गलवान घाटी में क्या हुआ था उस रात...
15-16 जून की रात को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की तरफ से जो गहरा षड्यंत्र रचा गया, वह पूर्व नियोजित था.. यह तो अब तक पता चल ही गया है.. और वह इसलिए कि चीन ने इस इलाके में अपना दबदबा बहुत पहले 1967 से ही कायम कर लिया था, लेकिन भारतीय फौज उन्हें बीच बीच में वहां से खदेड़ती भी रही है।
उस रात भी 12 बिहार रेजिमेंट के कर्नल, एक जेसीओ और एक सूबेदार के साथ चीनी खेमे को ये संदेश देने गए कि आप हमारे भू भाग पर हो, और आपको वापस जाना होगा।इस पर चीन और भारत के अग्रिम पंक्ति के बीच बातचीत का दौर चलते चलते अचानक चीनी खेमा उग्र हो कर कर्नल साहब पर नुकीले बेस बैट और रॉड से हमला कर देता है।कर्नल साहब बुरी तरह घायल होते हैं। अपने कर्नल को घायल होता देख उनका जेसीओ और सूबेदार सामने आता है, और उनके माथे और पेट पर नुकीले कीलों वाले बेस बैट और लोहे के पंचों से हमला कर के उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया जाता है।पीछे आ रही भारतीय जवानों की पेट्रोलिंग पार्टी के ट्रक के ऊपर एक बड़ी चट्टान गिराकर उनके वाहन को घाटी के नीचे नदी में गिरा दिया जाता है। उस ट्रक में 17 जवान मौजूद थे। चूंकि संधि के तहत गोलियां चलाईं नहीं जा सकती थीं इसलिए यह सब प्री प्लांट किया गया। ताकि यह झड़प ही महसूस हो।
जैसा कि जानकारी मिल रही है, इस घटना के तुरंत बाद पीछे आने वाली भारतीय फौज की 12th Bihar Regiment और Punjab Battalion की एक बड़ी टुकड़ी ने रिइंफोर्समेंट किया। बिहार रेजिमेंट के कर्नल गम्भीर रूप से घायल हैं, सुनकर बिहार रेजिमेंट के जवान आंदोलित हो उठे, साथ में पंजाब रेजिमेंट (पंजाब रेजिमेंट का मतलब सिख रेजिमेंट नहीं है) भी थे।फिर क्या था, चीनियों के तंबू और टेंट पर पंजाब रेजिमेंट के जवानों ने आग लगाना शुरू किया, और जैसे ही चीनी छुछुन्दर बाहर निकलते बिहार रेजिमेंट के खूंखार बिहारी जवान, "बजरंगबली की जय"बोल कर गर्दन धड़ से अलग करते।पीछे से पंजाब रेजिमेंट के जवान "जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल"की युद्ध उदघोष कर बदस्तूर अपनी कार्यवाही जारी रखते रहे।
देखते ही देखते भारतीय जवान 112 चीनियों को मौत के घाट उतार चुके थे। भारत के सिर्फ 3 फौजी (अफसर सहित) देश पर न्योछावर हुए,बाकी 17 जवान दुर्घटना के शिकार हुए।कुल 20 अमूल्य प्राण न्योछावर हुए।
मीडिया खबरों के मुताबिक...चीन ने बीजिंग के सारे मिलिट्री अस्पतालों को रातों रात खाली करवाया। डेढ़ दिन लगातार लाशें जली। चीन के सरकारी न्यूज चैनल ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन को "भारी नुकसान"हुआ। अब ये भारी नुकसान क्या था ? चीन ने स्वीकार किया कि उनके 43 जवान मारे गए, अगर चीन 43 जवानों के मरने की पुष्टि करता है तो आप कल्पना कीजिए कि चीन यहां भी झूठ बोल गया। चीनी फौज ने शवों को उठाने के लिए 47 हेलीकॉप्टर लगाए...जबकि शव तो 43 ही थे। फिर इतने अधिक हेलीकॉप्टर शक तो पैदा करते ही हैं।
चीन की पूरी आर्मी ने पिछले 45 साल से कोई जंग नहीं लड़ी है। साझा युद्ध भी अपने से कमजोर राष्ट्र से मिलकर ही लड़े हैं। ऐसे में वह भारत की ताकत का आकलन करते समय भयभीत रहता है... वह डराने की राजनीति करता है। जिस कारण भारत के पिछले शासक डरते रहे।
ये हम नव युवाओं का भारत है, सशक्त प्रधानमंत्री मोदी का भारत है।1962 का नहीं 2020 का भारत है।
जय हिन्द...