*दिल को छूता है रूहानी संगीत – संगीतकार नितेश तिवारी से साजन संजय वर्मा की खास बातचीत
विशेष साक्षात्कार*
संगीत दिल से निकलता है. संगीत का संबंध आत्मा से है और यह दिलों को दिलों से जोड़ता है, क्योंकि इसमें पवित्रता है, सुकून देने वाली अद्भुत शक्ति भी, पर ऐसी सांगीतिक शक्ति हर किसी के पास नहीं होती. यह कुदरती देन है, जो निखारने से और अधिक चमक देती है. रूह से जुड़ा संगीत ही अद्भुत और लंबे समय तक अपनी चमक देता है, पर क्या इस शोरगुल वाले पीड़ादायी दौर में ऐसा रूहानी संगीत देने वालों से आप कभी मिले हैं? यकीनन, स्तरहीन संगीत रचने वालों की भीड़ में ऐसी प्रतिभाएं आपको कम ही मिलेंगी, पर जो मौजूद हैं, उनका काम वास्तविक तौर पर काबिलेतारीफ और मिसाल देने वाला है क्योंकि उनका काम अद्भुत, आश्चर्यजनक और अनोखा है. आज नहीं तो कल, उनका काम ही बोलेगा. ऐसे अद्भुत संगीतकार का नाम है नितेश तिवारी, जो एथलबाड़ी जिला अलीपुरद्वार, पश्चिम बंगाल से हैं और इन्होंने अपना अध्ययन केंद्रीय विद्यालय, बिनागुड़ी छावनी से पूरा किया. संगीत की दुनिया में अपनी पक्की मोहर लगाने के मकसद से 2013 में उन्होंने मुंबई में कदम रखा और महज तीन साल की अवधि में उन्होंने तीन एलबम तैयार कर डाले, जो सूफी, रोमांटिक और रॉक पर आधारित थे. 26 साल के इस युवा संगीतकार की उम्र भले ही कम हो, लेकिन इनका काम बड़ा नज़र आता है. ऑल इंडिया रेडियो, टीवी धारावाहिक, जिंगल्स, विज्ञापन फिल्में आदि हर क्षेत्र में इन्होंने अपनी सांगीतिक प्रतिभा का प्रभाव छोड़ा है.
2013 में नितेश तिवारी का पहला एलबम सच तुझसे, 2014 में सजदा तेरा और 2015 में बारिशें आया. 2016 में एक होता वाल्या (संगीतकार के तौर पर मराठी फिल्म), 2017 रॉक मोहब्बत (रॉक एलबम), 2018 फिल्म एक आशा (संगीतकार के तौर पर बॉलीवुड फिल्म), 2019 में बेपनाह, 2020 में तंहा, 2021 में फिल्म मचान का निर्देशन और संगीत देकर उन्होंने अपने आप को साबित कर दिया कि – मैं एक अच्छे निर्देशन के साथ संगीत भी दे सकता हूं.
2014 नितेश तिवारी के कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट था, जब जावेद अली द्वारा गाए गए एलबम सजदा तेरा को दर्शकों का अच्छी प्रतिक्रिया मिली. तब नितेश को लगने लगा था कि अब मैं अपने आगामी एलबम्स के लिए फाइनेंसर खोज सकता हूं. श्रोताओं के दिल को छूने वाली एलबम की शुरूआत के साथ ही इन्होंने अपने एनआरटी बैंड का संवर्धन भी शुरू कर दिया और एलबम बारिश के जरिए इनके बैंड की ख्याति बढ़ने लगी. जावेद अली, नक्काश, पलक मुछाल, अरमान मलिक, कुमार सानू, अलका याग्निक, पामेला जैन तथा शाहिद माल्या जैसे अनेक गायकों को गाने गवा कर अपने आप को एक अच्छा संगीतकार साबित कर चुके हैं. नितेश को इस बात का भी श्रेय जाता है कि इन्होंने कई सिंगर्स को पहली बार किसी मराठी फिल्म में गवाया जिसका नाम था अजूनी.
संगीत की दुनिया से जुड़ा हर व्यक्ति श्रोताओं को कुछ अलग हटकर सुनाना चाहता है और नितेश भी ऐसा ही करने का प्रयास कर रहे हैं. नितेश का लक्ष्य 24 एलबम निकालने का है. हर तीन महीने में एक एलबम. हर एलबम का ज़ोनर अलग होगा. जैसा कि बारिशें इनका रोमांटिक एलबम था. सजदा तेरा में सूफियाना स्पर्श था. इसी तरह रैप का भी अलग टेस्ट होगा. यही नहीं, इनका एक एलबम गज़ल को भी समर्पित होगा, ताकि गज़ल गायकी के अस्तित्व को बचाया जा सके.
नितेश तिवारी शायद पहले ऐसे संगीतकार होंगे, जिन्होंने अब तक किसी को भी अपना गुरू नहीं बनाया. सिर्फ चार साल की उम्र में ही इनके भीतर संगीत की समझ विकसित होने लगी थी और आठ-नौ साल तक तो अच्छा गाने लगे थे. हालांकि मां-बाप कोशिशें करते रहे कि उनका बेटा अच्छे संगीत शिक्षक के संपर्क में रहे, पर नितेश में संगीत के प्रति ऐसी लगन थी कि उन्होंने खुद ही संगीत सीखने के प्रयास शुरू कर दिए. नितेश कहते हैं कि संगीत सिखाने से नहीं आता. वह आपके भीतर होता है. गुरू सिर्फ रास्ता दिखा सकता है, निर्देश दे सकता है. सारेगामा सीख लेने से या संगीत की डिग्री हासिल करने से आप उस्ताद नहीं बन जाते. संगीत की रूह से जुड़ना पड़ता है.
नितेश आज के कुछ संगीतकारों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहते हैं कि निर्माताओं के दबाव में अब संगीतकार अच्छा संगीत की रचना नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि सबकुछ व्यवसायिक हो गया है. ऐसे लोगों ने संगीत को पानी का बुलबुला बनाकर रख दिया है. जो संगीत रूह से नहीं जुड़ा होगा, वह श्रोताओं के दिल को नहीं छू सकता. ऐसे संगीत की उम्र काफी छोटी होती है. अधिकांश फिल्मों का संगीत दस-पंद्रह दिन के बाद अपना प्रभाव खोने लगता है, लेकिन रूहानी संगीत अमर होता है.
नितेश तिवारी के बारे में खास बात ये भी है कि इन्होंने सिर्फ संगीतकार तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि गायन व निर्देशन भी कर रहे हैं. और परदे पर भी इनका ही चेहरा नज़र आ रहा है यानी खुद को मॉडल के तौर पर भी पेश कर चुके हैं. मचान फिल्म का निर्देशन के बाद दूसरी फिल्म की भी योजना है. योजनाएं तो कई हैं पर एक शिकायत दिल में दबी है और वो ये कि यहां किसी पर विश्वास करना आसान नहीं है. दिल पर कई आघात झेले हैं इन्होंने इसलिए नसीहत देते हैं कि दिल पर कम, अनुबंध पर ज्यादा विश्वास करो. नितेश कहते हैं कि अपने म्यूज़िक बैंड से मैंने कई लोगों को विश्वास के आधार पर 2016 कई लोगों को जोड़ा था, उन्होंने काम तो मेरे यहां किया, लेकिन बाहर जाकर वे खुद को प्रमोट करते रहे. इसलिए कुछ भी शुरू करने से पहले दिल के साथ-साथ दिमाग का भी इस्तेमाल करना चाहिए. नितेश आगे कहते हैं कि मैंने दोबारा अपने बैंड को स्थापित किया जिनको आप जल्द ही सूफी रॉक सीजन वन की म्यूजिक वीडियो के अंतर्गत पूरे बैंड को देखेंगे. अच्छे संगीत के लिए लोगों का दिल भी अच्छा होना चाहिए. संगीत का सफर अभी लंबा है और इस बीच बहुत कुछ कर दिखाना है.
[6/25, 23:37] SSV साजन संजय वर्मा: Can you support me? For publishing this interview on your newspaper...