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मैकाले ने बाबू बनाया, नई शिक्षा निति मालिक बनाएगी - प्रो. राज कुमार

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मैनेजमेंट शिक्षकों की भूमिका पर वेब संगोष्ठी


महू (इंदौर). ‘मैकाले की शिक्षा ने बाबू पैदा किये और हमने नौकर. अब वक्त आ गया है कि हम मालिक बनाए और यह अवसर मिला है नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के आने के बाद.’ यह बात पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार जी ने मुख्य अतिथि उद्बोधन में कहा. प्रो. राजकुमार डॉ. बी.आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साप्ताहिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि एनईपी में शिक्षकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदलने की बात करते हुए कहा कि यह समय रिसोर्स शेयरिंग का है. उन्होंने कहा कि हमारा काम विद्यार्थियों को रोजगार दिलाना नहीं बल्कि उन्हें कुशल बनाकर स्वयं रोजगार अर्जित करने की ओर प्रेरित करने का काम है. प्रो. कुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मैनेजमेंट शिक्षकों की भूमिका पर अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने सलाह दी कि विश्वविद्यालय शॉर्टटर्म कोर्स शुरू करे और कॉर्पोरेट सेक्टर के साथ शेयरिेंग करे.

आईआईएम तिरूचापल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर पवनकुमार सिंह ने मैनेजमेंट शिक्षकों की भूमिका को बहुत ही सहज ढंग से समझाया और कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे अपने विद्यार्थियों को सही समय पर, सही सवाल करने की शिक्षा दें. सवाल का जवाब देना शिक्षा नहीं है बल्कि विद्यार्थी के भीतर जिज्ञासा उत्पन्न करना जरूरी है. शिक्षकों का यही धर्म है. उन्होंने शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी मां जीजा बाई बचपन से उन्हें वीरता की कहानियां सुनाया करती थी जिसका प्रतिफल उनकी महानता के रूप में इतिहास ने दर्ज किया। आज हम शिवाजी महाराज के बारे में गौरव से बखान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक कक्षा में बच्चों को नैतिक मूल्यों की कहानी पढ़ायी जानी चाहिए तथा माध्यमिक शिक्षा में प्रोजेक्ट बेस्ड पाठ्यक्रम हो. उन्होंने कहा कि शिक्षा में मौलिकता से ही हम विश्व गुरु बन सकते हैं. इग्नू नई दिल्ली में प्रोफेसर नवल किशोर ने क्वालिटी एजुकेशन पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप शिक्षा का मॉडल तैयार करना होगा. प्रो. नवलकिशोर ने रिसर्च पर जोर दिया और कहा कि रिसर्च में गंभीरता होनी चाहिए. नॉलेज शेयरिंग की बात करते हुए उन्होंने कहा कि समय बदल गया है अब हमें डिजीटल लिटरेसी पर अधिक ध्यान देना होगा.

रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अभी तक हम शिक्षित होते थे लेकिन ज्ञान नहीं था. इस कमी को एनईपी पूरा करेगी. वोकेशनल एजुकेशन को उन्होंने  क्रांतिकारी पहल बताते हुए कहा कि शिक्षा में भारतीयता लाने की पहल शुरू हो गई है. उन्होंने मैनेजमेंट शिक्षा को बहुआयामी बताते हुए कहा कि इस विषय के शिक्षकों की समाज में महती भूमिका है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की बड़ी जवाबदारी विद्यार्थियों को मोटीवेट करने की है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर दीपक श्रीवास्तव ने डिजीटल लिटरेसी बढ़ाने की हिमायत की. इंडिया को भारत बनाने की दिशा में एनईपी की भूमिका अहम होगी. उन्होंने सुझाव दिया कि एनईपी को प्रभावी बनाने के लिए पाठ्यक्रम को स्थानीय बोली-भाषा में भी अनुवाद किया जाना चाहिए. शिक्षा नीति में मातृभाषा को प्राथमिकता दी गई है तो यह आवश्यक हो जाता है.

संगोष्ठी के आरंभ में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर आर.के. शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत कर उनका परिचय दिया. उन्होंने विस्तार से नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में शिक्षकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं की विशेषताओं को बताया और कहा कि शिक्षा अब केवल डिग्री नहीं देगी बल्कि विद्यार्थियों को रोजगार और उनकी रूचि में दक्ष बनायेगी. संगोष्ठी की अवधारणा एवं रूपरेखा प्रो. आर. के. शुक्ला ने तैयार किया.

कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने विषय के बारे में कहा कि  एनईपी लागू करने में बहुत सारी दिक्कतें हैं. संसाधन की कमी है, शिक्षकों की कमी है, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है और टेक्नॉलजी में दक्ष शिक्षकों की कमी है. इन्हीं विषयों पर चर्चा करने और समाधान तलाश करने के लिए एनईपी के तहत प्रति सप्ताह गुरुवार को शिक्षकों की भूमिका पर विषय विशेषज्ञों से चर्चा की जाती है. पचास सप्ताह के इस संगोष्ठी के पश्चात हम विशेषज्ञों से मिली अनुशंसाओं की एक किताब का प्रकाशन करेंगे. यह सामूहिक जिम्मेदारी है और उन्होंने अपेक्षा कि हर विशेषज्ञ अपनी ओर से सहयोग करे.

संगोष्ठी की अध्यक्ष प्रो.मीना चंदावरकर ने भारत की गौरवशाली शिक्षा परम्परा का स्मरण करते हुए चाणक्य, भास्कराय, कौटिल्य आदि विद्वानों को उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि एनईपी में शिक्षकों की भूमिका पर आयोजित यह संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी. देशभर के शिक्षाविदों और विद्धानों के संगम से नया निकलेगा जिससे एनईपी को व्यवहारिक रूप में लाया जा सकेगा. कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. भरत भाटी ने किया. डीन प्रो. डीके वर्मा के निर्देशन एवं कुलसचिव श्री अजय वर्मा के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय परिवार के सहयोग से किया जा सका.


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