मन की बात : प्रेरणा और चेतावनी
जून 2020 के अपने 'मन की बात'कार्यक्रम में ठीक ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से दो बातों पर फोकस करने की अपील की। कोरोना को हराना है और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना और ताकत देना है। गौर करें, तो इन दोनों का एक ही मूल अर्थ समझ में आता है। वह यह कि लॉकडाउन से ठहरी और अस्त व्यस्त हो चुकी ज़िंदगी की गाड़ी को किसी तरह पटरी पर लाना है। लेकिन जैसा कि उन्होंने संकेत भी दिया, यह आसान नहीं है, क्योंकि कोरोना की चेन टूटी नहीं है। कई राज्यों में तो स्थिति पुनः विकराल होती दिख रही है। ऐसे राज्य अनलॉक प्रक्रिया के समांतर पुनः कठोर लॉकडाउन की ओर लौटते दिखाई दे रहे हैं। यहाँ तेलंगाना राज्य का उल्लेख किया जा सकता है।
चिंता का विषय है कि तेलंगाना में कोरोना वायरस के मामलों में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है। इससे जनता में दहशत का माहौल है। इसीलिए हैदराबाद के व्यापारियों ने स्वेच्छा से जन-लॉकडाउन घोषित कर रखा है। लोग सामाजिक दूरी के नियम की धज्जियाँ उड़ाएँगे, तो खतरा टलने की जगह बढ़ेगा ही न! इसीलिए मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को कहना पड़ रहा है कि यदि आवश्यक हुआ तो हैदराबाद में फिर से लॉकडाउन लगाया जाएगा। साथ ही यह भी कि इस बार लॉकडाउन लगा, तो नियम सख्ती से लागू किए जाएँगे। यानी, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर लॉकडाउन में छूट या अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान जो अनचाही आज़ादी लोगों ने ले ली, वह काफी महँगी पड़ने वाली है। इसीलिए प्रधानमंत्री के 'मन की बात'के केंद्र में कोरोना को हराने की चिंता दिखाई देना स्वाभाविक ही है। बिगड़ी अर्थव्यवस्था को ठीक करने की चुनौती भी इसी से जुड़ी है, क्योंकि वह संकट इसी वैश्विक आपदा की देन है।
प्रधानमंत्री महोदय ने यह भी लक्षित किया है कि लंबे लॉकडाउन, और उसके बावजूद कोरोना के लगातार फैलते जाने, से लोगों में खिन्नता, उदासी और हताशा फैल रही है। इसीलिए उन्होंने एक संवेदनशील जननायक की तरह अपनी जनता का मनोबल बढ़ाने के लिए याद दिलाया है कि आपदाओं के आगे 'सरेंडर'करना भारतवर्ष का स्वभाव नहीं है। वर्ष 2020 को ज़िंदगी का सबसे खराब साल कहकर कोसने वालों को उनकी इस बात से सीख लेनी चाहिए कि एक साल में एक चुनौती आए या पचास, इससे साल खराब नहीं हो जाता। भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल करके और ज़्यादा निखर कर निकलने का रहा है।
इसमें दो राय नहीं कि भारत को कोरोना से लोहा लेने में व्यस्त देख कर चीन और पाकिस्तान से लेकर नेपाल तक अपने अपने ढंग से इस मौके का फायदा उठाने के लिए घात लगाए बैठे हैं। ये ही वे पचास चुनातियाँ हैं, जिन पर देश को जीत हासिल करनी है और निखर कर निकलना है। इसीलिए देशवासियों का हौसला बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने यह विश्वास दिलाया कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आँख उठा कर देखने वालों को करारा जवाब दिया गया है। और कि भारत मित्रता निभाना जानता है, तो आँख में आँख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। साथ ही उन्होंने सामरिक से लेकर आर्थिक मोर्चे तक पर 'आत्मनिर्भर भारत'के नव निर्माण के संकल्प को भी दृढ़ शब्दों में दोहराया। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री का यह संबोधन देशवासियों के लिए जितना प्रेरक रहा, देश से दुश्मनी रखने वालों के लिए उतना चेतावनी पूर्ण भी।
वैसे, चेतावनी उन्होंने अनलॉक की छूट का अवांछित लाभ उठाने वालों को भी दी ही कि अगर आप मास्क नहीं पहनते और दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं, तो आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं! 000