भारत में सबसे अधिक पूर्व मंत्रियों वाला नगर- इलाहाबाद
हाल में दिवंगत इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार (University Of Allahabad Family World Wide) से जुड़े और प्रखर छात्र नेता भाई चंद्रनारायण त्रिपाठी चंदू जी के निधन की सूचना भाई Abhaya Awasthi जी से मिली। बड़े भाई अभयजी और चंदू भाई से रोज का सानिध्य रहा। लेकिन मैं चंदूजी के पिताजी पंडित सूर्य़नारायण त्रिपाठीजी का भी बेहद स्नेहपात्र रहा। वे इलाहाबाद ही नहीं आसपास के जिलों की राजनीति के इंसाइक्लोपीडिया थे। राजनीति में जब भी फंसता था उनके पास पहुंच जाता था। कभी निराश नहीं हुआ, उलटे एकाध नई चीज लेकर लौटा। उनके पास कागजात के पुलिंदे और दस्तावेज भी रहते थे। चंदू भाई कई बार मजाक करते हुए निकल जाते कि भाई ठाकुर साहब आप तो मेरे पिताजी के मित्र हैं, लेकिन कैंपस में मैं ही काम आऊंगा। खैर किस्से ही किस्से हैं। 1986 के जून महीने का आखिरी सप्ताह था किसी से संदेश मिला कि सूर्यनारायण त्रिपाठीजी आपको समोसा खिलाने के लिए याद कर रहे हैं। मैं गया तो उन्होंने राजनीति में मंत्रियों के बारे में बातचीत आरंभ कर दी। मैने कहा कि दिल्ली लखनऊ होगा और क्या..हंसने लगे। बोले कि तुम्हारे लिए एक कागज मैने तैयार किया है। मैं जानता हूं यह काम तुम ही कर सकते हो। तोड़ा और होमवर्क करो। विवरण जुटाने में मैने चंदू भाई से भी मदद मांगी और वह मिली भी थी। उनको भी राजनीति की बहुत गहरी समझ थी। बस कई बार हंसी मजाक कर देते थे। खैर मैने काम किया और इलाहाबाद के इस रूप पर शायद पहली बार एक विस्तृत विवरण लिखा। यह विस्तार से भी अलग से भी छपा है और जनसत्ता में एक आलेेख के रूप में । बेशक अब संदर्भ बदल गया है। कई नायक दिवंगत हो चुके हैं। लेकिन उनके बारे में फिर भी यह आलेख बताता है। मौका लगे तो जरूर पढ़िएगा। यह आलेख इलाहाबाद की महत्ता भी बताता है और राजनीति में कैसे दिग्गज रहे हैं, यह भी।