*सेवानिवृति का आनंद*
मजा रिटायरमेंट का ,
सबसे है अनमोल |
जो भी आपको बोलना ,
बोलो दिल को खोल ||
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सब बंधन से मुक्त हो ,
हो जाते आजाद ,
अपने मन की आप सब ,
कर सकते हैं बात ||
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नही तबादले की फिक्र,
नहीं फटाफट टूर |
इस किचकिच से सदा को ,
हो जाते हैं दूर ||
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खुले मंच पर बोलिये ,
खूब ठोकिये ताल |
बांका हो सकता नहीं ,
कभी एक भी बाल ||
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बाद रिटायरमेंट के ,
जो करते हैं याद |
वे ही सच्चे मित्र हैं ,
इस दुनियां में आज ||
नही मांगना किसी से ,
कोई भी सी एल ।
और नही अब चाहिये ,
कोई भी ई एल ।।
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नही जी हजूरी किसी की ,
हुआ टेंशन दूर ।
खूब पेंशन मिल रही ,
है चैहरे पर नूंर ।।
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नही किसी का फोन है ,
नहीं किसी की डांट ।
अपने घर में मस्त हैं ,
करते पूजा पाठ ।।
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आफिस की चिन्ता नहीं,
नहीं काम का बोझ ।
नारायण भगवान की ,
पूजा करिये रोज ||
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अपना आफिस बन गया ,
अब अपना परिवार |
हर दिन अब तो हो गया ,
छुट्टी का इतवार ।।
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श्रीमती के हाथ की ,
अदरक वाली चाय ।
बैठ साथ में पीजिये,
लीजे चना चबाय।।
एक साथ घर बैठकर ,
करिये हंसी मजाक |
जीवन का आनंद है ,
साठ साल के बाद ||
🙏🙏🙏🙏🙏