Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

हकीम साहब का होली मिलन / विवेक शुक्ला

$
0
0

 होली मिलन हकीम साहब का /  विवेक शुक्ला 


अब उस होली मिलन की बस यादें ही रह गईं हैं। अब कौन आपको इस दिल्ली में बार-बार फोन करके होली मिलन में भाग लेने की दावत देता है।

हकीम अब्दुल हामिद साहब के निमंत्रण की कौन अनदेखी कर सकता था। उनकी शख्सियत ही इस तरह की थी। दिल्ली उनका आदर करती थी। हकीम साहब हमदर्द दवाखाना के संस्थापक थे,जो रूहफजा शर्बत बनाती है। हकीम साहब 1960 से कुछ पहले पुरानी दिल्ली को छोड़कर चाणक्यपुरी के कौटिल्य मार्ग में शिफ्ट कर गए थे।


उन्होंने अपने नए घर में आते ही होली और ईद मिलन का सिलसिला चालू कर दिया था। उनके होली मिलन में आम-खास सब शामिल रहते थे। वे मेहमानों का स्वागत करने के लिए मेन गेट के पास ही बैठ जाते थे। हकीम साहब के साथ उनके पाकिस्तान में चले गए छोटे भाई हकीम सईद साहब भी होते थे। वे होली मिलन में भाग लेने खासतौर से पाकिस्तान से आते थे। वे जब पाकिस्तान के सिंध प्रांत के गवर्नर थे, तब उनकी हत्या कर दी गई थी।


अभी होली मिलन परवान ही चढ़ने लगता था, तब तक हकीम साहब के पड़ोसी और भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह, इंदिरा गांधी के लंबे समय तक सलाहकार रहे पी.एन.हक्सर और उर्दू के शायर गुलजार देहलवी वगैरह भी वहां पर पहुंच जाते थे। 

इस बीच, कंवरजी या बंगला स्वीट हाउस की दिव्य  गुझिया, बर्फी, भांति- भांति के कबाब, शीतल पेय वगैरह मिलने लगता था। सारा माहौल खुशनुमा रहता, चारों तरफ ठहाके लग रहे होते थे। उस होली मिलन में मंत्री, संतरी, उद्योगपति सब साथ-साथ होते थे। वहां पर होली मिलन के बहाने एक तरह से समाजवादी व्यवस्था बन जाती थी।


हकीम साहब कहते थे कि उन्हें होली और ईद बहुत प्रिय है। वे चाहते हैं कि उनके सब अपने इन दोनों मौकों पर उनके साथ ही रहे। वे किस्सों-कहानियों का खजाना थे। 94 साल की उम्र में हकीम साहब का 1999 में निधन हुआ तो उनका होली और ईद मिलन कुछ साल चलने के बाद बंद हो गया। हकीम साहब के परिवार ने उस रिवायत को आगे बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं की। वे आपस में पैसे और अरबों रुपए की प्रॉपर्टी के लिए लड़ने लगे।

 हकीम साहब के ना रहने के बाद से ही उसमें पहले वाली गर्मजोशी का अभाव आने लगा था। मेहमानों की उपस्थिति भी तेजी से घटने लगी थी। आखिर मेजबान  पहले जैसा नहीं रहा था। 


फोटो - श्रीमती इन्दिरा गांधी के साथ हकीम साहब जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में । हकीम साहब ने ही इस यूनिवर्सिटी को खड़ा किया था।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>