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राजधानी मेरे कितने ग्वालियर औऱ एक सिंधिया

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 कहां सिंधिया, कितने ग्वालियर / विवेक शुक्ला 

 दिल्ली में सरोजनी नगर से रिंग रोड के जब आप करीब पहुंचते हैं, बस तब ही सड़क के बायीं तरफ एक विशाल प्लाट नजर आता है। इसे बाहर से देखने पर भी चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। साउथ दिल्ली की सोने से महंगी जमीन पर यह सिंधिया विला 32 एकड़ में फैला हुआ है। इस प्लाट का दाम हज़ारों करोड़ रुपए से कम होने का तो सवाल ही नहीं होता।


 इस सिंधिया विला को ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादा जीवाराजजी राव सिंधिया ने लगभग तब ही लिया था जब वे राजधानी में ग्वालियर हाउस का निर्माण करवा रहे थे।


 ग्वालियर हाउस राजपुर रोड पर है। इसका पूरा पता है 37 राजपुर रोड। इधर जीवाजीराव सिंधिया अपने दिल्ली प्रवास के समय रहा करते थे। इस एरिया में कोल्हापुर हाउस,उदयपुर हाउस और सिरोही हाउस भी थे।


 सिरोही हाउस में बाबा साहेब अंबेडकर केन्द्रीय कैबिनट से इस्तीफा देने के बाद शिफ्ट कर गए थे। उसमें ही उनका 1956 में निधन भी हुआ था।


दरअसल ग्वालियर राज परिवार को इंडिया गेट के ठीक आगे भी एक प्लाट मिला था ग्वालियर हाउस के निर्माण के लिए। पर उसे राज परिवार ने अज्ञात कारणों से नहीं लिया नहीं था। वहां पर प्रिंसेस पार्क बना।


दरअसल दिल्ली सन 1911 में देश की राजधानी बनी तो अनेक रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया कि उन्हें नई दिल्ली में अपना कोई भवन विकसित करने के लिए जमीन आवंटित कर दी जाए। 


गोरी सरकार ने इस आग्रह को मानते हुए 29 रियासतों को राजधानी के प्रमुख क्षेत्रों में भूमि आवंटित की। तब ही ग्वालियर हाउस बना था। दिल्ली कैंट क्षेत्र में भी एक ग्वालियर हाउस हुआ करता था।


चूंकि बात ग्वालियर की हो रही  है, इसलिए यह बताना जरूरी है कि दिल्ली में 40 के दशक में ग्वालियर ट्रांसपोर्ट कंपनी की बसें कुछ रूटों पर चला करती थीं। डीटीसी बसें जब 1974 तक दिल्ली में सिर्फ 69 रूटों पर दौड़ती थी, इसलिए समझा जा सकता है कि 40 के दशक में तो दसेक रूटों पर ही बसें चलती होंगी।


 जाहिर है,तब तक दिल्ली बहुत छोटा सा शहर था। अधिकतर दिल्ली वाले अपनी मंजिल तक टांगों या साइकिलों पर ही चले जाते थे। कारें तो गिनती के लोगों के पास हुआ करती थी।


खैर, डीटीसी का सिंधिया घराने से संबंध बना रहा है। कनॉट प्लेस के सिंधिया हाउस में ही डीटीसी का लंबे समय से महत्वपूर्ण दफ्तर और स्टैंड है।


 कांग्रेस से भाजपा में पहुंचे और अब  मंत्री गए ज्योतिराजे सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की 30 सितंबर, 2001 में हुए एक विमान  हादसे में मृत्यु हो गई थी। उनके सम्मान और स्मृति में श्रीमहंत माधवराव सिंधिया रोड है।


 कस्तूरबा गांधी मार्ग से  आंध्र भवन की ओर निकलने वाली सड़क का नाम ही महामना माधवराव

सिंधिया मार्ग है। इधर ही पटौदी  हाउस होता था! अब भी उसके कुछ अवशेष हैं. 

 माधवराव सिंधिया की मां विजयराजे सिंधिया के नाम पर एक सड़क सरोजनी नगर में है। Vivekshukladelhi@gmail.com

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