साथियों! क्या हमें यह सपना देखने का अधिकार है..?
लगभग एक पखवाड़ा पहले जब ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टीम) द्वारा कोविड़ और नान कोविड़ मरीजों की जान बचाने में अपना सम्पूर्ण सामर्थ्य लगाया जा रहा था.अस्पताल, बेड़ और आक्सीजन तक हर जरूरतमंद को पहुंचाने में हमारे कर्मयोगी साथी चौबीस घंटे लगे थें,तो उस समय हमारे वाट्सएप ग्रुप में जिसमें जनपद के वरिष्ठ चिकित्सक, पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी और सोशल एक्टिविस्ट जुड़े हैं, एक बहुत ही शानदार और सामयिक विचार आया था. जिसकी लगभग सभी ने न केवल सराहना की बल्कि उसके अमल पर कार्ययोजना बनाने की पहल करने भी बात भी की थी. अब यह योजना कितनी सफल होगी, उसे हम कितना क्रियांवित कर पायेगें, कितना लोगो का सहयोग मिल पाएगा ..आज फिर हम नहीं जानते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे ईएमटी के गठन के समय हमें नहीं मालूम था कि हम कितनों तक इमरजेंसी मदद पहुंचा पाएंगे, कौन-कौन से लोग हमारी टीम का हिस्सा बनेगें, कितना हमारी टीम को सरकारी और निजी क्षेत्र से मदद मिल पाएगी. लेकिन जब ईएमटी 1 मई को क्रियाशील होना शुरू हुई तो, जिस प्रकार से हमारी टीम को निजी और सरकारी क्षेत्र से प्रोत्साहन मिलना शुरू हुआ और हमारे किसी भी साथी के एक काल पर तत्काल रिस्पांस मिलना शुरू हुआ, यह अनुभव हमारे लिए न केवल अविस्मरणीय था बल्कि अदभुत भी था. यही कारण है कि हम हजारों लोगों को अस्पताल, बेड़, आक्सीजन और अन्य इमरजेंसी सेवाएं. समय रहते दिला पाने में सफल हुए, और लोगो का अनमोल जीवन बचा पाने में नैसर्गिक सुख की अनुभूति हुई. वह हमारे सभी साथियों के लिए किसी सम्मान और इनाम से कम नहीं था और है.
तो क्या थी वह कार्य योजना..?
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साथियों ने, मरीजों और तीमारदारों को अस्पताल तक के सफ़र में जांच और पड़ताल की लंबी और उबाऊ प्रक्रियाओं से जुझते हुए देखा, उनकी जांचों के लिए उन्हें लूटते हुए देखा. आपदा में अवसर तलाशने वाले डाग्नोस्टिक सेंटरों और पैथोलॉजियों के मकड़जाल में मरीजों की बेबसी को देखा, वह एक अकथनीय पीड़ा है, जिसे कोई पीड़ित व्यक्ति ही उस शिद्दत से महसूस कर सकता है, जिसका मरीज जीवन और मौत के बीच पैंडुलम की तरह जुझता है. मित्रों! लोगों ने विचार रखा कि - क्या हम एक 'चैरिटेबल डाग्नोस्टिक सेंटर'की स्थापना और संचालन कर सकते हैं.? क्या 60 लाख की आबादी में गरीब और मजबूर के लिए एक न्यूनतम दर पर ऐसे किसी सेंटर की हम परिकल्पना कर सकते हैं, जहाँ किफायती और चैरिटी मूल्य पर लोगों की आवश्यक जांचे- पैथोलॉजी, एक्सरे, सीटी, सोनोग्राफी आदि को किया जा सके और कोई चिकित्सक न्यूनतम दर पर उसकी रिपोर्टिंग कर सके. निश्चित तौर पर इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा वाले मेडिकल प्रोफेशन में, जहाँ धन की लूट और वासना की हद तक मरीजों को निचोड़ने का ध्येय हो, यह विचार परिहास का विषय हो सकता है, लेकिन हर बड़े और प्रभावशाली परिवर्तन वाले मिशन में मिशनरी साथियों का परिहास ही तो हुआ है, उपेक्षा और प्रतिरोध ही तो पैदा किया गया है, लेकिन एक समय के बाद ये सारे लोग इस परिवर्तन को स्वीकार कर उसके पथगामी ही तो बनते हैं, कम से कम इतिहास तो हमें यही सिखाता है. कि हर बड़े काम की शुरुआत तो छोटे जगहों से और छोटे लोगों द्वारा ही किया गया है. और बाद में इस मिशन को कारवां बनते देर नहीं लगती है.
यह ठीक है कि यह श्रमसाध्य, अर्थ साध्य और समय साध्य सेवा है जो निस्वार्थ और अहर्निश तभी चल सकती है जब इसके परिकल्पक दूरदर्शी और दिलेर हों, धैर्य और साहस के साथ अपमान झेलने के लिए भी तैयार हों, मानवता और इंसानियत की सेवा के लिए स्वयं से दृढ़ संकल्पित हों, तभी हम आजमगढ़ को एक नयी मेडिकल सर्विस दे सकते हैं. यह एक महान और बड़ा उद्देश्य होगा, जिसकी प्राप्ति एक नई लकीर खींच सकती और महान शायर दुष्यंत कुमार के उस शेर- कि "एक पत्थर तो तबियत से उजालों यारों.. आकाश में छेद होकर ही रहेगा.. ''
इस प्रस्ताव को जब हमने हमारे चिकित्सक साथी डाक्टर दीपक पांडेय सर से पंचानंद तिवारी की मौजूदगी में रखा तो वे इस प्रस्ताव पर पूरा समर्थन देते हुए जो कहाँ वह उनके महान व्यक्तित्व की झलक है...
''उन्होंने कहा कि अरविंद भैय्या! यह एक महान कार्य है, इसके लिए आप को साधुवाद, मैं अपनी तरफ से आप को रैनबो हास्पिटल का नीचे वाला पूरा हाल दे रहा हूँ, साथ ही ईएमटी को अपनी पैथोलॉजी से किसी भी जांच को आधे दर पर कराने की घोषणा करता हूँ, यही नहीं आप को एक्सरे मशीन नहीं लाना पड़ेगा हम अपने यहाँ न्यूनतम दर 200/- रूपये पर प्रति एक्सरे करने का वचन देते हैं. बस आप को सीटी और सोनोग्राफी मशीनों पर काम करना पड़ेगा, और उसकी खरीद में भी मैं कुछ मदद करने का वचन देता हूँ.. "
मित्रों! यह केवल विचार ही नहीं बल्कि एक मिशन की शुरुआत हो रही है, एक परिवर्तन का आग़ाज़ है. ईएमटी इस शुरुआत को आगे बढ़ाने का प्रण लेती है, संकल्प लेती है कि सीटी और सोनोग्राफी मशीनों के लिए हमारे साथियों को 60 लाख की आबादी और प्रवासी आज़मियों से यदि भीख भी मांगनी पड़ी, तो हम पीछे नहीं हटेंगे.
मित्रों! यह एक क्रांतिकारी विचार है. यह तभी संभव है जब आप के विचार और सहयोग से ईएमटी पोषित होगी. ईएमटी आप की साथी संस्था है. आप के विचारों और ख़्वाबों को मूर्त रूप देने वाला निस्वार्थ और दृढ़ संकल्पित साथियों का मंच. बिना किसी सम्मान की चाह लिए. क्या हमें इन विचारों और उद्देश्यों के साथ आगे बढ़ना चाहिए. हमारे चिकित्सक साथी, पत्रकार साथी, एक्टिविस्ट साथी, विधायक और सांसद तथा नौकरशाही इस दिशा में क्या ईएमटी की क्या मदद कर सकते हैं.कृपया हमारा मार्गदर्शन करें..
सादर, आप का शुभेच्छु, अरविंद सिंह, संयोजक - ईएमटी
एक प्रयास...!! एक आंदोलन...!!!
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