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1962 का भारत और हमारे जवान / आनंद कुशवाहा





जो लोग 1962 के भारत को याद करते हैं और बार बार उस हार की दुहाई देते हैं , वो लोग हमारे उन बहादुर सैनिकों का अपमान करते हैं-  जिन्होंने ताक़त में कम होने के बाद भी चीन का ज़बरदस्त मुक़ाबला किया l.  हार गए लेकिन घुटने नहीं टेके ।

इसी युद्ध में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाऊँ दस्ते की अहीर टुकड़ी के 123 जवानो में से मेजर शैतान सिंह समेत 109 लोगों ने शहादत का जाम पिया था l

 लेकिन 1700 से ज़्यादा चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर रेज़ांग लॉ को चीनी क़ब्ज़े से आज़ाद कराया था ।

उसके बाद 1967 में चीन ने जब सिक्किम पर हमला किया, तो भारत ने उसे मुँह तोड़ जवाब दिया था ।
भारत यह युद्ध जीता था ।
चीन को अपने 340 सैनिकों की जान से हाथ धोना पड़ा था और भारत के 88 जवान शहीद हुए थे ।

1975 में सिक्किम को इंदिरा गांधी जी के सक्षम नेतृत्व में चाइना की नाक के नीचे से भारत में मिलाकर, इसे भारत का 22वाँ राज्य घोषित कर दिया था ।

1987 में चाइना के सारे ऐतराज़ को दरकिनार करते हुए,  तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने अरुणाचल प्रदेश को सम्पूर्ण राज्य का दर्जा दिया था ।

जो लोग भी भारत चीन को सिर्फ़ 1962 की हार से देखते हैं , वो उन सभी सैनिकों , सरकारों का अपमान करते है जिन्होंने वक़्त वक़्त पर चीन को मात दी है ।

इसमें कोई शक नहीं कि आज का भारत 1962 वाला भारत नहीं है l  लेकिन आज का भारत किसी एक व्यक्ति या किसी एक सरकार की वजह से ताक़तवर नहीं बना है । इसमें हमारी सभी सरकारों , हमारे वैज्ञानिकों , हमारी सेना और हमारे देश के हर व्यक्ति का योगदान है ।

न्यूज़ चैनल वालों से गुज़ारिश है कि चाटुकारिता के लिए और बहुत मौक़े मिलेंगे । देशभक्ति के समय सरकार या व्यक्ति विशेष की भक्ति करके देश को गुमराह ना करें ।

जय हिंद
जय हिंद की सेना

Anand Kushwaha

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