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सबको हैं प्रतीक्षा / दयानन्द पाण्डेय

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 प्रतीक्षा अपनी-अपनी !


दयानंद पांडेय 


सबको  हैं प्रतीक्षा 

न्यूज़ चैनलों को प्रतीक्षा है रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी की। रोजाना ही वह गिरफ्तारी की अटकलें लगाते रहते हैं। सी बी आई , ई डी और नारकोटिक्स ब्यूरो को प्रतीक्षा है सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या ड्रग्स कनेक्शन का तार और इस की आंच आदित्य ठाकरे तक पहुंचने की। भाजपा और शरद पवार को प्रतीक्षा है उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने की। उद्धव ठाकरे के अलसेशियन संजय राउत को कंगना रानाउत के मुंबई आने की प्रतीक्षा है। 


बस एक सुशांत सिंह राजपूत के पिता , बहनों और वकीलों को सच जानने की प्रतीक्षा है। कि आत्महत्या है कि हत्या। रिया चक्रवर्ती और उन के परिवार को प्रतीक्षा है कि न्यूज़ चैनलों पर उन का मीडिया ट्रायल कब ख़त्म होगा। न्यूज़ चैनलों को प्रतीक्षा है कि रिया , सुशांत के बाद कोई नई घटना घटे तो वह उस खबर पर जाए। नए ढंग से , नए विषय पर चीखना , चिल्लाना शुरू करे। जनता और दर्शक ही नहीं , न्यूज़ चैनल भी इतने दिनों तक एक ही घटना पर , यह देखिए , वह देखिए , सब से पहले इसी चैनल पर , आदि-इत्यादि का नाटक करते पक गए हैं। इस लिए भी कि अभी तक जो भी , जितना कुछ भी सामने आया है , उस के मुताबिक़ तो अदालत में कुछ भी साबित हो कर किसी को सजा होने लायक कुछ दीखता नहीं। मुंबई पुलिस 66 दिनों में इतना कुछ लीपा पोती कर चुकी है कि सी बी आई क्या , सी बी आई के पिता जी भी कुछ साबित करने की स्थिति में नहीं हैं। 


हां , इस सब में यह ज़रूर हुआ है कि मुंबई पुलिस की पैंट पूरी तरह उतर गई है। उद्धव ठाकरे सरकार की पगड़ी उछल गई है। इस सब से यह भी साबित हुआ है कि उद्धव ठाकरे के पास बैल बुद्धि है। अगर सामान्य बुद्धि भी होती और आदित्य ठाकरे को इस आपराधिक जाल से बचाना ही था तो एफ आई आर लिख कर हत्या , आत्महत्या की जांच करने का नाटक करती , सुशांत के परिवार को भी भावनात्मक रूप से साथ रखती और फिर कोई लचर सी चार्जशीट लगा कर जो कोर्ट में टिकती नहीं , मामला उलट देती। 


फिर ऊपरी अदालत में अपील का ड्रामा करती। सब कुछ सामान्य हो जाता। सांप भी मर जाता , लाठी भी न टूटती। लेकिन संजय राउत जैसे अलशेसियन को जो हरदम मुंह में नागफनी चबा कर बोलता है , जब भी बोलता है , तिरछा ही बोलता है , जहर ही बोलता है , से अगर जल्दी ही मुक्ति नहीं ली उद्धव ठाकरे ने तो अभी बहुत से मामले बिगड़ेंगे।




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