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गांधी का जीवन सतत संघर्ष करना सिखाता है / विजय केसरी

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 (30 जनवरी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 73 वीं पुण्यतिथि पर विशेष)


आज के ही दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की निर्मम हत्या कर दी गई थी। हाड़ - मांस के बने गांधी हमेशा - हमेशा के लिए हम सबों से विदा हो गए थे। उनका शरीर पंचतत्व में विलीन जरूर हो गया था, किंतु उनके विचार आज भी हमारे बीच मौजूद है। यह गांधी के जीवन की उत्कृष्टता  है। उनके विचार कालजयी बन गए । गांधी के विचार सदियों तक आने वाली पीढ़ियों के मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। गांधी का जीवन कथनी का नहीं बल्कि करनी  का था। आज की बदली परिस्थिति में महात्मा गांधी के जीवन को समग्रता में देखने और उन पर चलने की जरूरत है । महात्मा गांधी हम लोगों की तरह ही एक साधारण व्यक्ति थे । लेकिन उन्होंने अपने कृतित्व के माध्यम से साधारण जीवन को एक असाधारण में बदल कर रख दिया था। उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था,जो हम सब नहीं कर सकते थे। उन्होंने वही किया, जो हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है । 

धर्म - ग्रंथ हम सब जरूर पढ़ते हैं। विचार करते हैं।  लेकिन उन विचारों पर पूरे मन से चल नहीं पाते हैं। महात्मा गांधी ने उन विचारों पर चलकर अपने जीवन को सफल बना दिया। गांधी के विचार कोई नूतन विचार नहीं है, बल्कि हमारे महापुरुषों ने जो कहा,अपने जीवन में अनुभव किया,  सिखाया, उन्ही विचारों को  महात्मा गांधी ने आत्मसात किया। महात्मा गांधी का जीवन हम सबों को सतत संघर्ष करना और जूझना सिखाता है। उनके जीवन में हार नाम की कोई चीज दिखती नहीं है। सतत संघर्ष का तात्पर्य यह है कि जीवन परेशानियों और कई जटिलताओं से परिपूर्ण होता है। अर्थात इन परेशानियों को पराजीत कर ही हम सब कुछ   हासिल कर पाते हैं।  हमारा सतत संघर्ष ही जीत दिलाती है। हममें से कई लोग थोड़ी सी परेशानी होने पर  भाग खड़े होते हैं । गांधी कहते हैं, भागने की जरूरत नहीं है। परेशानियां  आई है, तो समाधान भी निश्चित होगा। जीवन में आई परेशानियों से जूझना, मुकाबला करना ही श्रेष्यकर मार्ग  है। गांधी को पढ़कर हम सबों में सात्त्विक ओज और प्रखरता का संचार होता है । गांधी का जीवन बहुत ही सहज और सरल जीवन था । उनकी सहजता और सरलता की राह कोई आसान  नहीं है । देखने में तो लगता है कि  गांधी की राह बड़ी आसान है । सिर्फ और सिर्फ एक दिन के लिए गांधी के मार्ग पर चलकर देखें । उनकी सहजता और सरलता में कितना संघर्ष की शक्ति छुपी होती है।  हम सबों के जीवन से सात्विकता खत्म होती जा रही है। यह बेहद चिंता की बात है।सात्विकता के अंदर एक जीवनी शक्ति छुपी होती है, इसके आत्मसात से एक नई ऊर्जा का संचार होती है ।

गांधी का जीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। गांधी आजीवन इस मार्ग पर चलें। वे जरा भी विचलित नहीं हुए। अहिंसा का तात्पर्य है, सौ प्रतिशत अहिंसा के मार्ग पर चलना । अहिंसा को अंतःकरण से आत्मसात करना । सत्य अर्थात जीवन में झूठ की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं । सत्य और अहिंसा का मार्ग ही हमारे अंदर सात्त्विक ओज और प्रखरता को बढ़ाता है ।

गांधी को कई लोगों ने अधनंगा फकीर कहा। गांधी कम वस्त्र क्यों पहने थे ? वे ऐसा कर क्या दिखाना चाहते थे ? गांधी ने महसूस किया कि जिस देश के लोगों को आधे वस्त्र भी नसीब नहीं है,तो मैं पूरे शरीर पर वस्त्र कैसे धारण कर सकता हूं। इसलिए उन्होंने आम भारतीयों की तरह ही  कम से कम वस्त्र धारण किया और पूरी शक्ति के साथ  भारतीयों के साथ कदम से कदम मिलाकर स्वाधीनता आंदोलन को गति प्रदान किया।  गांधी का जीवन सच्चे अर्थों में सतत संघर्ष और जूझने का सिख प्रदान करता है । गांधी हमें उग्र और अतिवादी होने से बचाता है । गांधी के सत्य और अहिंसा  के सिद्धांत में उग्र और अतिवादी का कोई स्थान नहीं है। आज हमारे नेतागण गांधी जी की बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं में फूल माला  चढ़ाते हैं। उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि पर लंबे चौड़े भाषण  देते हैं। लेकिन गांधी के सत्य और अहिंसा को अपने जीवन में कितना स्थान देते हैं ? यह बड़ी बात है । आज नेताओं की थोड़ी सी आलोचना होने पर जवाब के तौर पर वे कितने उग्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं , यह बात आज किसी से छुपी नहीं है। गांधी का जीवन निश्चित तौर पर कथनी का नहीं करनी का था । गांधी ने जो कहा उसे पूरा भी किया। वे आजीवन उस मार्ग पर चलते भी रहे। गांधी का जीवन  हम सबों में जागरूकता का भाव भरता है। धन, ऐश्वर्य और प्रभुता से विमुख कर एक साधारण साधना करने की और प्रेरित करता है। गांधी का जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है। आज धन, ऐश्वर्य और नाम के पीछे लोग पागल सा हो गए हैं । बेईमानी कर  धन संग्रह करने में इस कदर जुटे हुए हैं , जैसे जीवन का धन ही वास्तविक मतलब हो गया हो। गांधी के विचार लोगों को धन , ऐश्वर्य, नाम और प्रभुता से विमुख होने की सीख प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जीवन जीने के लिए जरूरत भर धन काफी है। शेष धन समाज कल्याण के लिए ही श्रेष्यकर है। उन्होंने धन, ऐश्वर्य, और नाम को कभी स्वयं के जीवन में भटकने तक नहीं दिया था।  उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि धन, ऐश्वर्य और नाम व्यक्ति को बेईमान , अभिमानी और पथभ्रष्ट बना देता है। इनके रहते सच्चे हृदय से समाज की सेवा हो ही नहीं सकती। इसलिए समय रहते इनसे विमुख होना ही जरूरी है। इन विकारों से विमुख होना भी एक साधना है।

उनका जीवन स्वयं सिद्ध जीवन था । स्वयं सिद्ध का तात्पर्य यह है कि उन्होंने जीवन को सहज, सरल रूप में जिया और सत्य और अहिंसा का दामन कभी नहीं छोड़ा। विपरीत परिस्थितियों में उनके कदम कभी लड़खड़ाए नहीं बल्कि पूरी शक्ति के साथ  कदम आगे बढ़ते रहे थे। उन्होंने कभी दिखावा नहीं किया बल्कि शेष भारतीयों की तरह ही अपना संपूर्ण जीवन जिया। उन्होंने समय का बेहतर से बेहतर ढंग से सदुपयोग किया। उन्होंने स्वाधीनता का एक ऐसा आंदोलन अपने जिम्मे लिया, जो युगों बाद ऐसा आंदोलन हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को अपने जीवन का उद्देश बना लिया था। उनका उठना, बैठना सोचना सब कुछ स्वाधीनता आंदोलन ही बन गया था । गांधी ऐसा इसलिए कर पाए थे कि उन्होंने अपने जीवन को बाह्य आडंबर  एवं बंधनों से मुक्त बना दिया था । उनके पास जो कुछ भी था, सब समाज का था। जीवन का उद्देश्य ही संपूर्ण राष्ट्र बन गया था । पूरा भारत उन्हें एक परिवार लग रहा था।  उनका जीवन संपूर्णता में भारतमय  हो गया था। इसलिए उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा एक नई पहचान दी थी। इसके पूर्व जितने भी आंदोलन हुए, सब में कहीं ना कहीं  उग्रता और अतिवाद जरूर दिखता है। खून - खराबा किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है । लेकिन गांधी ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चला कर एक नया रूप और एक नई पहचान दी थी।

 उन्होंने संपूर्ण आंदोलन को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाया था।  उन्होंने रत्ती भर भी हिंसा को अपने आंदोलन में भटकने नहीं दिया था ।  अंग्रेजी हुकूमत गांधी के आंदोलन के आगे पूरी तरह नतमस्तक हो गए थे। गांधी के इस आंदोलन की चर्चा संपूर्ण विश्व में हुई । इसके पूर्व कोई भी आंदोलन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर नहीं चला था। गांधी का स्वाधीनता आंदोलन जो तोड़फोड़ नहीं करता। प्रतिरोध का ऐसा विलक्षण स्वरूप पहली बार देखा गया। गांधी के जीवन से हम सबको बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। उसे अपने जीवन में लागू करने की जरूरत है। गांधी की राह देखने में आसान जरूर है, लेकिन उस पर चलना उतना ही कठिन है । अगर हममें कोई एक उनकी राह पर चल निकले तो जीवन को एक नया अर्थ ही बदल जाएगा। जीवन को एक नई दिशा मिल जाएगी। गांधी विपरीत परिस्थितियों में मुस्कुराते थे । यह मुस्कुराहट की शक्ति उनके अंदर की शक्ति थी । यह शक्ति उनके विचारों की शक्ति थी ।आज हम सबों को उनके विचारों पर चलने की जरूरत है । गांधी के मार्ग का अनुसरण ही  उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


विजय केसरी,

(कथाकार / स्तंभकार)

पंच मंदिर चौक, हजारीबाग - 825 301,

मोबाइल नंबर - 92347 99550,



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