्म शोले के सुपरहिट होने के बाद हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की जोड़ी और हिट हो गई। इस जोड़ी ने खूब धमाल मचाया।
पर यह क्या, सन 1978 में हेमा मालिनी के पिता की अचानक मौत हो गई। ऐसे वक्त में हेमा के करीब रहने और समझाने वाले सिर्फ धर्मेंद्र ही थे। अब हेमा पिता की मौत के बाद अकेली हो गई थीं। ऐसे वक्त में धर्मेंद्र ने उनका साथ दिया। फिर क्या था हेमा ने धर्मेंद्र से शादी करने का फैसला कर लिया। कुछ माह बाद धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी की मां को भी अपनी शादी के लिए तैयार कर लिया। अब हेमा की मां भी खुश और हेमा भी खुश, जैसे शोले में मौसी भी तैयार और बसंती भी तैयार..., लेकिन यह क्या?
दरअसल कानून के मुताबिक धर्मेंद्र पहली पत्नी प्रकाश कौर और 4 बच्चों के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने पहले इस्लाम धर्म कबूल किया, उसके बाद हेमा के साथ निकाह हुआ। वह तारीख थी 27 अगस्त 1979 और निकाहनामे के मुताबिक धर्मेंद्र का नाम हुआ दिलावर खान और हेमा का नाम था आयशा बी...।