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योग

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विश्व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏🌹

                    "योग"


मन शरीर को साधिए,करिए दूर विकार।
यही योग की साधना,उत्तम यही प्रकार।।-१

सत्य वही योगी कहो,निरत सतत सत्कर्म।
'योगः कर्मसु कौशलम',यही योग का मर्म।।-२

चित्तिवृत्तियों को सदा,करिए आप निरोध।
यही योग की साधना,यही योग का बोध।।-३

कर्म-साधना योग है, करिए सदा सुकर्म।
यही बताया कृष्ण ने,यही योग का धर्म।।-४

सुख- दुख, लाभ-अलाभ में,शीत-उष्ण सम भाव।
यही योग की उच्चता,होता सुखद प्रभाव।।-५

आत्म- तत्त्व परमात्म में, होता जहाँ विलीन।
परम योग कहते इसे, शोक मोह से हीन।।-६

मन को करता स्वस्थ है,तन को करे बलिष्ठ।
योग साधना नित्य हो,बने योग ही इष्ट।।-७

बन विदेह जीवन जगत,कर्म योग में लीन।
'अहर्निशम सेवामहे',योगी हो तल्लीन।।-८

योगा योगी योगिनी,बाबाओं के काम।
एक दिवस के योग से,अच्छा घर विश्राम।।😀-९

मनसा-वाचा-कर्मणा,करे न कोई योग।
योगी भटका राह से,करे निरंतर भोग।।-१०

यम नियमादि विचारिए, आठ अंग हैं 'योग'।
आसन प्राणायाम से,दूर रहें सब रोग।।-११

निवृत होकर शौच से, प्रातः खाली पेट।
करिए नित व्यायाम को, कुशन-चटाई लेट।।-१२

कभी कीजिए 'भ्रामरी'और कभी 'अनुलोम'।
'कपालभाति'के साथ ही, करिए सदा 'विलोम'।।-१३

कोरोना के काल में, करिए प्रतिदिन आप।
योग-साधना साथ में,ओमकार का जाप।।-१४

मिल जुल कर अब लीजिए, आज यही संकल्प।
नित्य करें शुचि योग हम,इसका नहीं विकल्प।।-१५


                दिनेश श्रीवास्तव

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