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चंद्रशेखर होने का मतलब / वीरेंद्र सेंगर





चंद्रशेखर होना हर किसी के बस की बात नहीं।। 

     
 आज जब चहुँओर चापलूसी की होड लगी हो तो भोंडसी बाबा तो छोड़िए उनका बोनसाई होना भी दुर्लभ है ।काश वे संकट की इस घडी में जिंदा होते तो बोलते जरूर कोई बडी से बडी ताकत उन्हें  बोलने से रोक नहीं सकती थी।आदमी की कोई हैसियत नहीं।                    ....... 

  एक चुनावी  सभा में तब के सीएम मुलायम सिंह यादव ने उन्हें समर्थन को लेकर कुछ कह दिया था मुझे याद है चंद्र शेखर जी जब बोलने खडे हुए तो दाढी पर हाथ फेरते हुए बोले कुछ लोग अपने को भगवान समझने लगे और जनसभा में सननाटा छा गया। मुलायम को काटो तो खून नही। ऐसे ही एक बार जब पत्रकार ने उनसे बिहार के कोल माफिया सत्येन्द्र नारायण सिंह से उनकी दोस्ती को लेकर सवाल किया तो सामान्य सा जवाब  दिया दोस्त हैं और दोस्ती की कोई सीमा रेखा नही होती। jसमाजवादी नेता राजनारायण  की तरह चंद्रशेखर जी का सटाइल मुझे बहुत भाता है।।                                                     
  तांत्रिक चंद्रास्वामी से उनके संबंधो को लेकर विवाद रहा। इस भोज में वे भी थे। चित्र विचित्र होते हैं सो उनके वित्त मंत्री सुब्रमडयम सवामी चंद्रा सवामी मामा अग्रवाल आदि का फोटो नही है।सादर नमन।

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